अब हिजाब से नफरत
भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों के खिलाफ अक्सर तरह-तरह के तजुर्बे करती रहती है
हिसाम सिद्दीक़ी
आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों के खिलाफ अक्सर तरह-तरह के तजुर्बे करती रहती है और नफरत फैलाती रहती है, अब हिजाब से नफरत कर रहे हैं । मकसद यह होता है कि किसी भी तरह आम हिन्दुओं को भड़काकर भारतीय जनता पार्टी की हिमायत में पोलोराइज किया जा सके। अब इन फिरकापरस्त ताकतों ने हिजाब को निशाना बनाया है जिसकी शुरूआत कर्नाटक के उड़पी से हुई। जहां गवर्नमेंट प्री. यूनिवर्सिटी कालेज फार गर्ल्स में आधा दर्जन मुस्लिम लड़कियों को सत्ताइस (27) दिसम्बर 2021 को क्लास में जाने से सिर्फ इसलिए रोका कि उन लड़कियों ने हिजाब पहन रखा था।
इस मामले पर हंगामा हुआ तो कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने मसले को हल करने का मुस्लिम मुखालिफ तरीका अख्तियार कर लिया और पांच फरवरी को एक नोटिफिकेशन जारी करके कर्नाटक के तमाम स्कूल कालेजों में हिजाब पर पाबंदी लगाने का एलान कर दिया। इस नोटिफिकेशन के बाद पूरे कर्नाटक में हंगामा मच गया, क्योंकि नोटिफिकेशन में यह लिख दिया गया कि अम्न, भाईचारा, नज्म व नस्क और फिरकावाराना हमाहंगी (सम्प्रदायिक सद्भाव, शांति और कानून व्यवस्था) बिगाड़ने वाले कपड़े स्कूल कालेजों में नहीं पहने जा सकते।
कर्नाटक की जहरीली बीजेपी सरकार और उसमें बैठे जाहिल वजीरों व अफसरान को किसी लड़की का हिजाब नज्म व नस्क और फिरकावाराना हमाहंगी खराब करने का जरिया दिख गया। यह वही लोग हैं जो लड़कियों और ख्वातीन को बिकनी और टापलेस देखकर तालियां बजाते हैं। पूरे देश के कालेजों में बड़ी तादाद में लड़कियां जींस-टाप या जींस और मामूली टी-शर्ट पहनकर जाती है जिसमें उनके जिस्म के तमाम नशेब व फराज जाहिर होते है। उसपर भी इन फिरकापरस्तों को कोई एतराज नहीं होता।
मुसलमानों को असल एतराज इस बात पर है कि कर्नाटक सरकार के नोटिफिकेशन में हिजाब को अम्न व अमान और नज्म व नस्क (कानून व्यवस्था) के लिए खतरा क्यों बताया गया। आखिर हिजाब से खतरा क्या हो सकता है? कालेज आने वाली कोई भी लड़की अगर सर ढक कर आती है तो वह बाकी बच्चों के लिए खतरा कैसे कही जा सकती है और सरकार को यह खतरा अभी क्यों नजर आया।
मुस्लिम लड़कियां हिजाब का इस्तेमाल तो बरसों से करती आ रही हैं। तब यह खतरा क्यों नहीं था। उडपी के जिस कालेज से सबसे पहले इस तनाजे (विवाद) की शुरूआत हुई उसकी प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने यह भी कह दिया कि उनके कालेज में जो छः मुस्लिम लड़कियां हैं और वह हिजाब पहनकर आती हैं। उनका ताल्लुक कैम्पस फ्रण्ट आफ इंडिया से है जो पापुलर फ्रण्ट आफ इंडिया की शाख की शक्ल में तालीमी इदारों में काम करती है। इसलिए इन लड़कियों ने हिजाब पर पाबंदी के खिलाफ हंगामा किया है। अब प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा से कौन पूछे कि पूरे कर्नाटक में तकरीबन तमाम स्कूल-कालेजों में मुस्लिम लड़कियां कह रही हैं कि वह हिजाब का इस्तेमाल जरूर करेंगी क्योकि हिजाब की पाबंदी उनके मजहब इस्लाम ने आयद की है तो क्या वह सारी लड़कियां कैम्पस फ्रण्ट आफ इंडिया की हैं?
