पुरानी पेंशन बहाली पर अखिलेश यादव ने उठाई आवाज

उत्तर प्रदेश चुनाव में अखिलेश यादव द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की बात उठाई गई है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से अटेवा-पेंशन बचाओ मंच के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंटकर उन्हें पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा के लिए धन्यवाद दिया और आभार व्यक्त किया। अटेवा प्रतिनिधियों ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार की नौकरियों में 01 अप्रैल 2005 से शिक्षकों व कर्मचारियों को दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर बाजार आधारित नई पेंशन व्यवस्था लागू कर दी गई जो किसी के हित में नहीं है। यह व्यवस्था अन्यायपूर्ण है क्योंकि इसमें सरकार का पैसा प्राइवेट कम्पनियों के पास जमा हो रहा है। नई पेंशन व्यवस्था से प्रदेश के 13.37 लाख युवा शिक्षक, कर्मचारी एवं अधिकारी प्रभावित हुए हैं। इस व्यवस्था के खिलाफ प्रदेश में शिक्षक-कर्मचारी सभी आक्रोशित हैं।

मनरेगा मजदूर शिक्षा एवं स्वास्थ्य कल्याण संगठन के अध्यक्ष अभिषेक सिंह ने अपने संगठन का समाजवादी पार्टी को समर्थन देते हुए कहा है कि भाजपा से धोखा मिला है और समाजवादी पार्टी पर भरोसा है कि वही हमारी समस्याओं का समाधान करेगी। उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हमारा संगठन सक्रिय है।

बता दें कि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के रूप में सेवानिवृत्ति के समय प्राप्त वेतन का 50 प्रतिशत सरकार द्वारा मिलता था। इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट तक ने 17 दिसम्बर 1982 के अपने निर्णय में कहा था कि यह कोई भीख या सरकारी कृपा नहीं है बल्कि कर्मचारी का लम्बित वेतन है जो उसकी जीवन व सामाजिक सुरक्षा के लिए जरूरी है।

अखिलेश यादव ने उठाई आवाज

पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारी को कोई अंशदान नहीं देना पड़ता था। यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह अपने कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के उपरांत पेंशन का भुगतान करे। यह पेंशन व्यवस्था अटल बिहारी वाजपेई की एनडीए सरकार के समय समाप्त कर राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था (एनपीएस) 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए लायी गई। इसे उस समय उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार ने लागू किया. बहरहाल उत्तर प्रदेश चुनाव में अखिलेश यादव द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की बात उठाई गई है। लेकिन जानकारों का कहना है कि इसके लिए फण्ड़ कहां से आयेगा इस पर अखिलेश ने कुछ नहीं बोला है।

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