बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर दोराहे पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ देशभर के भाजपा-विरोधी दलों को एकजुट करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर दोराहे पर खड़े दिखाई पड़ रहे हैं। तरह तरह की चरचा और बैठकों के बीच एक फिर उनके पलटी मारने की खबरें हैं..क्या है नीतीश कुमार की दुविधा..क्या है उनकी सियासी मजबूरी समझेंगे अपने साथी पत्रकार कुमार भवेश चंद्र और दीपक कोचगवे से..दीपक कोचगवे तो बिहार से ही है और कुमार भवेश चंद्र मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं और बिहार की सियासत पर बारीक नज़र रखते हैं..
बिहार की राजनीति में इसका क्या असर होगा..चर्चा है कि नीतीश की पार्टी टूट भी सकती है और तेजस्वी की पार्टी जो बिहार में सबसे बड़ा दल है नीतीश के विधायकों को तोड़कर अपनी सरकार बना लेगी.
नीतीश अगर सचमुच पाला बदलते हैं तो उनकी सियासत का कितना असर बचेगा..भरोसा तो दलों का ही नहीं बिहार की जनता का भी टूट जाएगा..
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