महाराष्ट्र में भाषा की राजनीति: गैर-मराठी पर हिंसा, सरकारी चुप्पी और समाधान

मीडिया स्वराज डेस्क

हाल के घटनाक्रम और विस्फोटक मामले

विक्रोली (17 जुलाई 2025)

मराठी भाषा की रक्षा का बहाना:

MNS कार्यकर्ताओं ने विक्रोली के एक मारवाड़ी दुकानदार को व्हाट्सऐप स्टेटस में ‘मराठी की अवमानना’ के आरोप में पीटा,  माफी मँगवाई। यह वीडियो वायरल हुआ  ।

खाद्य स्टॉल मालिक पर हमला: मराठी न बोलने पर MNS ने फेरी वाले को थप्पड़ मारा, सात आरोपी हिरासत में लिए गए लेकिन बाद में नोटिस देकर छोड़े गए   ।

माँगा माफी का दबाव: घटना के बाद व्यापारियों ने विरोध जन आंदोलन किया, जबकि वकीलों ने रॉकफ्लॉन सुरक्षा तय करने और MNS सदस्यों पर NSA लगाने की मांग की   ।

पुणे, विखरोल, मिरा रोड, पवई

• मेडिकल स्टोर कर्मचारी को MNS कार्यकर्ताओं ने बाल से खींचकर माफ़ी मंगवाई  ।

• Powai में सुरक्षा गार्ड को मारना और दुकान मालिकों को महाराष्ट्र से “भाषाई चेतावनी” देना आम बात है . 

टोल प्लाज़ा तोड़फोड़: MNS कार्यकर्ताओं ने रोड़ से लैस होकर अकोला–नांदेड़ हाईवे पर टोल प्लाज़ा तोड़ा, यह क्रोधितिरोध का हिस्सा था   ।

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ

CM देवेंद्र फडणवीस:

“पड़ोसियों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे,”

लेकिन हिंसा में संलग्न लोगों की गिरफ्तारी सीमित और प्रभावहीन रही है  ।

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले:

उन्होंने कहा कि “महाराष्ट्र विविधता में ही महान है। मराठी सीखना ठीक है पर डर एवं हिंसा ठीक नहीं” — और ऐसी हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी  ।

मुंबई वकील और हाई कोर्ट:

तीन वकीलों ने DGP को पत्र लिखकर MNS कार्यकर्ताओं और राज ठाकरे के खिलाफ NSA कार्रवाई की मांग की  ।

Raj Thackeray (MNS नेता):

हिंसात्मक घटनाओं को ‘मराठी रक्षा’ बताते हुए और कार्यकर्ताओं को अनदेखा करने की सलाह दी:

“अगर मुझसे एक्सीडेंट हो तो मारो, लेकिन विडियो मत बनाओ”— यह बयान हिंसो के प्रति विधिमान्य रवैये का संकेत है  ।

विश्लेषण: भाषा का हथियार बनता राजनीति

राजनीतिक टकराव MNS ने चुनाव पूर्व अपनी पहचान बनाए रखने के लिए भाषा को हथियार बनाया   ।

गैर-मराठी को भयभीत करने की रणनीति धमकाना, सार्वजनिक माफी और सोशल शेमिंग द्वारा Marathi supremacy उजागर हुआ।

सरकारी चुप्पी फडणवीस और मोदी सरकार ने मात्र बयानबाजी की; प्रभावी गिरप्तारी और अभियोजन में कमी बनी रही।

सामाजिक विभाजन मुंबई जैसे बहुभाषीय शहर में पलते भाषिक भेदभाव ने नफ़रत की दीवारें बना दीं।

कानूनी/संवैधानिक प्रश्न भाषाई असहिष्णुता संविधान के विरोध में है, लेकिन NSA या अन्य कानूनों का इस्तेमाल बहुत सीमित है।

समाधान

1. सख्त कानूनी कार्रवाई

• हिंसा से जुड़े सभी मामलों में तत्काल गिरफ्तारी और चार्जशीट सुनिश्चित करें।

• NSA/पीएसए जैसी उपायों का चयन किया जाए।

2. प्रशासनिक निगरानी

• कमिश्नर स्तर पर विशेष टीम बनाएं जो भाषा-आधारित हिंसा की निगरानी करे।

3. शिक्षा व जागरूकता अभियान

• स्कूल-कॉलेज में भाषाई सहिष्णुता पाठशाला।

• सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में हिंदी/मराठी/अंग्रेजी में सूचना सामग्री अनिवार्य।

4. राजनीतिक जवाबदेही

• नेताओं की हिंसक भाषा एवं भाषणों पर चुनाव आयोग द्वारा जांच; “माइक-ऑफ” जैसे उपाय लागू हों।

5. समाज में बहुभाषीय संवाद बढ़ाएँ

• मराठी सीखना चाहने वालों को दोनों सरकारों द्वारा मुफ्त कोर्स।

• गैर-मराठी समुदाय में Marathi भाषण प्रतियोगिता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान।

महाराष्ट्र में भाषा आधारित हिंसा सिर्फ सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है। यदि सरकार (राज्य और केंद्र), न्यायपालिका और नागरिक समाज मिलकर समय पर कदम नहीं उठाते, तो भविष्य में सामाजिक एकता टकराव के रास्ते पर चल सकती है। इस लेख में दी गई SEO रणनीतियाँ, विश्लेषण, घटनाओं की रिपोर्टिंग और समाधान योजना सभी मिलकर इसे एक प्रभावी, इंफॉर्मेटिव और रैंकिंग-अनुकूल सामग्री बनाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button