विमला बहन ने जीवन के 67 वें वर्ष में प्रवेश

रेलवे कालोनी रोजा में  उमाशंकर श्रीवास्तव (रेलवे ट्रेन चालक) और मां सरस्वती देवी के परिवार में 15 अप्रैल 1959 में बड़ी उर्मिला दीदी और निर्मला बहन के बाद तीसरी बेटी के रूप में  जन्मी विमला  बचपन से ही कृतयुगी स्वभाव की रहीं। 

कुछ न कुछ हुनर सीखना जैसे स्वेटर बुनाई,(अपनी नानी और मौसी के गांव मलिनिया में छुट्टियों के दिन में 25 स्वेटर बनाने का 11 वर्ष में रिकॉर्ड) पंखा बुनाई क्रोशिया से शुरू हुई यह यात्रा सिलाई कढ़ाई बुनाई केंद्र की रोजा में शुरुआत करने तक जा पहुंची। इस हुनर का लाभ आगे चलकर जीवन में अत्यधिक मिला। वर्ष 1976 में बड़े जीजा जी स्वर्गीय रमेश भाई हरदोई ने सर्वोदय समाजसेवा का जो बीज बोया वह धीरे धीरे अब वटवृक्ष बन चुका है।         

विमला बहन

VSA संस्था के शैशवकाल में कई वर्ष तक विनोबा सेवा आश्रम का संचालन विमलाजी द्वारा चलाए गए सिलाई स्कूल और विनोबा बाल विद्या केंद्र (बांस पर पॉलीथिन डालकर शुरू किया हुआ स्कूल) के श्रम परिश्रम से ही आगे संचालित होता रहा।         

45 वर्ष की सेवा और पुरुषार्थ की सुदृढ़ मूर्ति है विनोबा सेवा आश्रम बरतारा 

बाबा विनोबा कहते थे कि जब कोई काम में पुरजोर पुरुषार्थ लगता है  तो वह निखरता भी खूब है। विमला जी ने अपने वैवाहिक जीवन के बाद प्रचंड पुरुषार्थ के दर्शन समाज को कराए। सबेरे चार बजे उठकर दोनों बच्चों (मुदित ढाई वर्ष_ मोहित एक वर्ष ) के लिए दिन भर के दूध आदि की  व्यवस्था और (प्रिय कौशल 6वर्ष_ प्रिय नवल 4 वर्ष) के  लिए सुंदर भोजन की व्यवस्था कर  बरेली रोजा (बी आर) पैसेंजर से रोज भागते भागते पकड़कर अपनी दिन की यात्रा शुरू करना, शहर में बस अड्डे से जलालाबाद की 6 बजे की बस को पकड़ना और कांट से आगे गांव जरावन में सिलाई केंद्र हेतु बैंक ऑफ बड़ौदा के सामने उतरना और वहां से फिर काफी अंदर विकन्नापुर छोटे से गांव में लंबे लंबे सेठा खड़े वाली रास्ता से अकेले विनोबा जी का      झोला डालकर विष्णुसहस्त्रनाम के साथ  सिलाई केंद्र पर सिखाने जाना, फिर कुरिया कला में श्री विनय मिश्रा जी के यहां सिलाई केंद्र देखने जाना वहां श्रीमती मिश्रा मददगार थीं, वहां से वापस कांट और शहर होकर स्टेशन से फिर सीतापुर जाने वाली ट्रेन दोपहर साढ़े तीन बजे पकड़ना और उचौलिया 4 बजे उतरकर पड़रा सिकंदरपुर तक भी पैदल, सुखेता को पारकर गांव में चल रहे सिलाई केंद्र को देखना और फिर साढ़े छह बजे तक प्रयत्नपूर्वक वापस रोजा बच्चों के पास पहुंचना। 

एक दिन में पांच केंद्र देखना। यह यात्रा कोई एक आध दिन या हफ्ता नहीं।बल्कि छह माह तक करना।फिर केंद्र बदलकर दूसरे गांव में बहनों के लिए सिलाई ट्रेनिंग सेंटर  चलाना। ऐसे ग्यारह सेंटर संचालित किए. 

