पूर्वांचल की राजनीति में अखिलेश यादव PDA राजनीति का बड़ा दांव

BJP और BSP की तीखी प्रतिक्रिया

मीडिया स्वराज डेस्क

पूर्वी उत्तर प्रदेश में यादव राजनीति आजमगढ़ की धरोहर को मजबूत करते हुए अखिलेश यादव ने 2025 में ऐतिहासिक पहल की — “PDA भवन” का उद्घाटन। SP अध्यक्ष की इस रणनीति का केंद्र है “पिछड़ा–दलित–अल्पसंख्यक” (PDA) वोट बैंक को मजबूती से जोड़ना और पूर्वांचल की राजनीति में बदलाव लाना

यादव राजनीति और आजमगढ़ 

आजमगढ़, एक ऐसा इलाका जहाँ से यादव समुदाय की राजनीति ने यूपी में नई दिशा डाली। पहला दौर शुरू हुआ चंद्रजीत यादव और राम नरेश यादव से:

चंद्रजीत यादव: 1960–70 के दशक की कांग्रेस (O) और जनता पार्टी के दौर के सांसद। इन्होंने यादव नेतृत्व और अल्पसंख्यकों की राजनीति को जमीन पर मजबूती दी।

राम नरेश यादव: 1977 में UP के मुख्यमंत्री—जो गैर-एलीट राजनीति और पिछड़े वर्गों की आवाज बने।

यह विरासत आगे मुलायम सिंह यादव और बाद में अखिलेश यादव तक पहुंची। विशेषकर 2019 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनावों में SP की रणनीतियों ने पूर्वांचल में योगी-भाजपा को चुनौती दी।

PDA भवन का राजनीतिक महत्व 

अखिलेश यादव ने आजमगढ़-फैजाबाद हाईवे पर लगभग 83,000 वर्ग फुट में ‘PDA भवन’ का उद्घाटन किया। यह सिर्फ भवन नहीं, बल्कि राजनीतिक खो-खो-शहर है।

PDA का पूरा फार्मूला:

P: पिछड़े (Yadav, Kurmi, आदि)

D: दलित (मुख्यतः Jatav)

A: अल्पसंख्यक (मुस्लिम समुदाय)

गठबंधन का उद्देश्य इन तीनों समूहों को जोड़कर “समाजवादी राजनीतिक एकता” तैयार करना है।

रणनीतिक लाभ:

1. स्थायी संगठन ढांचा: अब कार्यकर्ता कभी अलग-अलग जगहों पर नहीं, बल्कि इसी परिसर में प्रशिक्षण और संगठनात्मक बैठक करेंगे।

2. पूर्वांचल फ़ोकस: Lucknow/ Saifai के बजाय अब SP के महत्त्वपूर्ण निर्णय पूर्वांचल से लिए जाएंगे।

3. संकटकालीन प्रतिक्रिया केंद्र: कोई अल्पसंख्यक या दलित उत्पीड़न की घटना हुई तो PDA भवन से त्वरित प्रेस कॉन्फ्रेंस, धरना, या अभियान चल सकता है।

अखिलेश यादव इन दिनों दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ने की विशेष कोशिश कर रहे हैं . 

अखिलेश यादव ने 1993 में मुलायम‑कांशी राम गठबंधन का हवाला दिया और कहा कि जब दोनों विचारधारा साथ आयी थीं तो उसके परिणाम आश्चर्यजनक थे . 

BJP की काउंटर स्ट्रेटेजी

योगी आदित्यनाथ की सरकार और डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य ने PDA पर तीखा हमला किया: उनका कहना था कि भाजपा की नीतियों से सभी समुदाय लाभान्वित हो रहे हैं—यह SP की जातिवाद फैलाने की राजनीति को नकारता है।  

जातीय एकता पर जोर:

BJP नेताओ ने PDA का अर्थ बदलकर Pichhde, Dalit, Agda बता दिया, ताकि सभी हिंदू समाज को एक मंच पर लाया जा सके।

बसपा की प्रतिक्रिया 

मायावती ने SP की PDA राजनीति को “स्वार्थपूर्ण और खतरनाक” बताया और चेतावनी दी. इससे स्पष्ट है कि बसपा SP की PDA रणनीति को धोखाधड़ी और छल मान रही है, और दलित–बहुजन वोटों को फिर से अपनी ओर खींचने में जुटी है।

राजनीतिक समीकरण और भविष्य की राह

1. SP (अखिलेश यादव)

• कोर वोटर: यादव + OBC + मुस्लिम

• रणनीति: PDA के माध्यम से दलितों को जोड़ना, पूर्वांचल में निरंतर संगठन, PDA भवन से अपील

2. BJP (योगी सरकार)

• कोर वोटर: ब्राह्मण, गैर-यादव OBC, कुछ दलित

• रणनीति: PDA को जातिवाद बताना, प्रगति‑विकास और “Sabka Saath” का वादा

3. BSP (मायावती‑वर्चस्व)

• कोर वोटर: जाटव दलित + कुछ OBC

• रणनीति: PDA की आलोचना, जातीय चेतावनी, अपनी ब्रदरहुड और दलित राजनीति को मज़बूत करना

2027 चुनाव की चुनौती: SP की PDA परीक्षा

• क्या SP PDA के माध्यम से अन्य पिछड़े वर्गों (non-Yadav OBC) और दलितों को जोड़ पाएगी?

• क्या BJP का “Hindu Unity” मॉडल PDA में सेंध लगा पाएगा?

• क्या मायावती बसपा की चेतावनी SP को चुनौतियों में डाल देगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button