बिहार मतदाता सूची विवाद 2025: पारदर्शिता या लोकतंत्र पर सवाल?
ड्राफ्ट सूची के अनुसार लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं
मीडिया स्वराज
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित हुई, जिसने विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर तीखी बहस छेड़ दी है। यह प्रक्रिया, जो 2003 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हुई, मतदाता सूची को सटीक और विश्वसनीय बनाने का दावा करती है। लेकिन विपक्ष इसे गरीब, वंचित, और अल्पसंख्यक समुदायों के मताधिकार पर हमला बता रहा है। इस लेख में हम बिहार मतदाता सूची विवाद के हर पहलू, इसके प्रभाव, और भविष्य की दिशा पर चर्चा करेंगे।
बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण: क्यों उठा विवाद?
चुनाव आयोग ने 1 जुलाई 2025 से SIR प्रक्रिया शुरू की, जिसके तहत 7.89 करोड़ मतदाताओं की पात्रता की जाँच की गई। इस प्रक्रिया का उद्देश्य डुप्लिकेट, मृत, या गलत पते पर दर्ज मतदाताओं को हटाना था। लेकिन कई मुद्दों ने इसे विवादास्पद बना दिया:
- बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए:
- ड्राफ्ट सूची के अनुसार, लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।
- इनमें 22 लाख मृत, 36 लाख विस्थापित, और 7 लाख डुप्लिकेट मतदाता शामिल हैं।
- विपक्ष का दावा है कि यह प्रक्रिया विशेष रूप से किशनगंज, अररिया, और कटिहार जैसे जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बना रही है, जहाँ आधार कार्ड धारकों की संख्या आबादी से अधिक है।
- दस्तावेज़ जमा करने की जटिलता:
- मतदाताओं को 11 दस्तावेजों (आधार, जन्म प्रमाणपत्र, राशन कार्ड आदि) में से एक जमा करना अनिवार्य था।
- विपक्ष का कहना है कि ग्रामीण और प्रवासी मतदाताओं (बिहार के 21% मतदाता बाहर रहते हैं) के लिए यह प्रक्रिया जटिल और समयबद्ध थी।
- विपक्ष के गंभीर आरोप:
- कांग्रेस और RJD ने इसे “वोटबंदी” और “प्रशासनिक NRC” करार दिया।
- INDIA ब्लॉक ने दावा किया कि 2-3 करोड़ मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
- राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर लेख लिखकर इसे लोकतंत्र पर खतरा बताया।
- चुनाव आयोग का पक्ष:
- आयोग ने दावा किया कि 99.8% मतदाताओं को कवर किया गया, और 88.66% ने गणना फॉर्म जमा किए।
- यह प्रक्रिया फर्जी मतदाताओं, जैसे नेपाल और बांग्लादेश से आए लोगों, को हटाने के लिए जरूरी थी।
- सुप्रीम कोर्ट ने भी आधार और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों के उपयोग की सलाह दी।
आँकड़े और तथ्य
- कुल मतदाता (पुनरीक्षण से पहले): 7.89 करोड़
- नाम हटाए गए: 65 लाख (22 लाख मृत, 36 लाख विस्थापित, 7 लाख डुप्लिकेट)
- फॉर्म जमा: 88.66% (6.6 करोड़ मतदाताओं ने फॉर्म जमा किए)
- अवधि: दावे और आपत्तियाँ 1 सितंबर 2025 तक, अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को।
- विशेष शिविर: 90,000+ बूथ स्तरीय अधिकारी तैनात, विशेष शिविर आयोजित।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
- चुनावी रणनीति पर असर:
- 65 लाख मतदाताओं के नाम हटने से 2025 विधानसभा चुनाव में मतदान पैटर्न बदल सकता है।
- विपक्ष का दावा है कि यह सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में हो सकता है।
- सामाजिक तनाव:
- किशनगंज, अररिया जैसे जिलों में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठने से सामाजिक तनाव बढ़ा।
- सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ विचाराधीन हैं, जिसकी अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को थी।
- युवा और प्रवासी मतदाता:
- SIR ने युवा और पहली बार वोट देने वालों को शामिल करने की कोशिश की, लेकिन प्रवासी मतदाताओं के लिए प्रक्रिया जटिल रही।
क्या करें मतदाता?
चुनाव आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे ड्राफ्ट सूची में अपना नाम जाँच लें।
- ऑनलाइन जाँच: मतदाता हेल्पलाइन ऐप या ECI पोर्टल पर EPIC नंबर/मोबाइल नंबर से स्थिति देख सकते हैं।
- नाम जोड़ने/सुधार के लिए: फॉर्म-6 के साथ दस्तावेज 1 सितंबर 2025 तक जमा करें।
- शिकायत निवारण: BLO या विशेष शिविरों के माध्यम से सहायता लें।
बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण 2025 ने पारदर्शिता और विश्वसनीयता के दावों के बीच गंभीर विवाद खड़ा किया है। जहाँ चुनाव आयोग इसे लोकतंत्र को मजबूत करने का कदम बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे मताधिकार पर हमला मान रहा है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और अंतिम सूची (30 सितंबर 2025) इस विवाद को नई दिशा दे सकती है। मतदाताओं को सलाह है कि वे समय रहते अपनी स्थिति जाँच लें और अपने वोट के अधिकार को सुरक्षित करें।
अगर आप बिहार के निवासी हैं तो क्या आपका नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में है? अभी जाँचें और 1 सितंबर 2025 से पहले फॉर्म-6 जमा करें। अपनी राय कमेंट में साझा करें!
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