कोविड महामारी के बीच यूपी में सौ साल पुरानी गरीब नवाज़ मस्जिद गिराने का मक़सद क्या है ?

अदालती रोक के बावजूद मस्जिद गिराने का आरोप

 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और अयोध्या के बीच के बाराबंकी जिला प्रशासन द्वारा सौ साल पुरानी मस्जिद को ढहाने का मक़सद क्या हो सकता है ? मुस्लिम समाज और विपक्ष का आरोप है कि योगी सरकार ने अपने साम्प्रदायिक एजेंडे के तहत अतिक्रम के नाम पर मस्जिद गिरायी है .

सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने मस्जिद के पुनःनिर्माण के लिए अदालत जाने का फ़ैसला लिया है।
समाजवादी पार्टी ने कहा है की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2021 चुनावों से पहले सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना चाहती है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मस्जिद ढाने पर रोष जताया है।

बाराबंकी रामसनेहीघाट के तहसील परिसर में बनी मस्जिद को स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने सोमवार को ढहाया .

क़रीब 100 साल पुरानी मस्जिद ”गरीब नवाज़” के ढहाने की ख़बर  पूरे इलाक़े में तनाव फैल गया।

तनाव को देखते हुए मंगलवार की सुबह से वहाँ पुलिस बल कर दिया गया।प्रशासन इलाक़े में दुकानो को खुलने नहीं दे रहा है और  मुस्लिम समुदाय से मिलकर के शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।

बाराबंकी के मुस्लिम समुदाय का कहना है कि रामसनेहीघाट के उप-जिलाधिकारी ने मस्जिद कमेटी से मस्जिद की भूमि के दस्तावेज़ मांगे थे।जिसके ख़िलाफ़ कमेटी ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।

अदालत द्वारा कमेटी को 18 मार्च से 15 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने की मोहलत दी थी।जिसके बाद अप्रैल 01, को जवाब दाखिल कर दिया गया था।
मस्जिद 1968 से वक़्फ़ बोर्ड की में दर्ज है और 1959 से मस्जिद में बिजली का  कनेक्शन है।
स्थानीय मुस्लिम समाज का कहना है की पूर्वजों के  इस मस्जिद में नमाज़ पढ़ते आ रहे थे।मस्जिद में पाँच वक़्त अज़ान भी होती थी।लेकिन जुमे की नमाज़ में भीड़ ज़्यादा होती थी , जिससे प्रशासनिक अधिकारियों में नाराज़गी रहती थी।आरोप है इसी नाराज़गी के चलते ग़ैरक़ानूनी ढंग से मस्जिद ढाने की कार्यवाही की गई है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 100 पुरानी मस्जिद को ढहाये जाने पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा है, कि प्रदेश सरकार से मस्जिद ढहाने जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे। इसके अलावा मस्जिद का तुरंत पुनर्निर्माण किया जाये। 

बोर्ड के महासचिव (कार्यवाहक) मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा है कि  “बोर्ड ने इस बात पर नाराज़गी का इज़हार किया है कि रामसनेहीघाट तहसील में स्थित गरीब नवाज मस्जिद को प्रशासन ने बिना किसी कानूनी औचित्य के पुलिस बल के कड़े पहरे के बीच शहीद कर दिया है।”
मौलाना ने माँग की है प्रदेश कि सरकार हाईकोर्ट के किसी सेवनिवृत्ति न्यायाधीश से इस मामले की जांच कराए और साथ ही मस्जिद के मलबे को मौक़े से हटाने की कार्रवाई को रोका जाये।मस्जिद की जगह पर कोई दूसरा का निर्माण ना हो।

उनके के अनुसार यह सरकार का कर्तव्य  है कि वह इस जगह पर मस्जिद का पुनः निर्माण कराकर मुसलमानों के हवाले करे। मौलना रहमनी कहते हैं कि “यह मस्जिद 100 साल पुरानी थी और वक्फ बोर्ड के दस्तावेज़ो मे भी दर्ज थी। मस्जिद को लेकर कभी भी किसी प्रकार का कोई विवाद नही हुआ।”

सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का कहना है की 100 साल पुरानी मस्जिद ”गरीब नवाज़” जो “तहसील वाली मस्जिद” के नाम से भी प्रसिद्ध थी, सरकारी काग़ज़ात में दर्ज है।बोर्ड के अध्यक्ष ज़ुफ़र फ़ारूक़ी ने कहा कि बोर्ड मस्जिद को ग़ैरक़ानूनी ढंग से ढाने की कार्यवाही को अदालत में चुनौती देंगे।

अदालत की अवमानना

ज़ुफ़र फ़ारूक़ी के अनुसार मस्जिद का कोविड-19 के दौरान ढ़ाना अदालत की अवमानना भी है।वह कहते हैं उच्य न्यालाय ने 24 अप्रैल को कोविड-19 महामारी को देखते हुए सभी तरह निष्कासन, बेदखली और तोड़-फोड़ प्रक्रियो पर मई 31 तक रोक लगा रखी है।
 

समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ सरकार की निंदा की है और इस घटना को सत्ता का दुरुपयोग बताया है।पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सौ साल पुरानी मस्जिद को तोड़े जाने की घटना को निंदनीय बताया है और कहा है कि शासन -प्रशासन का यह कृत्य भारतीय संविधान के सामाजिक सद्भाव की अवधारणा के विरुद्ध है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में चुनाव निकट आता देख बीजेपी सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने में सक्रिय हो गई है और की राजनीति से धार्मिक उन्माद फैलाना चाहती है।जनता को इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। 

अवैध निर्माण?

बाराबंकी के ज़िलाधिकारी आदर्श सिंह ने मस्जिद और उसके परिसर में बने कमरों को ‘अवैध निर्माण’ बताया है। उनके अनुसार इस मामले में संबंधित पक्षकारों को 15 मार्च को नोटिस भेजकर स्वामित्व के संबंध में सुनवाई का मौका दिया गया था। 

लेकिन परिसर में रह रहे लोग नोटिस प्राप्त के बाद कहीं चले गए। जिसके बाद प्रशासन ने 18 मार्च को ही परिसर पर कब्जा हासिल कर लिया था। सोशल मीडिया पर आये इस बयान के बाद अब कोई प्रशासनिक अधिकारी इस बारे में नहीं बोल रहा है।

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