बनके तारा गांव में शराब निर्मिति में योगदान कर रहे परिवारों की 40 बहनों को सिलाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें श्री ललित श्रीवास्तव डी एम के हाथों 8 मार्च 83 को सिलाई मशीन भी दिलाने का कार्य किया। 11 सितंबर 1983 का शुभ दिन जब विनोबा आश्रम की शुरुआत अपने पूज्य पिता जी और चाचा वरिष्ठ कवि श्री राजबहादुर विकल के आशीर्वाद से नीरव स्थान बरतारा गांव में हुई। तब विमला जी अपने जीवन के 25 वें वर्ष के पायदान को स्पर्श कर रही थीं।तब उनकी एक टीम बहनों की खड़ी हो चुकी थीं जिसमें लता बहन,  पुष्पा मिश्रा और पुष्पा और अर्चना शुक्ला बहन आदि जुड़ चुकी थीं।जिन्होंने विनोबा बाल विद्या केंद्र रोजा को सुंदर संभाल लिया था।               

विनोबा सेवा आश्रम ने 90 के दशक में कपार्ट भारत सरकार के सौजन्य से वस्त्र बुनाई, टाटपट्टी बुनाई, दरी और कालीन बुनाई, जैसे व्यवसायों के माध्यम से मोहनपुर सरही मजरा बरतारा  गांव की महिलाओं को काम देने का बड़ा संस्थान बन चुका था। उन दिनों विमला बहन को निदेशक के नाते  रिपोर्ट आदि लेकर दिल्ली जाना होता था तो रात के दस बजे लखनऊ मेल में लेडीज कोच में एक छोटा सा बैग लेकर शाहजहांपुर से नई दिल्ली की यात्रा और सुबह स्टेशन के प्रतीक्षालय में तैयार होकर बाहर खड़ी सिटीबस से ऑफिस खुलने के समय कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया वहां पहुंचकर महानिदेशक श्री एस एम पाटणकर जी से मिलकर उन्हें रिपोर्ट दिखाना और मार्क कराकर ऑफिस में वी के बाबू, प्रदीप गुप्ता,सुमन जी के पास जमा करना। और यदि संभव हुआ तो अगली किश्त का चेक भी प्राप्तकर सिटीबस से स्टेशन एक बजे आकर काशी विश्वनाथ के महिला कोच की यात्रा करके रात 8 बजे शाहजहांपुर वापस  पहुंचना।   यह दोनों  दुरूह कार्य उन्होंने करके आश्रम को बहुत आगे बढ़ाया।      

गो सेवा

वर्ष 1999 से विमला जी ने गो सेवा के क्षेत्र में जब कदम रखा तो भी उनकी कोशिश रही कि एक एक छटाक गोबर का संग्रह और गोमूत्र का सम्पूर्ण प्रयोग की समय सारिणी बनाई। 

हरा चारा कैसे भरपूर हो उसके लिए तमाम स्थानों से ग्रास मंगाई। गोमूत्र अर्क और वर्मी कंपोस्ट बनाकर बड़ा काम किया।आज भी वे  अपना ज्यादा समय रोज गायों के बीच गौशाला में  बिताती हैं।और नए नए प्रयोग करती रहती हैं। 

फुलबारी का बहुत बड़ा शौक उन्हें है। आश्रम में दो हजार से ज्यादा छोटे छोटे फूल पौधे दिखाई पड़ जाएंगे। गौशाला में जब  शिवमंदिर उन्होंने बनवाया तो उसके सामने 200 देशी गुलाब के पेड़ एक खेत में लगा दिए जिससे भक्त आकर  वहीं फूल , अकौआ, धतूरा और शमी आदि सब पा सके। सावन के माह में अनेक रुद्राभिषेक भी कराती हैं। सप्ताह में कुछ दिन या दैनिक कुछ घंटे अपनी छोटी बहन अल्पना रायजादा (गुडिया) के साथ फोन पर या प्रत्यक्ष  कुछ वर्षों से (प्रिय महेंद्र रायजादा जी के अकस्मात जाने के बाद) बिताती हैं। 

इधर प्रतिमा बहन के कैंसर की चिकित्सा का अपडेट, इस वर्ष पांचवें नंबर की  संध्या बहन का असमय चले जाना भी दुर्गा इंक्लेव जाने को निरंतर विवश करता ही है। बीच बीच में भाभी उषा(रेलवे शिक्षक रहे छोटे भाई प्रदीप भी किडनी की समस्या में समय से पूर्व चले गए) भी दिल्ली से आकर अपना बच्चों के साथ व्यतीत हो रहे सुंदर जीवन की।चर्चा करने आती तो भाई की यादें जरूर ताजा हो जाती हैं।अपना कुछ समय दादी की भूमिका में हार्दिक सार्थक और नंदन के लिए भी उन्होंने आरक्षित किया है।                

