दिल्ली में दीपावली का जहर, दिल्ली वालों के लिए बना कहर

2016 के बाद दिल्ली में सबसे ज्यादा हुआ प्रदूषण का स्तर

दिल्ली में दीपावली का जहर चारों ओर फैला हुआ है. आज भी वहां की हवा में जहर का स्तर सांस संबंधी समस्याओं को निमंत्रण देने वाली बनी हुई है. आंकड़ों की मानें तो इस ​साल दिल्ली में दीपावली का जहर 2016 के बाद सबसे ज्यादा देखने को मिला है. वहीं, इसके कारणों को लेकर दिल्ली में आरोप प्रत्यारोप की राजनीति सिर चढ़कर बोल रहा है. दिल्ली सरकार इस साल दिवाली पर लोगों को आतिशबाजी के लिए उकसाने के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार को दोषी बता रही है. अब इसके लिए दोषी चाहे कोई भी हो, लेकिन सजा तो दिल्लीवालों को ही भुगतना पड़ रहा है.

मीडिया स्वराज डेस्क

दिवाली के एक दिन बाद शनिवार को भी राजधानी दिल्ली की हवा में जहर की मात्रा बनी हुई है. आज सवेरे दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 404 देखा गया. जबकि दिवाली के अगले दिन यानि शुक्रवार को राजधानी का एक्यूआई औसतन पांच साल के रिकॉर्ड को पार कर गया था. बता दें कि 2016 के बाद दिल्ली में पहली बार दिवाली के अगले दिन औसतन उच्चतम एक्यूआई 462 (गंभीर) तक पहुंच गया था. वहीं, पिछले साल 2020 को दिवाली के अगले दिन राजधानी का एक्यूआई 435 दर्ज किया गया था.

एक ओर जहां राजधानी दिल्ली की हवा कई जगहों पर शुक्रवार शाम तक ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई थी. वहीं, दूसरी ओर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार इसके लिए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने में लगे हैं. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि विपक्षी दल बीजेपी ने जान बूझकर धर्म के नाम पर लोगों को आतिशबाजी के लिए उकसाया, जिससे इस दिवाली लोगों ने जमकर पटाखे जलाये जबकि बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि वह प्रदूषण स्तर कम करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रही.

आज तक की एक रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली एनसीआर में हाल इतना बुरा था कि जो 2.5 का प्रदूषण मीटर आमतौर पर 250 से 300 के आसपास रहता है, वह गुरुवार रात से शुक्रवार सुबह तक 999 पर था.

दिवाली की रात से ही बिगड़े हालात

आज तक की एक रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली एनसीआर में हाल इतना बुरा था कि जो 2.5 का प्रदूषण मीटर आमतौर पर 250 से 300 के आसपास रहता है, वह गुरुवार रात से शुक्रवार सुबह तक 999 पर था. इस दौरान की हवा को बिल्कुल जहरीली मान लीजिए. अभी एक दो दिन और यानि 7 नवंबर तक इससे राहत मिलने वाली नहीं लगती.
वन इंडिया की एक खबर के मुताबिक, गुरुवार को दिवाली की रात 9 बजे दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया था.

शुक्रवार सुबह तक स्थिति ऐसी हो गई थी कि न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक लुटियंस जोन में भी जनपथ इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) ‘खतरनाक’ श्रेणी में पहुंच चुकी थी क्योंकि पीएम-2.5 और एक्यूआई 655.07 के स्तर तक पहुंच गया था.

बीबीसी संवाददाता गीता पांडे ने तो आज यानि शनिवार सुबह दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के बाहर की एयर क्वालिटी इंडेक्स और पोल्यूशन मीटर की ​पूरी रिपोर्ट ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये पोस्ट कर दी, जिसमें साफ दिख रहा है कि आज सवेरे एक्यूआई 404 और पीएम 2.5 था.

सरकारी मानकों के मुताबिक एक्यूआई 380 से बढ़ने पर ‘गंभीर’ माना जाता है. ये हाल तब है, जब दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने पटाखे जलाने पर पूर्ण पाबंदी लगा रखी थी.

सरकारी मानकों के मुताबिक एक्यूआई 380 से बढ़ने पर ‘गंभीर’ माना जाता है. ये हाल तब है, जब दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने पटाखे जलाने पर पूर्ण पाबंदी लगा रखी थी. बावजूद इसके दिवाली में जमकर पटाखे जलाए जाने की खबरें हैं और रात होते-होते प्रदूषण की स्थिति बद से बदतर होती चली गई.

शुक्रवार सुबह राजधानी दिल्ली की जो रिपोर्ट सामने आई, उसके मुताबिक दिल्ली में पिछले 24 घंटों में तीन साल में सबसे ज्यादा पीएम 2.5 लेवल हो गया था. इसके दो मुख्य कारण बताए गए. धान की पराली जलाना और पटाखे फोड़ना.

Peace and Conflict Research के प्रोफेसर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से दुनिया में प्रदूषण स्तर को लेकर एक ट्वीट किया है, जिसमें दिल्ली का खासतौर से जिक्र किया है.

यह जानकारी केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एयर क्वालिटी सिस्टम एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च के विश्लेषण के आधार पर सामने आई. हालांकि, इस विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि पीएम 2.5 का स्तर इस साल की दिवाली में 2018 की तुलना में ‘काफी कम’ था.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक दिल्ली के कई जगहों पर अभी भी वायु प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है. शुक्रवार शाम 6 बजे आनंद विहार में एक्यूआई 467 (गंभीर), चांदनी चौक में 443 (गंभीर), जहांगीरपुरी में 481 (गंभीर), एनएआईटी द्वारका में 457 (गंभीर) और सिरीफोर्ट में 465 (गंभीर) पर बना हुआ था.

बता दें कि वायु प्रदूषण की वजह से पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख भी दिवाली के पहले से काफी सख्त रहा है. हालांकि, बाद में उसने खतरनाक पटाखों को छोड़कर ग्रीन पटाखों को लेकर थोड़ी राहत भी दी थी. यहां तक कि पटाखों पर पूर्ण पाबंदी लगाने वाले कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश में सुधार भी कर दिया था. लेकिन, दिल्ली-एनसीआर में दिवाली की रात जमकर आतिशबाजी होने की रिपोर्ट है, जो कि पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा रहा और दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार बता रहे हैं.

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