आखिर अभी, नया संसद भवन की आवश्यकता क्या थी ?
-एड. आराधना भार्गव
वर्तमान में देश कोविड महामारी से जूझ रहा है, उद्यौग, व्यापार, ऑफिस बन्द पड़े है, युवा बेरोजगार है। अस्पताल में कोविड के ईलाज की उचित व्यवस्था नही है, ना हि अभी वैक्सीन बनकर तैयार हुई है, ऐसे समय में नए संसद भवन का भूमिपूजन करना तोकतंत्र का मजाक उड़ाना है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला यह कह रहे है कि नया संसद भवन जनता के लिए प्रेरणा का केन्द्र होगा।
जिस ससंद में किसान विरोधी कानून पारित होते है, कानून बनाने के पूर्व देश की जनता से कोई विचार विमर्श नही किया जाता, जहाँ पर सासंद जनता से दूरी बनाकर रखते है। नए कानून पारित करने के पूर्व गांव, कस्बों किसानों से इस पर कोई चर्चा नही की जाती, ऐसे ससंद भवन नए हो या पुराने, वे जनता के लिए प्रेरणा का केन्द्र नही हो सकते।
जब तक देश की जनता के हित के कानून संसद में नही बनेगें वे देश के प्रेरणा के केन्द्र नही हो सकते। इमारत कानून बनाने का कान नही करती, इमारत नई हो या पुरानी उसमें बैठने वाले व्यक्ति का दिमांग जब तक लोकतंत्र की रक्षा करने का नही होगा तब तक हम संसद भवन पर नाज नही कर सकते। देश मंदी के दौर से गुजर रहा है। इस संकट की घडी में अरबों रूपये संसद भवन पर खर्च करना देश की जनता के पैसों का दुरूपयोग है।