कर्मठ पत्रकार सुभाष मिश्र के निधन से लोग स्तब्ध
सुभाष मिश्रा का फ़ोन पीजीआई से ग़ायब
टाइम्स ऑफ़ इंडिया लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र आज शनिवार कोरोना से अकाल मृत्यु का शिकार हो गये . उनके निधन से उनकी मित्र मंडली के अलावा मीडिया, प्रशासनऔर राजनीतिक जगत में लोग स्तब्ध रह गये .
टाइम्स ऑफ़ इंडिया से पहले सुभाष इंडिया टुडे पत्रिका और उसके पहले फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस और नार्दर्न इंडिया पत्रिका में काम करचुके थे .
मूल रूप से वह उन्नाव जनपद के रहने वाले थे और अपने गॉंव से नियमित सम्पर्क बनाये हुए थे .
खिलाड़ी
सुभाष एक अच्छे खिलाड़ी थे . रोज सुबह व्यायाम के लिए के डी सिंह बाबू स्टेडियम जाना उनकी दिनचर्या मेंशामिल था .
उनका अंतिम संस्कार बैकुंठ धाम में सम्पन्न हुआ.
मेडिकल कालेज और फिर पीजीआई
सुभाष 18 अप्रैल को किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए . तबियत बिगड़ने पर 22 अप्रैल को एस जी पीजी आई कोविड अस्पताल शिफ़्ट हुए. वहॉं कई दिन वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहने के बाद शनिवार की भोर मेंउनकी सॉंस बंद हो गयी .
कोविड-19 से बीमार होने से एक हफ़्ते पहले सुभाष मिश्र ने सिविल हॉस्पिटल लखनऊ में वैक्सीन लगवायी थी. वैक्सीन लगी, जबकि बुख़ार आ रहा था.
परिवार के लोगों का कहना है उसके बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी . संभव है इसी दरम्यान उनको संक्रमण हुआ , अथवा वैक्सीन से एलर्जी हुई .
सुभाष के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटे और भाई हैं .
फ़ोन ग़ायब
आश्चर्यजनक रूप से सुभाष मिश्र का फ़ोन पीजीआई के कोविड अस्पताल से ग़ायब हो गया है , जबकि वहाँबाहर के किसी व्यक्ति का आना – जाना नहीं था .
फ़ोन ग़ायब होने की सूचना अधिकारियों को दे दी गयी है .
इतने कर्मठ पत्रकार अब बहुत ही कम हैं – राम नाईक
उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक ने ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के वरिष्ठ पत्रकार श्री सुभाष मिश्रा के निधन पर गहरा शोक जताया. श्री सुभाष मिश्रा के निधन का समाचार प्राप्त होने पर आहत हुए श्री राम नाईक ने कहा, “उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद की शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद मैंने पत्रकार परिषद को संबोधित किया था; जिसमें सुभाष जी से प्रथम परिचय हुआ.
वहीँ से लगातार पांच वर्ष शायद ही कोई दिन गया होगा जिस दिन मुझे सुभाष जी ने दूरभाष न किया हो. खोज पत्रकारिता के लिए फोन करते – करते वह मेरे अच्छे मित्र भी बनें. उत्तर प्रदेश से लौटने के बाद भी उसी स्नेह के कारण हमारा संपर्क बना रहा. इतने कर्मठ पत्रकार अब बहुत ही कम हैं. भले वो रोज फोन करते, खबर निकलने का प्रयास करते, टाइम्स में मेरी खबर तभी छपती जब वह सही में खबर हो. उन्होंने सकारात्मक पत्रकारिता का हमेशा प्रदर्शन किया. लखनऊ की पत्रकारिता क्षेत्र की सुभाष जी के चले जाने से अपूरणीय क्षति हुई है.”
श्री नाईक ने अन्त में कहा, “मेरी श्री सुभाष जी को श्रद्धांजलि तथा शोकसंतप्त परिजनों के प्रति सहसंवेदना.”