चम्बल घाटी में बागियों के समर्पण से विनोबा जी का हृदय परिवर्तन हुआ : सुश्री गंगा बहन
विनोबा विचार प्रवाह अंतर्राष्ट्रीय संगीति
शाहजहांपुर 22 अगस्त। इतिहास स्वयं को हिंसा के रूप में नहीं दोहराता है बल्कि उसका दर्शन अहिंसा में भी होता है। चंबल घाटी में विनोबा जी के सामने बागियों का समर्पण ऐसी ही घटना है। कभी गौतम बुद्ध के सामने अंगुलीमाल ने हिंसक मार्ग का त्याग किया था। ढाई हजार साल बाद बागियों ने हिंसा के रास्ते को छोड़कर बिना शर्त सजा को स्वीकार किया और बहनों के हाथों से राखियां बंधवाकर जेल की ओर प्रस्थान किया। इस घटना के बाद विनोबा जी ने कहा कि अहिंसा के चमत्कार से मेरा हृदय परिवर्तन हो गया।
यह बात ब्रह्मविद्या मंदिर की अंतेवासी सुश्री गंगा बहन ने विनोबा विचार प्रवाह द्वारा विनोबा की 125वीं जयंती पर आयोजित फेसबुक माध्यम पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगीति में कही। सुश्री गंगा बहन ने कहा कि जब विनोबा जी चंबल क्षेत्र में प्रवेश किया तब उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र साधुओं का है। वहां पर विनोबा जी के पास जेल से चिट्ठी आयी कि कुछ बागी आपसे मिलना चाहते हैं। अपनी ओर से विनोबा जी ने श्री यदुनाथ सिंह जी को भेजा। विनोबा जी ने अपना संदेश दिया कि करुणा और श्रद्धा से काम करना होगा। बागियों को अपना गलत रास्ता छोड़ना होगा। इससे अगला जन्म अच्छा होगा।
यह संदेश मुम्बई में फरारी काट रहे बागी के पास पहुंचा और वह भी विनोबा जी के पास समर्पण करने आया। सुश्री गंगा बहन ने बताया कि बागियों से मिलने गौतम बजाज गए। तब गौतम भाई उन बागियों के फोटो निकालने लगे। तब बागियों ने उनसे कहा कि आप भी हमारे जैसे कपड़े पहनो और हाथ में बंदूक लो तब फोटो ले सकते हो। गौतम बजाज को यह करना पड़ा।
गौतम भाई ने बागियों की दिनचर्या देखी और पाया कि वे सभी सुबह तीन बजे उठ जाते। स्नान करने के बाद भजन, पूजन, ध्यान करते थे। जब विनोबा जी ने चंबल घाटी में गांवों में भ्रमण करना शुरू किया तब वहां के लोगों की हालत अत्यंत दयनीय थी। अनेक बच्चे हो गए थे। महिलाएं विधवा थीं। बुजुर्गों की हालत ठीक नहीं थी। कुछ युवाओं को बागियों ने मारा और कुछ को पुलिस ने।
विनोबा जी के सामने इस समस्या को हल करने की चुनौती थी। बागियों ने विनोबा जी के सामने समर्पण की इच्छा जाहिर की। जनरल यदुनाथ सिंह ग्यारह बागियों को लेकर विनोबा जी के पास आए। सभी ईनामी बागियों ने अपनी दूरबीन युक्त बंदूकें विनोबा के चरणों में समर्पित कीं।
सुश्री गंगा बहन ने बताया कि जब सभी बागियों को जेल भेजने की बात आयी, तब बागियों ने कहा कि हम आपके साथ की बहनों से राखी बंधवाएंगे। सभी बहनों ने राखी बांधी। एक बागी ने अपने पास से छः रुपये थाली में रख दिए। बागियों ने विनोबा जी के साथ कीर्तन किया और सर्वधर्म प्रार्थना की।
एक बागी का नाम दुर्जनसिंह था। विनोबा जी ने उसका नामकरण सज्जनसिंह किया। साथ में सभी से कहा कि जेल को आश्रम बनाना। किसी से खोटी बात नहीं कहना।
सुश्री गंगा बहन ने कहा पूरा वातावरण करुणा से द्रवित था। सभी की आंखों से आंसूओं की धारा बह रही थी। आज हमे इस बात का खयाल रखने की जरूरत है कि गांव के हर घर में चूल्हा जलना चाहिए। इससे गांव में शांति बनी रहेगी। इस लक्ष्य को ग्रामस्वराज्य पूरा कर सकता है।
प्रेम सत्र की द्वितीय वक्ता गुजरात की श्रीमती उषा पंडित ने विनोबा जी के ग्रामस्वराज्य, ग्रामदान, शांतिसेना, सर्वोदय पात्र, आचार्यकुल और गोरक्षा के विचार को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विनोबा जी ने महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध की अहिंसा भूदान आंदोलन से समाज में स्थापित किया। हमारा स्वयं का जीवन अहिंसाप्रधान होने से समाज में उसका प्रभाव होगा।
करुणा सत्र में श्री वीनू भाई ने क्रांति गीत प्रस्तुत किया। संचालन श्री संजय राय ने किया। आभार श्री रमेश भैया ने माना।
डाॅ.पुष्पेंद्र दुबे