अखिलेश यादव ने हरिद्वार में शंकाराचार्य स्वरूपानंद से मिलकर माफ़ी माँगी
स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज का वक्तव्य
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हरिद्वार कुम्भ में कैम्प कर रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद से मिलकर माफ़ी माँगी और गंगा जी का पूजन किया. उनकी इस मुलाक़ात पर शंकाराचार्य के वरिष्ठ शिष्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज का वक्तव्य.
श्री अखिलेश यादव स्वयं की पहल पर आज पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का दर्शन करने हरिद्वार कुम्भ में आये।
श्री शंकराचार्य शिविर में आने पर ‘आगत का स्वागत’ सिद्धान्त के अनुसार शिविर के व्यवस्थापकों द्वारा सबकी तरह उनका भी स्वागत किया गया ।
जब वे हमारे पास आये तो हम कुछ बोलते उसके पहले ही ‘शरणागत हूं’ यह कहा।
शरणागत के त्याग का शास्त्रों में विधान नहीं है।शरणागत की रक्षा ही धर्म है यह सोचकर फिर हमने उनसे पुराने सन्दर्भ में कुछ न कहा और कुशल क्षेम पूछकर उन्हें पूज्यपाद महाराज श्री शंकराचार्य जी के पास ले गये।
उन्होंने पूज्यपाद महाराज श्री से निर्देश, आदेश और आशीर्वाद मांगा। यह भी कहा कि जो गलती हमसे पूर्व में हुई, अब वह भविष्य में नहीं होगी।
फिर उन्होंने हमारे सान्निध्य में ही नीलधारा जाकर गंगा जी की विधिपूर्वक पूजा की और हमें प्रणाम कर चले गये।
जाते समय पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने जरूर कहा कि मैंने स्वामी जी से माफी मांगी है।
यह तो घटनाक्रम है
हमने यह देखा कि उनको पूज्यपाद महाराज श्री का आशीर्वाद मिला । स्वाभाविक है कि जिन्हें हमारे श्रीगुरुदेव का आशीर्वाद हो उसके लिये हमें भी सद्भाव रखना ही चाहिए।
वैसे हमने आज देखा कि उनके मन में तब घटी घटना का पछतावा था। गुरुजी और गंगाजी की पूजा में भी गहरी श्रद्धा देखी। इसी से अनुमान लगाइये कि गंगाजी के पूजन के बाद जब प्रणाम का अवसर आया तो उन्होंने साष्टांग प्रणाम किया।
हमने इधर बीच किसी नेता को गंगाजी के प्रति साष्टांग प्रणाम करते नहीं देखा था। तो अच्छा लगा।
गलती किसी से भी हो सकती है। अपनी गलती को मानकर सुधार के लिये तत्पर होना महत्वपूर्ण है। श्री अखिलेश यादव ने यह जज्बा दिखाया है इसलिये हम उन्हें अब पुरानी बातें भूलकर नई ऊर्जा के साथ देश समाज की सेवा में लगने को कहते हैं।
आशा है कि अब कभी उनके सत्ता में रहते हमारे देवविग्रहों और उनके प्रति आस्था रखने वालों की श्रद्धा का अवमान नहीं होगा।