अंतरराष्ट्रीय दाढ़ी दिवस पर दाढ़ी बनाना पाप
पंकज प्रसून।
लोग अपनी दाढ़ी को लेकर इतने भावुक और संवेदनशील हैं कि हर साल सितंबर के पहले शनिवार को अंतरराष्ट्रीय दाढ़ी दिवस मनाते हैं।
उस दिन दाढ़ी वाले लोग अपनी दाढ़ी का जश्न मनाते हैं। हर तरह की दाढ़ी का उत्सव मनाया जाता है।
इस दिन दाढ़ी वाले लोगों को अपनी दाढ़ी पर गर्व होता है।
अंतरराष्ट्रीय दाढ़ी दिवस के दिन शेविंग नहीं की जाती है। ऐसा करना पाप माना जाता है।
वाइकिंग लोगों ने शुरू किया था उत्सव
इस उत्सव की शुरुआत कब से हुई, इसके बारे में सही जानकारी किसी के पास नहीं है।
लेकिन ऐसा समझा जाता है कि इसे वाइकिंग लोगों ने शुरू किया था।
800 ईसवी में भी यह उत्सव मनाया जाता था। वाइकिंग का अर्थ होता है हमला करने वाले समुद्री लुटेरे।
वे लोग साल में कई बार इस त्योहार को मनाते थे। उस दिन दढियल लोग पास पड़ोस के गांवों में लूटमार करते थे।
दक्षिण स्पेन के कस्बों में दढियल आदमी और सफाचट लड़कों के बीच मुक्केबाजी प्रतियोगिता होती है।
स्वीडन के गांव डोंकसबॉर्ग में दाढ़ी दिवस के दिन सफाचट लोगों को गांव से बाहर जंगल में भगा दिया जाता है।
जो लोग दाढ़ी बनाते हैं उन्हें हिकारत भरी नज़र से देखा जाता है।
एक सफाचट दाढ़ी वाला पुतला बनाकर उस पर डार्ट यानी छोटे तीर चला कर निशानेबाजी की जाती है।
कहीं- कहीं पर तो उस पुतले का दहन भी किया जाता है।
कुछ लोगों के लिए दाढ़ी बढ़ाना खब्त की हद से ज्यादा होती है।
अमेरिका के दढ़ियल किसान की इच्छा
अमेरिका के डकोटा के किसान हैंस लैंगसेठ ने मरणोपरांत अजीब सी इच्छा व्यक्त की।
उसकी इच्छा थी कि उसकी दाढ़ी को सुरक्षित रखा जाये।
वह 19 साल की उम्र से अपनी दाढ़ी बढ़ा रहा था।
उसकी 17 फीट 9 इंच लम्बी उसकी दाढ़ी को गिनीस बुक औफ रिकॉर्ड्स ने विश्व की सबसे लंबी दाढ़ी घोषित किया था।
अपनी दाढ़ी को वह बड़े जतन से रखता था।
कहीं वे उलझ न जायें, इसलिये बालों में तेल चुपड़ कर भुट्टे के चारों ओर घुमा कर और लपेट कर या तो थैली में या जेब में रखता था।
जब 1927 में उसकी मौत हुई तो उसके वंशधरों ने उसकी इच्छा का सम्मान किया।
उसके बेटे ने सन् 1967 में उसकी दाढ़ी को वाशिंगटन डीसी स्थित स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम औफ़ नैचुरल हिस्ट्री को दान में दे दिया।
कई जीव-जंतु और पौधे भी होते हैं दढ़ियल
दिलचस्प बात यह है कि कई जीव-जंतु और पौधे भी दढियल होते हैं।
दाढ़ी वाला गिद्ध ,फायर वर्म, आइरिस पौधे का फूल कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं।