सिर के ऑपरेशन से बचाया आयुष ग्राम चित्रकूट ने!!
सतना (मप्र) के साधारण किसान श्री अरुण प्रताप सिंह अपनी लगभग साढ़े तीन माह की बेटी अदिति को को लेकर आयुषग्राम ट्रस्ट चिकित्सालय आए। जब वह बच्ची को ले कर आए तो उसे उस समय झटके आ रहे थे, अच्छी तरह दूध भी नहीं पीती थी, उसके सिर की वृद्धि तो होती जा रही थी, लेकिन शारीरिक व मानसिक विकास बिलकुल नहीं हो रहा था। वजन 1200 ग्राम था।
सिर में इतना पानी भरा था कि वह छूने से ही महसूस हो रहा था। केस हिस्ट्री लेने पर अरुण जी ने बताया कि बच्ची का जन्म नॉर्मल डिलिवरी से हुआ था। जन्म के समय इसका वजन ढाई किलो था। जन्म के दूसरे दिन ही उसे बुखार आने लगा तो डाक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रख दिया। अगले दिन से ही बच्ची को झटके आने लगे। एक माह के बाद डाक्टरों ने यह कह कर डिस्चार्ज कर दिया कि बच्ची कुपोषित है, इसका विकास नहीं हो पाएगा।
हम बच्ची को घर ले आए, घर पर उसका सिर बढ़ने लगा लेकिन बाकी शारीरिक विकास बिलकुल नहीं हो रहा था। वजन भी घट कर 900 ग्राम रह गया था।
अंग्रेजी अस्पतालों का विवरण
नागपुर – सोनोग्राफी, एक्स-रे कराया, सिर में पानी, ऑपरेशन पर ठीक होने की गारंटी नहीं।
जबलपुर – सिर में पानी, ऑपरेशन, ऑपरेशन पर ठीक होने की गारंटी नहीं।
रीवा – सिर में पानी, ऑपरेशन, ऑपरेशन पर ठीक होने की गारंटी नहीं।
हमने कई अँग्रेजी अस्पतालों में दिखाया लेकिन सब जगह ऑपरेशन के लिए कहा लेकिन ठीक होने की कोई गारंटी नहीं दे रहा था। हम निराश होकर घर आ गए। हम बहुत चिंतित थे कि बच्ची का क्या होगा, तभी हमारे एक रिश्तेदार, जो आयुषग्राम में ही अपना इलाज करा रहे थे, से यहाँ का पता चला है।
उनको आश्वस्त किया गया कि परेशान न हों ऑपरेशन की जरूरत नहीं है, बच्ची ठीक हो जाएगी और 7 दिन के लिए भर्ती कर लिया गया। 7 दिनों में ही आश्चर्यजनक सुधार हुआ, झटके कम हो गए बच्ची अच्छी तरह से दूध भी पीने लगी। एक माह की दवा देकर बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया गया। 15 दिन बाद झटके की समस्या फिर से होने पर अरुण जी बच्ची को लेकर आए तो उसको 3 दिन के लिए फिर भर्ती किया गया। 3 दिन में ही लगभग 40 प्रतिशत आराम हो गया।
ढाई महीने में ही बच्ची को झटकों में बहुत आराम है, उसका शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से हो रहा है, सिर में पानी भी 10-15 प्रतिशत शेष रह गया है। अंग्रेजी अस्पतालों की ऑपरेशन की बात सुनकर तो अरुण जी पूरी तरह से निराश हो गये थे। आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट के इलाज से वे इतना प्रसन्न थे कि मानो उसे नया जीवन मिल गया हो।