सबेरे साढ़े चार बजे  उठकर रामरक्षाश्रोत का पाठ करते करते सारे किचेन के बर्तन धोना और काढ़ा बनाना, पांच बजे छीतेपुर की प्रार्थना में फोन से शामिल होना,साढ़े पांच बजे आदरणीय गौतम भाई के उपनिषद वर्ग में जरूर जुड़ना, छः बजे विनोबा जी की प्रतिमा के पास संकल्प कुटिया के समक्ष आश्रम प्रार्थना में शामिल होना। भरत राम मंदिर को रोज सवा घंटा समय देना। 

अत्यंत कम समय में अधिक से  अधिक वैरायटी का भोजन बनाना, और कम सर्फ साबुन में अधिक कपड़े अच्छे धोने में  पी एच डी जैसी उन्होंने की है। 

एक बार आश्रम पर बिना सूचना के उत्तराखंड से डा आर एस। टोलिया और बहन मंजू टोलिया आ गईं।उन्होंने कहा कि आपसे थोड़ी बात करनी है बस इस 15 मीना में विमला बहन चाय अच्छी बनाकर पिला देंगी और हम लखनऊ निकल जाएंगे फिर।क्या था विमला जी ने चाय की तैयारी के साथ साथ गैस के दोनों चूल्हे जलाकर जो शुरू किया तो।चाय का आना और उसका खत्म होना नहीं हो पाया तब तक भोजन भी मेज पर लग गया श्रीमती टोलिया ने कहा कि आपने फोन कर दिया हमें नहीं बताया आप।देखो विमला बहन ने खाने की सब तैयारी पहले ही।कर रखी थी।भाई जी ने कहा कि नहीं हमने कोई फोन नहीं किया। हमने कहा कि बहन जी यह सब अभी ही बना। सब लोग आश्चर्यचकित हो गए कि तीन सब्जी दाल चावल रोटी रायता सब कैसे बन गया।  अपने समय का अधिक से अधिक  उपयोग करना उनकी हावी है।    

अब तो दोनों बहुएं दिव्या और सीना के अलावा मदद के लिए आश्रम के काम में मदद के लिए अनेक बहनें कमला बहन रीना बहन मृदुला बहन  और माधुरी शशि सुषमा फूला देवी, के पी, अमरसिंह उपाध्याय आदि सब मौजूद हैं लेकिन आश्रम और कुछ दूर पर स्थित गौशाला  की रोज परिक्रमा विमलाजी फिर भी कर ही लेती हैं।      

आश्रम का चाहें कितना बड़ा VIP कार्यक्रम क्यों न हो सदैव मंच से दूर रहकर या प्रारंभ में दर्शन देकर फिर अतिथियों के लिए सुंदर भोजन की व्यवस्था में जाकर लग जाना।                       

हमारी संरक्षक आदरणीय निर्मला दीदी प्रतिवर्ष देश में अखिल भारत रचनात्मक सम्मेलन अलग अलग स्थानों पर करती थीं। दीदी बाबा विनोबा के जन्मशताब्दी वर्ष में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर सम्मेलन  चाहती थी। बहुत जल्दी में निर्णय कर विमला बहन के साथ  पवनार से सीधे हमलोग चित्रकूट पहुंचे और एक_डेढ़ महीने के अंदर वहां सभी संस्थाओं से जुड़कर देश के साथियों के सहयोग से व्यवस्थाये बनाईं। और वहां अखिल भारत स्तर का वृहत सम्मेलन 30_31 दिसंबर 1995 और 01 जनवरी 1996 को सम्पन्न हुआ। जिसमें और वर्ष 1998 में 18 19 20 अप्रैल को  ऋषिकेश में विश्व रचनात्मक सम्मेलन किया। जिसका उदघाटन पूज्य दलाई लामा ने किया। और देश भर से  आए11 से 15 हजार लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था विमला बहन ने अपनी बहनों की टीम के माध्यम से संभाली। जिसकी सर्वत्र प्रशंसा तो हुई ही और विमलाजी  अन्नपूर्णा के नाम से प्रसिद्ध हुईं। 