कर्नाटक सरकार ने पांच फरवरी को बगैर कुछ सोचे-समझे सरकारी स्कूल-कालेजों में हिजाब पर पाबंदी लगा दी। मरकजी वजीर गिरिराज सिंह इस मामले में कूद पड़े। उन्होने कह दिया कि हिजाब के जरिए कुछ लोग देश में इस्लामिक स्टेट को मजबूत करना चाहते हैं लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। उधर उड़पी के बीजेपी मेम्बर असम्बली रघुपति भट्ट भी हिजाब के खिलाफ मैदान में आ गए। मध्य प्रदेश सरकार ने भी साफ इशारा कर दिया कि मध्य प्रदेश में हिजाब नहीं चलने दिया जाएगा। मध्य प्रदेश के वजीर तालीम इंदर सिंह परमार ने एलान कर दिया कि मध्य प्रदेश में भी बहुत जल्द वह स्कूल कालेजों के लिए यूनिफार्म तय करने वाले हैं। इतना ही नहीं उधर कर्नाटक में हंगामा हुआ तो इधर उत्तर प्रदेश एलक्शन में भी बीजेपी के कुछ लोग हिजाब को ले आए, इसका क्या मतलब है। क्या कर्नाटक का तनाजा (विवाद) एक बाकायदा सोची समझी साजिश का नतीजा नहीं है।
कर्नाटक में हंगामे से ठीक एक दिन पहले वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने पार्लियामेंट में कहा था कि ‘इस देश को कांग्र्रेस बांटना चाहती है लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे, क्योकि देश संविधान और ‘सर्वधर्म सम्भाव’ (सभी मजाहिब का एहतराम) से ही चलेगा। अब मोदी को यह भी बताना चाहिए कि कर्नाटक में जो कुछ हो रहा है और मध्य प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार जो करने जा रही है क्या यही उनका ‘सर्व धर्म सम्भाव’ है?
कर्नाटक के जिन कालेजों में हिजाब वाली लड़कियां तालीम हासिल कर रही हैं उनमें भगवा ब्रिगेड ने भगवे रंग की भी तौहीन करने की हरकत की है। बड़ी तादाद में तलबा को भगवा अगौंछे तकसीम किए गए। छोटे-छोटे बच्चों तक को नफरत फैलाने में इस्तेमाल किया गया। उन्हें भगवा पगड़ी पहना कर कालेज भेजा गया। यह लोग कालेज में जुलूस की शक्ल में जय श्रीराम के नारे लगाते हुए पहुंचे।
अगर इन्हें सिर्फ हिजाब के खिलाफ एहतेजाजन ही भगवा अगौंछे और पगड़ियां दी गई थीं तो यह इन्हें इस्तेमाल करके सीधे अपने क्लास में चले जाते, जय श्रीराम के नारों का क्या जवाज (औचित्य) है। यह इतने बुजदिल भी हैं कि माड्या के एक कालेज में मुस्कान नाम की एक तालिबा बुर्के में स्कूटी चलाती हुई आती है वह अपनी स्कूटी खड़ी करके क्लास की तरफ जाने लगती है तो भगवा ब्रिगेड के लड़के उसके पीछे लग जाते हैं और जय श्रीराम के नारे लगाते हैं। मुस्कान इन गुण्डों से बिल्कुल खौफजदा नहीं होती, शुरू में तो वह खामोश रहती है लेकिन जब नारेबाजी करने वाले गुण्डे बिल्कुल उसके पास आ जाते हैं तो वह भी पलटकर खड़ी होती है और ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे बुलंद करती है।
किसी गुण्डे की इतनी हिम्मत नहीं होती कि आगे बढकर उसे अल्लाह हू अकबर का नारा लगाने से रोक सके। इसी दरम्यान कालेज के प्रिंसिपल और कुछ टीचर आ जाते हैं और जय श्रीराम का नारा लगाने वाली भीड़ को वापस जाने को कहते हैं। एक अकेली मुस्कान ने पचासां गुण्डों को मुंह तोड़ जवाब दिया तो उसकी वीडियो देश ही नहीं दुनिया भर में वायरल हो गई। गोदी मीडिया समेत तकरीबन सभी टीवी चैनलों ने मुस्कान का इंटरव्यू किया। क्या मुस्कान जैसी हिम्मत हिजाब के बहाने नफरत फैलाने वाले किसी भगवा गुण्डे में भी है?
ये लेखक के निजी विचार हैं।