महान पत्रकार व स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी के जन्मदिन पर कार्यशाला का आयोजन

गणेश शंकर विद्यार्थी जन्मदिवस पर कार्यशाला

मीडिया हमारे देश का चौथा स्तम्भ है इसलिए इसे अपनी कार्यशाला में हमारे समाज की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए अपने कदमों को आगे बढ़ाना चाहिए. हमारी संस्कृति और विचार ही हमारे समाज के लोगों को प्रभावित करते हैं, जिससे हमारे समाज का स्वरूप तैयार होता है. कुछ ऐसा ही विचार था महान क्रांतिकारी विचारधारा वाले पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का. आइए, उनके जन्मदिन पर उन्हें याद करें.

दिनांक 26 अक्टूबर, 2021 को महान पत्रकार व स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी के जन्मदिन के अवसर पर स्वराज विद्यापीठ द्वारा एक सप्ताह की पत्रकारिता एवं मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक डॉ.धनन्जय चोपड़ा ने किया.

पत्रकारिता की दिशा में उन्मुख प्रतिभागियों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जब से पृथ्वी का आरम्भ हुआ है, तब से इस भौगोलिक दुनिया में संचार की शुरुआत हुई है. जैसे हम अमीबा को देख सकते हैं कि जब कोई भी वस्तु उससे टकराती है तो उसे संकेत मिलता है कि मुझे किसी वस्तु ने स्पर्श किया है, जिसे वह भोजन के रूप में ग्रहण करना चाहता है या फिर उस तरह से, जैसे कि वो उसे किसी और रूप में महसूस करता हो.

आज दिनांक 26 अक्टूबर, 2021 को महान पत्रकार व स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी के जन्मदिन के अवसर पर स्वराज विद्यापीठ द्वारा एक सप्ताह की पत्रकारिता एवं मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक डॉ.धनन्जय चोपड़ा ने किया.

वास्तविक रूप में गणेश शंकर विद्यार्थी जन्मदिवस से ही संचार की शुरुआत हुई. इसके आगे बढ़ते हुए संचार माध्यम ने इस दुनिया में अपने एक और कदम को आगे बढाते हुए गंध या आवाज के माध्यम से संचार को विकसित किया.

इसी क्रम में मानव के विकास के साथ-साथ चित्रकला, वार्तालाप भी इसके सामने उभर कर आया, जो पूर्ण रूप से सूचनाओं को एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में प्रवाहित करती है. मीडिया ने जब अपने कदमों को तेजी से आगे बढाया और पूरे विश्व में अपना परिचय दिया, तब इसने अपना पूर्ण रूप से चरित्र चित्रण किया, जिसके माध्यम से हमारा देश औपनिवेशिकरण के बडे फंदे में जा फंसा.

जहां हमारा देश मीडिया के परछाईं तले औपनिवेशिकरण में डूबा, वहीं इसी के माध्यम से ही आज़़ादी के लिए हमारे देश ने अपने कदमों को आगे बढाया और आज़ादी के कदमों को सिर्फ आगे ही नहीं बढ़ाया बल्कि आज़ादी के लिए नये विचारों तथा जोशीले क्रान्तिकारियों को भी पैदा किया, जो आज़ादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

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आज़ादी मिलने के पश्चात मीड़िया का पुर्नजन्म हुआ और मीडिया की फैली परछाईं को आपातकाल जैसी घटनाओं के माध्यम से सीमित ही नहीं बल्कि समय बीतने के पश्चात उसका औद्योगिकीरण किया गया। जिससे मीडिया अपने वास्तविक कार्यों को पीछे को छोड कर सत्ता, बाज़ार जैसी अन्य गतिविधियों में लीन हो गया. समय बीतने के पश्चात इससे भी आगे बढते हुए आज के समय में मीडिया सम्पूर्णता को प्राप्त हो चुकी है क्योंकि हमारे समाज में सोशल मीडिया जैसे प्लेटफाॅर्म उपलब्ध हो चुके हैं, जिसके माध्यम से हमारे देश का आम नागरिक भी अपने विचारों, गतिविधियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर कुछ पल में ही पहुंचा सकती है.

मीडिया हमारे देश का चौथा स्तम्भ है इसलिए इसे अपनी कार्यशाला में हमारे समाज की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए अपने कदमों को आगे बढ़ाना चाहिए. हमारी संस्कृति और विचार ही हमारे समाज के लोगों को प्रभावित करते हैं, जिससे हमारे समाज का स्वरूप तैयार होता है.’’

दूसरे सत्र में स्वराज विद्यापीठ के कुलगुरू प्रो. रमा चरण त्रिपाठी ने कहा कि आपसी सद्भाव व प्रेम के द्वारा हम ऐसा समाज बना सकते हैं जिसमें सभी के लिए सम्मान पूर्वक जीवन जीने का स्थान होगा. यह तभी संभव हो सकता है, जब हम स्वयं से पहले दूसरे के बारे में सोचें.

सामाजिक सरोकारों के प्रति संवेदनशीलता और समस्याओं का समुचित विश्लेषण करने की समझ पत्रकारों का मूलभूत गुण होना चाहिए. पत्रकार ही वो माध्यम है, जो एक ऐसा माहौल बना सकते हैं जिसमें अभावों में भी लोग प्रसन्न रह सकें. इस कार्यशाला का संचालन डॉ. अतुल मिश्र ने किया.

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