UP : गोरखपुर में ‘भीम आर्मी’ के चंद्रशेखर आजाद देंगे योगी आदित्यनाथ को चुनौती
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से पांच बार सांसद रह चुके हैं, जबकि चंद्रशेखर आजाद ने पहले चुनाव नहीं लड़ा
आजाद देंगे योगी आदित्यनाथ को चुनौती : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ के पहले प्रतिद्वंद्वी की घोषणा हो चुकी है. वह हैं ‘भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद. गोरखपुर शहर से विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को चुनौती देने के लिये भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद पूरी तरह तैयार हैं. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से पांच बार सांसद रह चुके हैं, जबकि चंद्रशेखर आजाद ने पहले कभी चुनाव नहीं लड़ा है.
बता दें कि दलित नेता आजाद ने नवंबर में वापसी की घोषणा की थी और कहा था कि वह योगी आदित्यनाथ को चुनौती ज़रूर देंगे. अब उनकी ‘आज़ाद समाज पार्टी’ ने आधिकारिक तौर पर योगी आदित्यनाथ को चुनौती की घोषणा की है.
भाजपा द्वारा योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से चुनाव लड़ने का खुलासा करने के कुछ ही दिनों बाद आजाद समाज पार्टी ने यह निर्णय लिया. बेशक इस विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार होंगे, जिसकी घोषणा अब तक नहीं की गई है. लेकिन इस बीच आजाद ने अपना वायदा निभाते हुये कहा कि वे पहले भी कह चुके हैं कि उनका मकसद मुख्यमंत्री को चुनौती देना है, उनसे लड़ना है, चाहे सीएम के खिलाफ उस विधानसभा सीट से कितने भी उम्मीदवार क्यों न खड़े हों!
उन्होंने कहा “मैं पिछले पांच सालों में अकेला ऐसा राजनेता हूं जिसने आधा समय जेल में बिताया है. इस सरकार के कारण मैं इतने लंबे समय तक जेल में रहा इसलिये इस सरकार में मुख्यमंत्री रहे योगी आदित्यनाथ को एक और बार यह विधानसभा सीट जीतकर सीएम की कुर्सी में बैठने का मौका नहीं दूंगा. अपनी इसी प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिये मैं उनके खिलाफ लड़ रहा हूं. हालांकि, मैदान खुला है और यहां से जो भी चाहे विपक्षी दल के रूप में लड़ सकता है. वैसे भी, मैं केवल उसके खिलाफ लड़ रहा हूं.”
बता दें कि भीम आर्मी प्रमुख और उनकी पार्टी का गोरखपुर या पूर्वी उत्तर प्रदेश में कोई आधार नहीं है. 34 वर्षीय आजाद ने साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ने की घोषणा की थी लेकिन बाद में पीछे हट गए थे. इस सवाल पर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि चूंकि उस समय उनकी कोई पार्टी नहीं थी, इसलिए उन्होंने मायावती की पार्टी और कांग्रेस का समर्थन करना बेहतर समझा था.
कौन हैं चंद्रशेखर आजाद उर्फ़ रावण
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर का जन्म सहारनपुर के धडकूलि गांव में हुआ था. इनके पिता गोवर्धन दास एक सरकारी स्कूल के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल थे. इसी जिले के एक स्थानीय कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई की है. वे पहली बार साल 2015 में विवादों में आये और इस बार यूपी लोकसभा चुनाव ने उन विवादों को फिर से हवा दे दी है. बता दें कि उनके विवाद का कारण अपने मूल स्थान पर एक बोर्ड लगाना था. इस बोर्ड पर ‘धडकाली वेलकम यू द ग्रेट चमार्स’ लिखा था. जिसने गांव में दलितों और ठाकुरों के बीच तनाव पैदा कर दिया था. अपने इस कृत्य के बाद चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोरीं. इन्होंने व्हाट्सअप और फेसबुक के जरिए लोगों को भीम आर्मी से जोड़ने का काम भी किया.
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आइये आपको आजाद की सामाजिक सक्रियता के बारे में बताते हैं…
आजाद ने दलित आइकन के रूप में लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है. वे अपनी अलग स्टाइल के लिए भी जाने जाते हैं. भीम आर्मी के अध्यक्ष आजाद ने अपनी ताकत उस समय दिखायी, जब नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में दलितों ने पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया था. सहारनपुर जिले में दलितों पर हुई हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन के बाद चंद्रशेखर ने कहा था कि यदि 37 निर्दोष दलित जमानत पर रिहा किये जाएं, तो वे आत्मसमर्पण कर देंगे. संघर्ष के बाद आजाद को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया. वह 16 महीने जेल में रहने के बाद सितंबर 2018 में रिहा हुए.
जानें भीम आर्मी के बारे में
भीम आर्मी एक बहुजन संगठन है, जिसे भारत एकता मिशन भी कहा जाता है. भीम आर्मी को अब आजाद समाज पार्टी के नाम से जाना जाता है. यह आर्मी दलित चिंतक सतीश कुमार की सोच है, जिसे साल 2014 में चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ और विनय रतन आर्य ने दलित वर्गों के विकास के लिए स्थापित किया. भीम आर्मी का कहना है कि वह शिक्षा के माध्यम से दलितों के लिए काम कर रही है. इस आर्मी की चर्चा में आने की वजह थी जाति संघर्ष. हिंसा के आरोपों के बाद भीम आर्मी के मुख्य कर्ताधर्ता चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था. चंद्रशेखर की अगुवाई में लगभग 25 युवा भीम आर्मी संभालते हैं.