कथाकार शेखर जोशी नहीं रहे
सन 1932 के सितंबर महीने में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओरिया गांव में जन्मे हिंदी के सुपरिचित कथाकार शेखर जोशी का शरीर आज हमारे बीच में नहीं रहा। अपनी रचनाओं के माध्यम से वे सदैव हमारे बीच जीवित ही रहेंगे।
पिछली शताब्दी का छठा दशक हिंदी कहानी के लिए एक युगांतर कारी दशक साबित हुआ, जिसमें नई कहानी आंदोलन का जन्म हुआ। शेखर जोशी जी इस आंदोलन के बीच जन्मी प्रतिभाओं में अपना अन्यतम स्थान रखते हैं। उनकी कहानियां नई कहानी आंदोलन के प्रगतिशील पक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं। समाज का मेहनतकश और सुविधाहीन तबका उनकी कहानियों में जगह पाता रहा है। निहायत सहज एवं आडंबरहीन भाषा शैली में वे सामाजिक यथार्थ के बारीक नुक्तों को पकड़ते और प्रस्तुत करते दिखाई देते हैं। उनके रचना संसार से गुजरते हुए समकालीन जनजीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है | शेखर जोशी जी की कहानियों का कई भारतीय भाषाओँ के अतिरिक्त अंगरेजी, चेक, पोलिश, रुसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कहानी दाज्यू पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा फिल्म का निर्माण किया गया है। शेखर जोशी की प्रमुख प्रकाशित रचनाएं हैं:
• कोशी का घटवार 1958
• साथ के लोग 1978
• हलवाहा 1981
• नौरंगी बीमार है 1990
• मेरा पहाड़ 1989
• डागरी वाला 1994
• बच्चे का सपना 2004
• आदमी का डर 2011
• एक पेड़ की याद
• प्रतिनिधि कहानियां
ऐसे महान कथाकार को हिंदी कथा साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए इटावा हिंदी सेवा निधि द्वारा अपने रजत जयंती समारोह के अवसर पर वर्ष 2017 में संस्था का सर्वोच्च जनवाणी सम्मान दिया गया था। इटावा हिंदी सेवा निधि शेखर जोशी जी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करता है |
दिलीप कुमार,
न्यासी, इटावा हिंदी सेवा निधि |
दिनांक-०४ अक्टूबर, २०२२