गांधी की तपोभूमि कौसानी में शराब की दुकान का। विरोध – पद्मश्री राधा भट्ट ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
अनासक्ति आश्रम में घुसकर महात्मा को गालियॉं
राम दत्त त्रिपाठी
उत्तराखंड की शांत और आध्यात्मिक नगरी कौसानी, जो महात्मा गांधी के अनासक्ति आश्रम , लक्ष्मी आश्रम और साहित्यकार सुमित्रानंदन पंत के लिए प्रसिद्ध है, इन दिनों एक विवाद के केंद्र में है।
राज्य सरकार द्वारा यहां शराब की दुकान खोलने का लाइसेंस देने के निर्णय का स्थानीय नागरिकों और गांधीवादी कार्यकर्ताओं ने तीखा विरोध किया है।यह लाइसेंस राजधानी देहरादून के एक बिज़नेसमैन को दिया गया है.
पद्मश्री राधा भट्ट, जो दशकों से लक्ष्मी आश्रम में समाज सेवा कर रही हैं, ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे खासतौर पर महिलाओं और किशोरियों पर नकारात्मक प्रभावपड़ेगा। कौसानी न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि एक गरीब और संघर्षशील ग्रामीण क्षेत्र भी है, जहां शराब की दुकान सामाजिक समस्याओं को और बढ़ा सकती है।
मीडिया स्वराज के विशेष वीडियो संवाद में वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी ने इस मुद्दे पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर व सामाजिक कार्यकर्ता अरुण तिवारी से बातचीत की। अरुण का कहना है कि यह निर्णय गांधी जी की विचारधारा—अहिंसा और आत्मसंयम—के पूरी तरह खिलाफ है।इससे अराजकता बढ़ेगी.
स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता अब सरकार से लाइसेंस रद्द करने और कौसानी के गांधीवादी चरित्र की रक्षा करने की मांग कर रहे हैं।
हालाँकि दूसरी ओर कौसानी के कुछ व्यापारियों का कहना कि पहले लोगों को शराब ख़रीदने दूर जाना पड़ता था या ब्लैक में महंगी खरीदनी पड़ती थी . अब यहॉं निर्धारित दाम पर मिलेगी . पर्यटक रुकेंगे और बिज़नेस बढ़ेगा.
मगर पहले जो लोग ब्लैक में ख़रीदते थे वे छिपकर पीते थे . अब लोग सड़क के किनारे पीते हैं और लड़खड़ाते नज़र आते हैं . ये लोगों से झगड़ा और छेड़खानी भी करते हैं.
ऐसे ही कुछ उपद्रवी तत्व रविवार की रात अनासक्ति आश्रम में प्रवेश कर महात्मा गॉंधी को भला बुरा कह रहे थे . आश्रम में ठहरी एक महिला के अनुसार पॉंच छह लड़कों ने रात करीब आठ बजे गॉंधी प्रतिमा के पास गाली गलौज करके भाग गये . यह स्प नहीं है कि वे नशे में थे या होश में.