इसी के बाद विमलाजी को सर्वाइकल पेन टाइप का कुछ बड़ा दर्द हुआ। जिसकी असहनीय पीड़ा सही नहीं जाती थी।पूरे पूरे दिन और रात अंधेरे कमरे में पानी डाल डालकर काटा गया।अंततः स्थिति यह हुई कि आश्रम साथियों ने दीदी को लखनऊ के लिए यह कहकर विदाई भी दे दी कि अब कठिन है जीवन। श्री जैकब थामस शासन में सचिव उन्होंने एक मित्र डा. कर के पास भेजा,पर उन्होंने तो  और घबरवा दिया। कि ब्रेन ट्यूमर हो सकता है। अब तो लगा कि शायद__ दूसरे दिन संजय गांधी पी जी आई में संजीव जैन जी के माध्यम से आर पी मिश्रा ने अपने न्यूरो विभाग प्रमुख को दिखाने के लिए समय ले लिया।लेकिन हम लोग कुछ विलंब से पहुंच पाए, अच्छी बात यह कि उन्होंने परिसर में ही  अपने आवास  पर हम लोगों को बुला लिया और चर्चा करने लगे, परिचय में विनोबाजी का नाम सुनकर उन्होंने अपनी मां को वहीं बुलाया और कहा कि आप जिन बाबा की अक्सर चर्चा किया करती हो,  उन्हीं महात्मा जी का काम करने वाले लोग है यह। खैर माताजी ने अपने अनेक बाबा से जुड़े संस्मरण हम दोनों को सुनाए,आतिथ्य भी किया।इतनी देर में डाक्टर साहब ने जो कागज थे वह सब देख लिए और अपने ही घर से एक टैबलेट बहुत छोटी सी खिलाई। हम लोगों को लगा कि जहां इतने बड़े_बड़े इंजेक्शन और बड़ी पावर वाली बड़ी बड़ी गोलियां हार मान चुकी ,वहां पर यह टैबलेट क्या करेगी। और दो चार टैबलेट दे भी दीं और कहा कि यही गोली आपको खाना है। जब खत्म हो जाए तो बाहर ले लेना। वहां से निकलकर पहले दुकान से वह टैबलेट ली। फिर आश्रम पहुंचे दो तीन दिन में खूब आराम लगी।उन्होंने फोन नंबर दिया था कि अमुक समय पर हम घर हुआ करेंगे कोई आवश्यकता हो तो बात कर लेना। हमें बात करने की कोई जरूरत नहीं पड़ी बल्कि इसी बीच में सिफसा की तरफ से स्वास्थ्य के प्रशिक्षण हेतु दो बहनों को अमेरिका डेढ़ माह के लिए जाना था।  

अमेरिका जाना

भारत सरकार की सचिव आदरणीय उमा पिल्लई जी ने  आश्रम से विमला बहन और महिला डेरी की कृष्णा गुप्ता को अमेरिका भेजने का निर्णय ले लिया। हमने उनसे निवेदन किया कि विमला जी का स्वास्थ्य अभी बहुत खराब रहा। वह कैसे डेढ़ माह के लिए अमेरिका जा सकेंगी। फिर भी हम डाक्टर की राय लेने  लखनऊ गए उनसे  उस संदर्भ में बात हुई। उन्होंने कहा बहन जी बिल्कुल जाएं । एक टैबलेट फिर लिख दी, कहा, आवश्यकता पड़े तो ले लेना। क्योंकि वहां बिना डाक्टर के लिखे कोई दवाई मिल नहीं सकती। लोगों की राय से आवश्यक बीमे भी कराए गए। अंततः विमला जी दिल्ली में निर्मला दीदी का आशीर्वाद लेकर वहां के छह बड़े बड़े शहरों में गईं।और 45 दिन के बाद  पूर्ण सकुशल वापस आईं। यह सब कुछ बाबा की कृपा से ही संभव हो सका।               

