कोरोना संकटकाल में संघर्षरत अर्थशास्त्री डॉ अमिताभ शुक्ला को मदद की दरकार
(मीडिया स्वराज डेस्क)
जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्विद्यालय के अध्यापक कोरोना संकटकाल में विषम स्वास्थ्य एवं आर्थिक समस्याओं से ग्रस्त हैं। तीन माह लॉकडाउन की अवधि में महाराष्ट्र में फंसे होने के बाद कलेक्टर वर्धा के द्वारा उन्हें मध्यप्रदेश के इटारसी भिजवाया गया था। पिछले 1 माह से डॉक्टर शुक्ला इटारसी की एक धर्मशाला में रह रहे हैं, लेकिन विपत्ति – ग्रस्त हैं , क्योंकि अनेकों आदेशों के बावजूद और दिव्यांग होने पर भी कार्य की सुविधा और एरियर्स और वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
इस संकट काल में आर्थिक अनुदान अथवा सहायता के लिए भी डॉक्टर शुक्ला ने समस्त संबंधितजनों कुलपति , जबलपुर विश्वविद्यालय , मध्यप्रदेश शासन और जिलाधीश जबलपुर और होशंगाबाद से सहायता का अनुरोध किया था, लेकिन कोरोना संकट की विषम स्थिति में भी अब तक उन्हें वेतन और एरियर्स और सहायता प्राप्त नहीं हुई है। देश और प्रदेश के अनेकों संगठनों , बुद्धिजीवियों , अकादमिक संस्थाओं अंतरराष्ट्रीय ब्रदरहुड संगठन , न्यू दिल्ली के चेयरमैन डॉक्टर जितेंद्र प्रसाद , अंतरराष्ट्रीय योगा फेडरेशन के चेयरमैन विजय तिवारी , राजस्थान की सामाजिक कार्यकर्ता सरिता भारत , म प्र शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संगठन के अध्यक्ष प्रोफेसर कैलाश त्यागी और गांधी अन फोरम तमिलनाडु के प्रोफेसर बाला मुरली ने अपील जारी कर मध्य प्रदेश के राज्यपाल , मुख्यमंत्री और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रोफेसर कपिल देव मिश्रा से तुरंत डॉक्टर शुक्ला के ड्यूज , आर्थिक अनुदान और प्राध्यापक संघ के कोष से सहायता के लिए अनुरोध किए हैं , ताकि उनकी सर्जरी , चिकित्सा , जीवन – निर्वहन और जीवन रक्षा हो सके।
आपको बता दें कि डॉ अमिताभ शुक्ला डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के पूर्व छात्र हैं। वह कोरोना संकट काल में अत्यंत विषम स्वास्थ्य एवं आर्थिक कठिनाइयों से ग्रस्त हैं। उन्होंने हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति, पूर्व छात्रों के संगठन और अध्यापकों से सहयोग की अपील है।
डॉक्टर अमिताभ ने वर्ष 1982 में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि यूटीडी सागर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी ।
तत्पश्चात, प्रावीन्यता के आधार पर विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 1983 से वर्ष 1987 तक शोध वृत्ति प्रदान की गई । वर्ष 1984- 1985 और वर्ष 1987-88 में उन्होंने अर्थशास्त्र विषय के सहायक प्राध्यापक के रूप में यूटीडी में अध्यापन कार्य किया और इस अवधि में अपने शोध – कार्यों द्वारा सागर विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया है।