जीवन का ताना बाना –the web of life
विश्व पर्यावऱण दिवस पर
–लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व लिखी एक आदिवासी सरदार की कविता —
जीवन का ताना बाना –the web of life
प्रस्तुतकर्ता –डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज।
पर्यावरण ही जीवन का ताना बाना है। यह लम्बी कविता पर्यावरण के सम्बन्ध में ,पिछले डेढ़ सौ वर्षों में लिखा गया सबसे संजीदा दस्तावेज है। अमेरिका की गोरी सरकार जब वर्षों के मूल निवासी आदिवासियों की सारी जमीन बन्दुक की नोक पर हड़प रही थी ,उस समय एक रेड इंडियन कबीले के सरगना चीफ सियाटिल ने इस कविता को पत्र के रूप में वाशिंगटन सरकार को भेजा था। डेढ़ सौ वर्षों के बाद भी पर्यावरण संरक्षण के सम्बन्ध में ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह कविता आज ही लिखी गई है। जल ,जंगल ,जमीन की वेदना को मुखरित करती कविता आज भी शाश्वत सच है।
तुम कैसे खरीद सकते हो आकाश को
चीफ सियाटिल ने कहा
तुम हवा और पानी के कैसे मालिक बन सकते हो
मेरी मां ने मुझसे कहा था
इस जमीन का हर एक कतरा मेरे लोगों को पूज्य है
पेड़ों का एक एक पत्ता ,हरेक रेतीला तट
शाम के कोहरे से ढका हुआ जंगल
घास का मैदान और भौरों का गुंजन
ये सभी पवित्र और पूज्य हैं और
हम आदिवासियों की यादों और जीवन से बंधे हैं
मेरे पिताजी ने मुझसे कहा था
पेड़ों की रगों में बहते हुए रस को
अपनी नसों में बहते हुए खून की तरह जानो
हम पृथ्वी का एक हिस्सा हैं
और यह मिटटी हमारा ही एक अंश है
ये सुगन्धित फूल हमारी बहने हैं
ये हिरन ,ये घोड़े ,ये विशाल चीलें
ये सभी हमारे भाई हैं
पहाड़ों की चोटियां ,मैदानों की हरियाली
और घोड़ों के बच्चे
ये सब एक ही परिवार का हिस्सा है
मेरे पूर्वजों की आवाज मुझसे कहती हैं
कि नदियों और झरनो में बहता हुआ यह निर्मल जल
केवल पानी नहीं बल्कि मेरे पूर्वजों का लहू है
पानी के कल कल में सुनाई देती हैं मेरे पूर्वजों की आवाजें
मेरे दादा जी ने कहा था यह हवा बहुमूल्य है
यह हवा ही सब जीवों का पोषण करती है
और सब के साथ अपनी आत्मा बांटती है
इसी हवा में ही हमारे पुरखों ने ली
अपनी पहली और आखिरी साँस
तुम इस जमीन और हवा को पवित्र रखना
लिससे की तुम लोग भी सुगन्धित बयार का
अनुभव कर सको और उसका आनंद ले सको
मेरे पुरखों ने मुझसे कहा था
हम इस धरती के मालिक नहीं बस पृथ्वी के एक अंग हैं
मेरी दादी ने मुझसे कहा था
यह धरती हमारी मां है
जो कुछ धरती को होगा वही धरती के बच्चों को होगा
मेरी बात और मेरे पूर्वजों की बातों को ध्यान से सुनो
चीफ सियाटिल ने कहा
क्या होगा जब जंगल के हरेक कोने को
इंसान अपने पैरों तले रौंद डालेगा
जब पहाड़ों का सुन्दर दृश्य ढँक जाएगा
तब क्या होगा जंगलों का हरियाली का
तब जीवन का अंत होगा
केवल ज़िंदा रहने की मात्र कोशिश बची रहेगी
एक बात सब जान लें की सभी चीजें एक दूसरे से जुडी हुई हैं
इंसान ने नहीं बुना है इस जीवन का ताना बाना
वह तो उसमे सिर्फ एक कमजोर सा धागा है
हमारे साथ भी वही होगा जो हम करेंगे ताने बाने के साथ
इस जमीन को ,इस हवा को ,इन नदियों को
संभाल कर रखना अपने बच्चों के लिए
और उन्हें वही प्यार देना जो उन्हें हमने दिया है