बाबा विनोबा की पुण्यस्थली पवनार में भी प्रतिवर्ष सेवा देने मित्रमिलन में टीम के साथ अनेक वर्षों से 5 नवंबर से  20 नवंबर तक के लिए निरंतर विमला जी जाती हैं। वर्ष 1989 में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार और 2011में बाबा विनोबाजी के  आशीर्वाद से रचनात्मक क्षेत्र में जमनालाल बजाज पुरस्कार मिलना इस परिश्रम पुरुषार्थ की उपलब्धि है। जिन लोगों ने गांव की  1500 महिलाओं को कालीनबुनाई के क्षेत्र में (एक इंच में 30 नॉट्स लोकल कार्पेट से 300 नॉट्स एक्सपोर्ट कार्पेट तक) की यात्रा देखी ,भले ही उनकी भविष्यवाणी अभी पूर्ण नहीं हुई है।लेकिन उनका यह कहना कि आपकी मेहनत उस सम्मान की पात्र है। सेवक  के लिए वही बड़ी बात है। विनोबा सेवा आश्रम की 15 वर्ष (1981से1996 तक) निदेशक और 25 वर्ष (1996से 2021 तक)  सचिव के रूप में समय देकर अभी विनोबा आश्रम के संरक्षक का दायित्व संभाले हुए हैं। देश की अनेक राष्ट्रीय दायित्वों/ संस्थाओं के पदभार से मुक्त होकर अभी विनोबा गो सेवा सदन की मात्र अध्यक्षा हैं। जिले में भी जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य,मेडिकल कालेज, समाज कल्याण और न्याय फैमिली कोर्ट के क्षेत्र में कार्यरत समितियों में अपना सक्रिय योगदान देती रहती हैं। 

प्रदेश और देश की अनेक संस्था मित्रों से अपना संबंध निर्वाह करती रहती हैं। अपने अनुभव का लाभ समुद्देश्य के लिए कार्यरत संस्थाओं को देती रहती हैं।आश्रम साथियों को मात्र उनकी भौतिक उपस्थिति से भी  शकून मिलता है। वह आश्रम परिसर में जिस ओर निकल जाएंगी,उधर के सभी साथी मानकर चलते हैं कि हमने अपने विभाग में कितना ही स्वच्छता का ध्यान रखा हो।लेकिन दीदी की नजर में कोई न कोई स्थान तो ऐसा निकल ही आएगा जो कल का टास्क बनेगा। सफाई और व्यवस्था के मामले में विमला बहन की दृष्टि बहुत पैनी है।उनके सामने वह कैसे भी छिप नहीं सकती।           

विमला बहन के साहस के तमाम संस्मरण स्मृति में कुलबुला रहे हैं फिर भी एक बताना आवश्यक है। निर्मला दीदी ने तिब्बत मुक्ति साधना के क्रम में चीन की सीमा पर कलिंगपोंग में सत्याग्रह करने का  निर्णय ले लिया। और जाने की तारीख किसी को जानकारी नहीं किसे  किसे जाना है।अचानक एक फोन आता है कि साढ़े तीन बजे अवध आसाम ट्रेन शाहजहांपुर पहुंचेगी इसमें आश्रम से आप चार लोगों को लेकर रेलवे स्टेशन पहुंचिए। मेरा चूंकि एक वर्ष का श्रम स्वाध्याय मंदिर पर एक वर्ष रहने का संकल्प चल रहा था। हमें लगा कि शायद इस बार आश्रम को जरूर असमर्थता व्यक्त करनी पड़ेगी लेकिन विमला बहन ने एक घंटे के बाद आकर हमारी संकल्प कुटिया में बताया कि हम चार लोग  जाने वाले हैं।इनके माता पिता परिवार से अनुमति ले ली गई है और यह भी बता दिया गया है। कि शायद नहीं भी लौट सकते हैं। फिर भी उन लोगों ने हां कहा है।उस समय एक बजा था तब तक फिर दीदी का फिर फोन आया, तो  हमें लगा कि दीदी पूछेंगी कि क्या रहा कौन कौन जा रहा है लेकिन दीदी ने फोन पर कहा कि दो लोग जो मुरादाबाद में आने वाले थे वे नहीं आ  पाए, तुम्हें दो लोग और भेजने हैं।फिर खोजबीन शुरू हुई और सर्वेश वर्मा जैसे साहसी साथी तैयार हुए और अपनी ट्रेन पकड़कर कलिंगपोंग गए।वहां सम्पूर्ण सत्याग्रह में रिमपोछे जी और दीदी तो थी ही, लेकिन सबसे बड़ी बात थी कि वहां पर आदरणीय नानाजी देशमुख का सानिध्य भी सभी को  मिला। सुंदर ढंग से कठिन सत्याग्रह को पूर्ण कर टीम के वापस आने पर आश्रम में सभी का स्वागत भी हुआ। ऐसे समयों पर विमला जी ने सदैव साहस ही  दिखाया। विमला जी को कठिनाइयों से न डरनेवाली महिला के रूप में जाना जाता रहा है। कार्यरत संस्थाओं को देती रहती हैं।आश्रम साथियों को मात्र उनकी भौतिक उपस्थिति से भी  शकून मिलता है। वह आश्रम परिसर में जिस ओर निकल जाएंगी,उधर के साथी मानकर चलते हैं कि हमने अपने विभाग में कितना ही स्वच्छता का ध्यान रखा हो।लेकिन दीदी की नजर में कोई न कोई स्थान तो ऐसा निकल ही आएगा जो कल का टास्क बनेगा। 

