इंडोनेशिया: पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने इस्लाम छोड़ अपनाया हिंदू धर्म, जानें क्या हैं कारण?

कभी मुसलमानों से मांगनी पड़ी थी माफी

हिंदू धर्म छोड़कर लोगों के इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने की खबरें तो हम अक्सर सुनते हैं, लेकिन ऐसा कम ही बार सुनने को मिलता है कि किसी ने ​इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म को अपना लिया हो, वह भी अचरज की बात यह है कि यह घटना अपने भारतवर्ष की नहीं, बल्कि इंडो​नेशिया की है, जो एक मुस्लिम बहुल देश है. चौंकने की वजहें यहीं खत्म नहीं होती. आश्चर्य की बात यह भी है कि वह इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म को अपनाने वाली यह महिला कोई सामान्य परिवार से ताल्लुक नहीं रखतीं, बल्कि वे इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो की बेटी सुकमावती हैं.

मीडिया स्वराज डेस्क

कहते हैं बचपन में हम माता पिता से कहीं ज्यादा दादा दादी के करीब होते हैं. यही वजह होता है कि हमारी जिंदगी पर दादा दादी की बातों का असर भी ज्यादा और लंबे समय तक रहता है. ऐसा ही कुछ शायद इंडोनेशिया में पूर्व राष्ट्रपति की बेटी सुकमावती पर भी असर रहा, जिसका परिणाम हुआ कि 69 साल की उम्र में उन्होंने इस्लाम छोड़ हिंदू धर्म को अपना बना लिया.

69 साल की सुकमावती इंडोनेशिया के पूर्व राष्‍ट्रपति सुकर्णो की बेटी हैं, जिन्होंने इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है.

सुकमावती के धर्म परिवर्तन के लिए बाली के सुकर्णो सेंटर हेरिटेज एरिया में एक पारंपरिक कार्यक्रम किया गया.

सुकमावती के धर्म परिवर्तन के लिए बाली के सुकर्णो सेंटर हेरिटेज एरिया में एक पारंपरिक कार्यक्रम किया गया.

इसमें सुधी वदानी प्रक्रिया के जरिए सुकमावती हिंदू धर्म में शामिल हुईं. उनके इस फैसले से हमारे देश में नहीं, बल्कि उनके देश में सभी हैरान हैं.

इसमें सुधी वदानी प्रक्रिया के जरिए सुकमावती हिंदू धर्म में शामिल हुईं. उनके इस फैसले से हमारे देश में नहीं, बल्कि उनके देश में सभी हैरान हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, सुकमावती के हिंदू धर्म अपनाने के पीछे उनकी दिवंगत दादी इदा आयु न्योमन राय श्रीम्बेन का काफी अहम योगदान है. गौरतलब है कि इंडोनेशियन नेशनल पार्टी की संस्थापक सुकमावती ने कांजेंग गुस्ती पांगेरन आदिपति आर्य मंगकुनेगरा IX से विवाह किया था, लेकिन 1984 में दोनों अलग हो गए थे.

सुकर्णो की तीसरी बेटी सुकमावती इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति मेगावती सुकर्णोपुत्री की छोटी बहन हैं. हिंदू धर्म में शामिल होने को लेकर सुकमावती के वकील ने कहा कि उन्हें हिंदू धर्म की अच्छी जानकारी है. खास यह है कि सुकमावती हिंदू धर्मशास्त्र के सभी नियमों और अनुष्ठानों की भी समझ रखती हैं.

जब मांगनी पड़ी थी माफी

साल 2018 की बात है, जब एक कविता को लेकर सुकमावती पर इस्लाम का अपमान करने का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी. कविता को लेकर इंडोनेशिया के कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों ने उनका विरोध किया और ईशनिंदा का केस दर्ज करा दिया.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुकमावती ने तब मामला बढ़ता देख माफी मांग ली थी. तब उन्होंने कहा था कि मैं इंडोनेशिया के सभी मुस्लिमों से, जिन्हें इस कविता से दुख पहुंचा है, उनसे माफी मांगती हूं।

सुकमावती पिछले 20 सालों से हिंदू धर्म में अपनी रुचि रख रही थीं. इस दौरान उन्होंने बाली के प्रमुख मंदिरों का दौरा भी किया और रामायण और महाभारत जैसे भारतीय महाकाव्यों को भी पढ़ा.

बता दें कि सुकमावती पिछले 20 सालों से हिंदू धर्म में अपनी रुचि रख रही थीं. इस दौरान उन्होंने बाली के प्रमुख मंदिरों का दौरा भी किया और रामायण और महाभारत जैसे भारतीय महाकाव्यों को भी पढ़ा.

हिंदुओं की चौथी सबसे बड़ी आबादी भारत, नेपाल और बांग्लादेश के बाद इंडोनेशिया में रहती है. इस देश में कई हिंदू मंदिर भी हैं और लोग यहां दूर-दूर से पूजा-अर्चना करने आते हैं.

मालूम हो कि इंडोनेशिया में सबसे अधिक इस्लाम को मानने वाले हैं, लेकिन इंडोनेशिया के छह आधिकारिक धर्मों में एक, हिंदू धर्म भी शामिल है. हिंदुओं की चौथी सबसे बड़ी आबादी भारत, नेपाल और बांग्लादेश के बाद इंडोनेशिया में रहती है. इस देश में कई हिंदू मंदिर भी हैं और लोग यहां दूर-दूर से पूजा-अर्चना करने आते हैं.

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