एक खास मुलाक़ात डॉ हिमांशु कृष्णा (NEUROSURGEON ), ब्रेन ट्यूमर का मतलब, प्रकार, लक्षड़ और इलाज

ट्यूमर का मतलब होता है कोई भी सेल जो की अपनी रफ़्तार से ज्यादा तेज़ी से ग्रो करने लग जाये, तो वो गाँठ के तरह निकल के आता है । कोई भी गाँठ अगर ब्रेन के किसी भी हिस्से में होती है तो उसको ब्रेन ट्यूमर बोलते हैं । ब्रेन ट्यूमर अगर आपके किसी भी हिस्से में है तो वह आपके दिमाग के ऊपर असर डालता है । ब्रेन ट्यूमर पूरे भारत में केवल 5-10 लोगों को पूरे 1 लाख की आबादी में होता है ।

ब्रेन ट्यूमर के कई प्रकार हैं – ट्यूमर ज्यादा तर ब्रेन के जो सेल्स हैं जैसे एस्ट्रोसाइड (astrocide )से निकलते हैं तो उनका नाम होता है- एस्ट्रो – साइटोमा (astrocitoma ) और भी प्रकार हैं जैसे की मेनेन्न ज्योमा , जो नर्व से निकलते हैं उसको नर्व ट्यूमर (nerve tumor )बोलते हैं ।
बच्चो में जो ट्यूमर होते हैं उनको बोलते हैं – मेडयुलो प्लासटो (medulla plasto tumor )

ब्रेन ट्यूमर के लक्षड

ब्रेन का हर हिस्सा शरीर के किसी ना किसी पार्ट को कण्ट्रोल करता है । ब्रेन के जिस हिस्से पर अगर ब्रेन ट्यूमर ग्रोथ हुआ उस हिस्से से शरीर का जो भी अंग कण्ट्रोल हो रहा होता है उस हिस्से में दिक्कते आती हैं। कुछ ट्यूमर ऐसे होते हैं जो आपके शरीर के होर्मोंन्स को कण्ट्रोल करते हैं जिसके कारण जब ट्यूमर होता है तब होर्मोंन्स ज्यादा मात्रा में निकलने लगते हैं या कई बार कम हो जाता है ।सर का दर्द लगातार और किसी विशेष कारण से बढ़ता ही जा रहा है या अचानक से दर्द के साथ उलटी भी आती है, उस दर्द के साथ मिर्गी के दौरे या बेहोशी आजाये, दर्द के साथ किसी के किसी एक अंग कमजोरी आजाये, उसको हम ब्रेन ट्यूमर के लक्षड मान सकते हैं ।

ब्रेन ट्यूमर के कारण

कोई विशेष कारण नहीं है । लेकिन कुछ चीजें है जिससे ब्रेन ट्यूमर का एसोसिएशन है जैसे की – रेडीएशन (radiation )
ब्रेन में ट्यूमर को बना सकते है । कुछ वायरस से भी इसका एसोसिएशन देख गया है। कुछ ट्यूमर ऐसे होते हैं जो की होते शरीर के दूसरे अंग में लेकिन वो फ़ैल के ब्रेन में आजाते हैं उनको हम सेकेंडरी ट्यूमर बोलते हैं ।

ब्रेन ट्यूमर का इलाज

ब्रेन ट्यूमर का मुख्य इलाज ऑपरेशन ही है । दवाई से या फिर रेडिशन से उतना अच्छा इफ़ेक्ट नहीं आपता है इसलिए हम हमेशा सबको सलाह देते हैं ऑपरेशन के लिए । अगर ऑपरेशन के बाद ट्यूमर में कैंसर ( ग्रेड 1से ग्रेड 5 )निकलता है तो ग्रेड 1 को रेडिएशन या फिर कीमो थेरेपी के द्वारा ठीक किया जाता है। ग्रेड 2-3-4 जैसे जैसे बढ़ता है वैसे वैसे लाइफ एक्सपेक्टेन्सी कम हो जाती है ।

एक्सपर्टस की राय……

अगर हम अपनी लाइफ को बहुत ही बैलेंसड तरीके से फॉलो करते हैं तो हमारी बॉडी का इम्यून सिस्टम बहुत स्ट्रांग हो जाता है । अगर हम अपने आप को बहुत ही बैलेंसड रखेंगे तो फिर हमारा इम्यून सिस्टम भी बैलेंसड होगा जिसके कारण कोई भी सेल एक अबनार्मल फेज में आता ही नहीं है।

Department of Spine & Neuro Surgery

MS, MCh, DNB

Micro endoscopic brain surgeries and Neurovascular Surgeries, Head and Spinal surgery.

At – HEALTH CITY HOSPITAL

अमन गुप्त 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

8 + 8 =

Related Articles

Back to top button