सफाई और व्यवस्था के मामले में विमला बहन की दृष्टि बहुत पैनी है।उनके सामने वह कैसे भी छिप नहीं सकती।  विमला जी को कठिनाइयों से न डरनेवाली महिला के रूप में जाना जाता रहा है। विहाई जैसे संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, upvha की अध्यक्ष, खादी कामगार कोश की सचिव रहकर भी सरकार में अपनी बात सदैव दृढ़ता के साथ रखने का उनका अपना ढंग है। आश्रम को कभी सिद्धांतों से उन्होंने डिगने नहीं दिया। वह आज भी।उसी।दृढ़ता के साथ खड़ी हैं। आजकल आंखों के  मोतियाबिंदु ऑपरेशन के लिए थोड़ा इस बात के लिए चिंतित हैं कि कहां कराया जाए।हालांकि अभी भी  पढ़ना, मोबाइल चलाना सब बिना चश्मे से ही करती हैं। हम सबका विश्वास बाबा पर है वहीं डाक्टर को सद्बुद्धि देगा कि वह विमला जी से कहेगा कि बहन जी आप हमें यह अवसर दीजिए। 

आश्रम ने देखा ही है कि मेरे रीढ़ के ऑपरेशन में यही हुआ था। बहुत बड़े चिकित्सक डॉ भरत पटेल ने स्नेह दिया। आधा मर्ज तो खुद डाक्टर पर विश्वास के बाद ही खत्म हो जाता है। आधा उसकी विशेषज्ञता का लाभ मिलता है। वरुण अर्जुन मेडिकल कॉलेज के  अध्यक्ष डा अशोक अग्रवाल प्रतिवर्ष कई कैंप आश्रम के साथ संबद्ध कर लगाते हैं।अभी 29 अप्रैल को जय प्रभा कुटीर छीतेपुर में शिवालय में मूर्ति स्थापना के समय वृहत कैंप करने का तय किया है। 

इसी प्रकार सीतापुर आंख अस्पताल के श्री रामकिशोर शुक्ला जी प्रतिवर्ष 18 जनवरी स्थापना दिवस 11 सितंबर विनोबा जयंती 11 अक्टूबर जयप्रकाश जयंती को आंख का शिविर करते हैं और अनेक जरूरतमंदों के अपनी बस से वहां मोतियाबिंदु ऑपरेशन सीतापुर ले जाकर संपन्न करते हैं। आश्रम इस प्रकार की सेवा पहुंचाने का काम भी करता आ रहा है।       

विमला देवी से विमला बहन से अब विमला बा तक का सफर 66 वर्ष में जाकर पूर्ण हुआ। संपूर्ण जीवन बा, बापू, बाबा के विचारों की पूर्ति में बीता,मैं अपना यही सौभाग्य मानती हूं।*विमला बहन*           रोजा नोटिफाइड एरिया जूनियर हाई स्कूल के राधेश्याम गुरु जी ने एक बार स्कूल के कार्यक्रम में मुझसे कस्तूरबा की भूमिका करने को   कहा था। भरपूर प्रयास कर मैने उसको निर्वाह किया। लेकिन यह किसे मालूम था कि एक दिन वास्तव में बा का खिताब मिल जाएगा। जिसदिन हमने विनोबा सेवा आश्रम परिवार को अपनाया। उस दिन भी वहां 12 बच्चों की एक टोली हमको भाभी कहने वाली मिली।उसी टोली के एक सदस्य कौशल कुमार (जो वर्तमान में जूनियर हाई स्कूल सिमरई शाहजहांपुर के प्रधानाध्यापक हैं) ने जय प्रभा कुटीर छीतेपुर में कल शाम को आयोजित विमला बहन के जन्मदिन कार्यक्रम

