आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति अभियान
रायबरेली के दौलतपुर गांव से शुरू हुई पहल सात समंदर पार पहुंची
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान सात समंदर पार पहुंच गया है . यह अभियान दो दशक पहले रायबरेली जनपद के एक छोटे और गंगा किनारे बसे गांव दौलतपुर से शुरू हुआ था.
हिंदी के युग प्रवर्तक आचार्य द्विवेदी की स्मृतियों की झलक इस बार विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) पर देखने को मिलेगी. आचार्य द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति के अमेरिकी चैप्टर का शुभारंभ आचार्य द्विवेदी स्मृति व्याख्यान से होने वाला है.
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को हिंदी का युग प्रवर्तक माना जाता है. इंडियन प्रेस प्रयागराज से प्रकाशित मासिक पत्रिका सरस्वती का 18 वर्ष तक संपादन करने वाले आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी भाषा का परिमार्जन कर खड़ी बोली का रूप दिया. भाषा को नया व्याकरण दिया और नए नए लेखक साहित्यकार कवि तैयार किए.
1903 से 1920 तक के महावीर प्रसाद के संपादन काल को हिंदी साहित्य में द्विवेदी युग के नाम से जाना जाता है. सेवाओं को देखते हुए ही महावीर प्रसाद द्विवेदी को हिंदी के प्रथम आचार्य की पदवी भी प्राप्त हुई.
समय बीतने के साथ हिंदी भाषी समाज में ऐसे अपने प्रथम आचार्य को भुला दिया. जन्म स्थान पर बना उनका अपना भव्य आवाज भी खंडहर हो गया था.
स्मृति संरक्षण अभियान का संचालन पिछले 22 वर्षों से आचार्य द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति कर रही है. इस दौरान आचार्य जी की स्मृति में उनके जन्म ग्राम दौलतपुर में पुस्तकालय वाचनालय बना. रायबरेली जिला मुख्यालय और दौलतपुर में प्रतिमाएं स्थापित हुई.
रायबरेली एवं लालगंज नगर पालिका की ओर से स्मृति द्वारा निर्मित कराए गए. 1933 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा सम्मान में भेंट किए गए आचार्य द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ एवं कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के संपादन में प्रकाशित पुस्तक विज्ञान वार्ता पुनः प्रकाशित हो चुकी है.
समिति के काम से प्रभावित होकर ही अमेरिका में रह रहे भारतवंशियों ने अब आचार्य द्विवेदी की स्मृतियों को जीवंत बनाने और हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी इकाई गठित की है.
अमेरिका सहित अन्य देशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कैलिफोर्निया अमेरिका में हिंदी का प्रचार प्रसार के महत्वपूर्ण काम कर रही मंजू मिश्रा ने समिति के अमेरिकी चैप्टर का संयोजन संभाला है.
अमेरिका मे रह रही भारतवंशी श्रीमती रचना श्रीवास्तव श्रीमती शुभ्रा ओझा श्रीमती ममता कांडपाल त्रिपाठी एवं डॉ कुसुम नेपसिक भी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान को जीवंत बनाने के काम में आगे आ गई है.
समिति के अमेरिकी चैप्टर के सदस्यों और भारत के हिंदी सेवियो की पहली ऑनलाइन मीटिंग नए साल के दूसरे दिन की सुबह 8 बजे हुई.बैठक में तय किया गया के समिति की अमेरिकी इकाई हर वर्ष विश्व हिंदी दिवस पर “आचार्य स्मृति दिवस” कार्यक्रम आयोजित करेगी.
वार्षिक आयोजन से दुनिया भर के प्रवासी भारतीयों को जोड़ने की कोशिश की जाएगी. प्रत्येक 2 माह में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी समेत हिंदी के अन्य महापुरुषों पर केंद्रित चर्चाएं ऑनलाइन की जाएंगी ताकि प्रवासी भारतीयों में हिंदी आकर्षण बना भी रहे और बढ़ता भी रहे.
आचार्य द्विवेदी की जयंती (9 मई) के अवसर पर बच्चों की हिंदी प्रतियोगिताएं कराई जाएगी. यह भी तय हुआ कि विदेशों में रह रहे गैर हिंदी भाषी भारतीयों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा.
समिति की ऑनलाइन आज हुई बैठक में भारत से पद्मश्री डॉ विजय दत्त श्रीधर, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह, बाल साहित्यकार श्रीमती कुसुम लता सिंह शोध छात्रा श्रीमती रजिता दुबे, समिति के अध्यक्ष विनोद शुक्ला एवं संयोजक गौरव अवस्थी शामिल हुए. सभी ने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए. श्रीमती रचना श्रीवास्तव ने अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया.
गौरव अवस्थी, रायबरेली