सुप्रीम कोर्ट में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर आपराधिक अवमानना कार्यवाही का आरंभ
नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025: सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को भेजे अपने पत्र में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की लिखित सहमति मांगी है।
पत्र में कहा गया है कि दुबे द्वारा की गई टिप्पणियाँ “गंभीर रूप से अपमानजनक एवं भ्रामक” हैं, जिनका उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा एवं अधिकार को ठेस पहुँचाना और न्यायपालिका के प्रति सार्वजनिक विश्वास को कमजोर करना था ।
दुबे ने 19 अप्रैल 2025 को सुनवाई के बीच मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना को “सभी सिविल युद्धों” का जिम्मेदार ठहराया और सुप्रीम कोर्ट पर “धार्मिक युद्ध” भड़कोंने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना होगा तो संसद और विधानसभा बंद करनी चाहिए” ।
अनस तनवीर ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि उन्होंने यह अनुरोध धारा 15(1)(b) के तहत किया है, जिसके अंतर्गत गैर–अधिवक्ता द्वारा अवमानना मुकदमा चलाने के लिए अटॉर्नी जनरल की लिखित सहमति अनिवार्य होती है । पत्र में यह भी कहा गया है कि दुबे के बयानों ने न्यायपालिका की तटस्थता पर कटाक्ष किया है और इससे न्यायालय के प्रति जन विश्वास बिगड़ा है।
कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट्स एक्ट, 1971 की धारा 12 के अनुसार, आपराधिक अवमानना के दायरे में आने वाले मामले में अधिकतम छह माह तक की साधारण कारावास और ₹2,000 तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं; साथ ही यदि न्यायालय को माफी यथोचित लगे तो सजा से छूट दी जा सकती है ।
सूत्र बताते हैं कि यदि अटॉर्नी जनरल जल्द ही सहमति प्रदान करते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताहइस मामले में सुनवाई आरंभ कर देगा । सुनवाई में दुबे के बयानों के कानूनी पहलुओं, आपराधिक अवमानना की परिभाषा तथा दंडात्मक प्रावधानों पर विचार होगा।
भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने पार्टी की ओर से तत्काल दूरी बनाते हुए कहा कि “ये व्यक्तिगत टिप्पणियाँ हैं, पार्टी इनका समर्थन नहीं करती”
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