 में व्यक्त करते हुए कहा कि हमने अपनी बहुत छोटी उम्र में माता पिता की गोद छिन जाने के बाद विमला भाभी को ही मां के रूप में देखा। आज से हम सब उन्हें सामाजिक तौर पर विमला बा के रूप में ही जानें।            गांव के बुजुर्ग श्री राजेंद्र पाल सिंह ने कहा कि विमला इस गांव में बहू के रुप में आती थीं तब भी वे अनेक सासों की सभी प्रकार की मदद कर जाती थीं।गांव के लोगों से उनका बहुत स्नेह था। बन का तारा को अपनी तपस्या से बरतारा बनाने वाली विमला बहन को आज से बा कहने का निर्णय अति गौरवमयी है। श्री हरवंश कुमार ने कहा कि हम सभी परिवार के लोगों ने आपसे अथाह प्यार पाया है। हम सब की शिक्षा दीक्षा में भी योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।   श्री मुदित कुमार ने कहा हमने अपनी मां के रूप  के साथ साथ उन्हें समाज सेवक के रूप में ज्यादा देखा है।  दिव्या सीना ने भी इसी प्रकार के भाव रखे। राष्ट्र धर्म प्रचार समिति सदगुरुदेव मंडल की सुश्री कविता येणुरकर ने कहा कि  *निर्भय हो इस देश कि माता* मंगल कीर्ति करावे।

राष्ट्रसंत टुकड़ों जी महाराज कहते हैं भारत की बेटी निर्भय होकर समाज में अपनी तरक्की करे उसमें कोई दिक्कते आएं तो भी वह पीछे नहीं हटे, यहीं बात  हमें विनोबा विचार प्रवाह के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री रमेश भैय्या जी की अर्धांगिनी विमला दीदी में दिखती है

ऐसा कहा जाता है कि हर उन्नत पुरुष के पीछे  किसी नारी का हाथ होता है  रमेश भैय्या जी के साथ विवाह बंधन से जुडी तबसे उनके सभी काम में आगे बढकर काम करती रहीं। उसमें बहुत कठिनायियों का सामना करना पडा, ज्यादा  भागदौड करनी पडी लेकिन कभी कोई काम में हार नहीं मानी। महिलाओंका विकास कैसे हो वह स्वावलंबी कैसे बने उनके लिये सिलाई मशीन प्रशिक्षण अलग अलग गाव में लगाना, ऑफिस काम के लिये बाहर जाना , परिवार में बच्चों का बुजुर्ग का सबका ख्याल रखना अपना संपूर्ण जीवन ही समर्पित करनेवाली,रसोई में भोजन बनानेवाली दीदी लोगों को सहयोग देना।.    ऐसी हमारी सर्वोदय जगत की ज्येष्ठ साथी जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित विमला दीदी बहनों के लिए आदर्श हैं।           आज फोन पर पवनार आश्रम की आदरणीय गंगा दीदी का आशीर्वाद मिला। 

श्री जयेश भाई पटेल गुजरात का वॉयस मैसेज, महेंद्र दुबे सहयोग शाहजहांपुर, हरीश_ रश्मि  भोपाल, श्री सुरेश श्रीवास्तव हरदोई, के एम भाई कानपुर, श्री मनोज मिश्रा पिहानी एवं अम्बरीष  सक्सेना शाहाबाद हरदोई दीपक चितले भोपाल श्री एल बी राय सचिव गांधी भवन , श्री जे पी शर्मा हेल्थ विशेषज्ञ लखनऊ, राम प्रताप दीक्षित सिटी पार्क, अल्पना_शरद मेहरोत्रा  आरोह वेल्फेयर सोसाइटी, रवि सिंह नोएडा ओमपाल सिंह  आर्यभट्ट मोहंती उड़ीसा,शिव विजय भाई बांदा, पत्रकार श्री संजय जैन जी शाहजहांपुर, शिक्षाविद शशि खरे, के बी सिंह जे पी एस फाउंडेशन, डॉ रूपेश चंद्रा प्रकृति बांबे,वेंकटेश गुप्ता दिल्ली, अजय शर्मा जी, श्री सी पी पांडे सिटी बस प्रभारी, वेंकट भाई तेलंगाना, कुमार अवनीश DGM रोजा पावर, प्रोफेसर भारती बहन एवं डा दिनेश कुमार दिल्ली तपस कुमारलखनऊ झांखना  जोशी अहमदाबाद, चंद्र सैनसिंह जौनपुर राधे रमन तिवारी लीड बैंक मैनेजर, ब्रह्मदेव प्रबंधक वृद्ध जन आश्रम बरतारा डॉ सुजाता चौधरी भागलपुर बिहार, राजेंद्र यादव जागते रहो यात्रा, सुमन श्रीवास्तव दीदी लखनऊ, आराधना श्रीवास्तव रोजा, ब्रज गोपाल शर्मा गुरु जी, श्री कृष्ण विष्ट अल्मोड़ा रामायण भाई फोर्सेज नेटवर्क

