अचानक जातिगत जनगणना की घोषणा क्यों 

Shivanand Tiwari
शिवानंद तिवारी, राजनीतिक टिप्पणीकार

शिवानन्द , पूर्व मंत्री, बिहार

सरकार ने अचानक जातिगत जनगणना की घोषणा क्यों कर दी ? वह भी तब जब पहलगाम के बैसरन में हुए आतंकी हमले की गूँज अभी भी सुनाई दे रही है.

दरअसल मोदी जी जितना भी शोर मचा लें लेकिन पाकिस्तान के विरुध्द कुछ सकने की स्थिति में वे नहीं हैं.

सिंधु नदी के जल संबंधित समझौते से अचानक निकल जाना संभव नहीं है. वह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो विश्व बैंक की मध्यस्थता में संपन्न हुआ था. सिंधु नदी का एक बूँद भी पानी पाकिस्तान नहीं जाने देंगे, यह मोदी जी द्वारा देश का ध्यान भटकाने का पिटा-पिटाया तरीक़ा है.वैसे भी सिंधु नदी के जल को पाकिस्तान जाने से रोक लेना तकनीकी रूप से संभव नहीं है.आतंकी हमले में मारे गये छब्बीस भारतीयों की हत्या से देश में पैदा हुए ग़ुस्से पर पानी डालने के लिए ऐसा बोलना मोदी जी की मजबूरी थी.

भारतीय सेना को पाकिस्तान के विरूद्ध कार्रवाई की छूट दिए जाने की ख़बर भी उनके बचकाने रणनीति का हिस्सा है. 

इस समय हम आक्रोशित पड़ोसियों से घिरे हुए हैं. चीन के सामने तो मोदी जी का मुँह नहीं खुलता है. इधर शेख़ हसीना पर सारा दांव लगाने की वजह से बांग्लादेश चीन के पाले में चला गया है. 

उधर मधेसी मूल के नेपालियों ने 2015-16 में हिंदुस्तान से नेपाल जाने वाले रास्ते को लगभग साढ़े चार महीनों तक जाम कर दिया था. इसकी वजह से नेपाल में ज़रूरी वस्तुओं की भारी क़िल्लत हो गई थी. चूंकि वह रास्ता हमारी तरफ़ से होकर जाता है, नेपाल का मानना है कि हिंदुस्तान की मौन सहमति के बग़ैर यह संभव नहीं था. वह भी लगभग चीन के ही पाले में है.

इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि पहलगाम की घटना से उपजे ग़ुस्से पर थोड़ा पानी डालने के लिए मोदी जी ने अगली जनगणना जाति आधारित करने की घोषणा की है. अन्यथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तो इसका विरोधी है.

यह खबर सार्वजनिक है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी अभी-अभी प्रधानमंत्री से मिले. लगभग डेढ़ घंटे तक वे मोदी जी के साथ रहे. उसी के बाद संघ की सहमति से सरकार ने अगली जनगणना जाति आधारित कराने की घोषणा की है. 

 

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