मुंशी प्रेमचंद की जनपक्षधरता गॉंधी से प्रभावित
प्रेमचंद सर्वहारा की पीड़ा मानव मन की संवेदना को समझने वाले लेखक थे
मुंशी प्रेमचंद की जनपक्षधरता गॉंधी के आंदोलन से काफ़ी हद तक प्रभावित थी. एक साहित्यिक गोष्ठी में यह बात उभर कर आयी.
दिल्ली से जुड़ी डॉ ममता श्रीवास्तवा ने गोष्ठी में मुंशी प्रेमचंद की जीवन के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद गांधी जी के आह्वान पर नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन मे शामिल हो गए थे।वे सचमुच कलम के सिपाही थे,उनकी कथनी और करनी एक थी।उन्होंने समाज में व्याप्त समस्याओं को अपनी रचनाओं के माध्यम से बड़े सुंदर ढंग से सभी के सामने प्रस्तुत किया।
कोलकाता से जुड़ी मौसमी प्रसाद जी ने मुंशी प्रेमचंद की भाषा शैली का बखान करते हुए कहा कि उनकी संवेदनाएं दिलों को छू जाती थी।मुजफ्फरपुर से जुड़े जफर हसन साहब ने ईदगाह, दो बैलों की कथा आदि कहानी की चर्चा की।
उन्होंने कहा कि प्रेमचंद जी के जीवन पर गांधी जी के दृष्टिकोण का बहुत प्रभाव पड़ा।रामरतन श्रीवास ने कहा कि- मुंशी प्रेमचंद का जन्म भी शनिवार को हुआ था और आज भी शनिवार है यह कितना सुखद संयोग है।आशा आजाद जी ने प्रेमचंद पर लिखे दोहे सुना कर सभी का मन मोह लिया, तो वहीं कोरबा मितान मंच के अध्यक्ष घनश्याम तिवारी जी ने बताया कि प्रेमचंद सर्वहारा की पीड़ा मानव मन की संवेदना को समझने वाले लेखक थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जुड़े राकेश श्रीवास्तव (लखनऊ) ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का लेखन जनमानस का वर्णन रहा है।उन्होंने साहित्य सम्राट प्रेमचंद जी की तमाम कहानियों और उपन्यासों मे उनकी जनपक्षधरता की चर्चा की।गांधी जी के आंदोलन की उन पर गहरी छाप देखी जा सकती है।उनकी मुख्य चिंता समाज में व्याप्त विसंगतियों पर प्रहार करना और उनको दूर करना था।साथ ही ब्रिटिश हुकूमत से छुटकारा पाना था।उनकी नजर से जात पात का भेद,गरीबी, छुआछूत,अमीर गरीब का भेद कुछ भी बच नहीं पाया।उनकी सोच समाज मे समता स्थापित करने की और सबको बराबर न्याय दिलाने की थी।श्री श्रीवास्तव ने मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर महात्मा गांधी के प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि गांधी जी की विचाराधारा की छाप उनके साहित्य मे प्रखर रुप से प्रतिबिंबित होती है।
वहीं ज्योति जी ने नमक का दरोगा नामक कहानी का वर्णन किया।
लखनऊ में कोरबा मितान मंच के तत्वाधान में उपन्यास सम्राट “प्रेमचंद स्मृति व्याख्यानमाला का यह आयोजन 31 जुलाई को हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिलीप अग्रवाल जी ने की तथा कार्यक्रम का संचालन रमाकांत श्रीवास जी ने।कार्यक्रम का शुभारंभ आशा आजाद के मधुर कंठ में सरस्वती वंदना से हुआ।
कार्यक्रम में श्रोता के रूप में जुड़े श्री *उमेश कुमार सिंह,*श्री नरेंद्र सिंह नीहार जी, डॉ पूर्णिमा उमेश, अंजना ठाकुर,उदय प्रकाश श्रीवास्तव,आदि ने अपने संदेशों के माध्यम से सभी का उत्साहवर्धन किया तथा मुंशी प्रेमचंद के जन्म दिवस की सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की।
कार्यक्रम के संयोजक रमाकांत श्रीवास ने सबको धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रेमचंद और गांधी जी की जनपक्षधरता पर इसी प्रकार के और कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।