 बबीता चौधरी बहन एवं शंभू शाह राष्ट्रीय हरिजन सेवक संघ अमित सिंह गुर्री इटोरिया श्री सुरेश तिवारी लखनऊ सौरभ श्रीवास्तव पीलीभीत तनुजा बहन वाराणसी डा. ज्योति मिश्रा झांसी राकेश पांडे,संजीत इलाहाबाद, के एन पांडे लखनऊ कुसुम जौहरी लखनऊ ओम प्रकाश माथुर बनारस  श्री विनोद प्रकाश श्रीवास्तव फूफा जी, साथी श्री रितेश सिंह , गांधी आश्रम के तपोनिष्ठ मंत्री श्री दीना नाथ तिवारी काशीपुर, डा विनोद सेठी कैपिटल फाउंडेशन दिल्ली श्रीमती  अलका प्रकाश पांडे, शांतिकुंज हरिद्वार के श्री कैलाश महाजन  श्री पंकज मिश्रा  श्री अम्ब्रिश कुमार श्रीवास्तव ग्रामीण उनमेश संस्थान बांदा,राजदेव चतुर्वेदी आजमगढ़, अरुण सिंह समन्वयक हेल्प कार्यक्रम, श्री कन्हैया सक्सेना शाहजहांपुर, रानी कौर दिल्ली, श्री   जयअग्रवाल शाह. , संजय राय सचिव हरिजन सेवक संघ , उर्मिला बहन ट्रस्टी गांधी आश्रम ट्रस्ट, शंकर भाई चित्रकूट, श्री अनुपम आनंद जी बरेली,श्री प्रवीण। दु गुजरात, श्रीभगवान शर्मा जी कोषाध्यक्ष अखिल भारत रचनात्मक समाज दिल्ली , आनंद हरदोई सुमेधा सेवार्थ बदायूं श्रीमती श्वेता गुप्ता विसर्जन आश्रम इंदौर, डा अनुपम    पांडे लखनऊ प्रभात पांडे प्रतापगढ़ अशोक यादव कांट, संदीप भाई और नलिनी दीदी पवनार  रामजी जायसवाल लखनऊ श्री संजीव किशोर शाहजहांपुर और आदरणीय ज्योति दीदी पवनार वर्धा आश्रम का शुभकामना संदेश पाकर सभी को अच्छा लगा। परिवार के श्री अनुराग श्रीवास्तव दिल्ली का हिंदी में अति सुंदर संदेश आया। हैदराबाद की गोल्ड बैंक की अधिकारी सुश्री।अदिति रायजादा ने विमला बहन को दूर होकर भी अपनी थैंक्स कहा। छीते पुर गांव के संस्कार केंद्र के सैकड़ों बच्चों ,सिलाई सीख चुकी गांव की युवतियों ने गोरी देशमुख के साथ तुकाराम तुकाराम धुन पर गरबा आदि करके खुशी का इजहार किया। अपने पौत्र अभिनन्दन हार्दिक सार्थक की उपस्थिति में केक वितरित करने की औपचारिकता निर्वाह करते हुए अपने जीवन के 67 वें वर्ष में प्रवेश किया। संचालन बृजेंद्र अवस्थी ने किया।सभी का आभार श्री मोहित कुमार ने किया।

रमेश भैय्या , विनोबा आश्रम बरतारा शाहजहॉंपुर

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