चीफ जस्टिस गवई की माफ़ी नहीं, सज़ा चाहिए

चीफ जस्टिस गवई की माफ़ी नहीं, सज़ा चाहिए

प्रो. हेमंतकुमार शाह

भारत के सर्वोच्च न्यायमूर्ति बी आर गवई की अदालत में ही एक वकील ने जूता फेंकने का प्रयास किया और वह पकड़ा गया। अखबार कहते हैं कि श्रीमान गवई, कि जो दलित हैं, ने उस वकील को माफ़ कर दिया है। यह तो समझिए कि उन की उदारता है।

लेकिन कानून क्या कहता है? कानून यह कहता है कि जो अपराधी हो उसे दंड मिलना चाहिए। अब इस केस में निम्न लिखित प्रश्न उपस्थित होते हैं:

1 पुलिस ने अपराधी वकील राकेश किशोर को पकड़ा लेकिन पूछताछ के बाद छोड़ क्यों दिया? उसे उस के जूते भी वापस दिए गए! ऐसा क्यों? इस लिए कि वह दलित नहीं है? 

2 पुलिस कह रही है कि इस के पास कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। ऐसा क्यों हुआ? शिकायत दर्ज कराने का फर्ज़ है सर्वोच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार का। वे क्या कर रहे हैं? उन्हें यह जो हुआ वह मालूम नहीं है? 

3 भारत सरकार का एक आयोग है। इस का नाम है: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग। इस के अध्यक्ष हैं किशोर मकवाना। वे गुजराती संघी हैं और मोदीभक्त हैं। वे तो सारे देश में घूमकर अनुसूचित जाति पर हो रहे अत्याचारों का निपटारा कर रहे हैं ऐसा वे खुद अपने फेसबुक पेज पर बार बार घोषित करते हैं। क्या उन्हें यह दिल्ली में भारत के सर्वोच्च न्यायमूर्ति पर हो रहा हमला दिखाई नहीं देता? उनका कोई फर्ज़ बनता है कि नहीं? 

अब थोड़ी बातें और:

1 जूता फेंकने की कोशिश करनेवाला दलित तो होगा ही नहीं। कौनसी जाति का है, मालूम नहीं। पर वह शख्स एक दलित न्यायमूर्ति का अपमान करना चाहता था यह तो निश्चित है। तो फिर उस पर अत्याचार विरोधी कानून क्यों नहीं लग सकता? पुलिस क्यों सो रही है? सवाल इस बात का है कि, कोई मेरी हत्या करे और मेरे परिवार वाले उस शख़्स को माफी दे दे तो क्या पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी? अगर करेगी, तो इस केस में क्यों नहीं? 

2 “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे” ऐसा वह अपराधी कह रहा था कि जब वह जूता फेंकने वाला था। सवाल इस बात का है कि कौन से सनातन धर्म की वह बात कर रहा है, कि जिस में अत्याचार से भरी हुई व्यवस्था थी और है?  

3 देश में अंतिम 11 सालों में विरोधी विचार, मूल्यांकन और आलोचना को बर्दाश्त नहीं करने का जो नफ़रती माहौल मोदी सरकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और इस की संस्थाएं एवं तथाकथित सनातनी लोगों ने खड़ा किया है, इसी का नतीज़ा यह है कि भरी अदालत में भारत के सर्वोच्च न्यायमूर्ति पर जूता फेंकने का प्रयास हो रहा है।

श्रीमान बी आर गवई पर हमें गर्व है, लेकिन कानून का शासन अभी भी थोड़ा सा बाकी पड़ा है इस देश में, इस का हमें सबूत चाहिए, और राकेश किशोर पर कानूनी कार्रवाई हो और उसे कानूनन दंड मिले। 

अहमदाबाद, ता.०७-१०-२०२५

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