लाल टोपी का इतिहास शायद योगी नहीं जानते!
यह जानना ज़रूरी हो गया है कि भारत में लाल टोपी का इतिहास क्या है और किसने इसका इस्तेमाल शुरू किया, क्योंकि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी की लाल टोपी पर विवाद खड़ा कर दिया है.. वरिष्ठ पत्रकार अम्बरीश कुमार की टिप्पणी.
समाजवादियों की लाल टोपी विवादों में है .अब देश में टोपी पहनने वाले राजनीतिक कार्यकर्त्ता बहुत कम बचे है जिसमें समाजवादी पार्टी के कार्यकर्त्ता बचे हुए हैं .समाजवादी पार्टी के कार्यकर्त्ता लाल टोपी पहनते हैं .और जब वे विधानसभा या विरोध प्रदर्शन में जाते हैं तो लाल टोपी पहनते हैं .
संभवतः इसी पर तंज करते करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा ,लाल हरी पीली टोपी की नई परिपाटी अब शुरू हो गई है .उन्होंने आगे कहा ,टोपी वाला गुंडा अब आम धारणा है .’हालांकि सन्दर्भ किसी एक सभा में विरोध करने वाले लोगों को लेकर एक बच्चे की प्रतिक्रिया के आधार पर योगी ने यह टिप्पणी की .
पर लगता है टोपी का इतिहास खासकर लाल टोपी का इतिहास वे भी ठीक से नहीं जानते है .इस लाल टोपी को भारत में सबसे पहले जयप्रकाश नारायण ने पहना था .
वर्ष 1948 में जब समाजवादी कांग्रेस से अलग हो गई तब दो बाते हुई .समाजवादियों ने गांधी की सफ़ेद टोपी को पहनना छोड़ दिया .पर जयप्रकाश नारायण जब रूस से लौट कर देश आये तो नारा चलता था,हिंद के लेनिन जयप्रकाश .वह दौर था जब जेपी का देश में बहुत ज्यादा प्रभाव था .वैसे भी कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी उस समय काफी आक्रामक थी .
जेपी ने लाल झंडा भले नहीं अपनाया पर लाल टोपी पहन ली .लोहिया ने तो कांग्रेस से अलग होने पर फैसला कर लिया कि अब वे कोई टोपी नहीं लगाएंगे .समाजवादियों ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में गांधी की हत्या को लेकर तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल को निशाने पर लिया .जेपी ने उन्हें लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना था .
इसी के बाद कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी बनी .आचार्य नरेंद्र देव ,जेपी ,लोहिया और अशोक मेहता आदि अलग हो गए .यह बात अलग है कि समाजवादी फिर विभाजित हुए .खैर जेपी ने जो लाल टोपी पहनी उसे भी उन्होंने बाद में पहनना छोड़ दिया था .
विनोबा भावे के प्रभाव में आने के बाद .पर समाजवादियों में उस लाल टोपी को मुलायम सिंह ने याद रखा .जब समाजवादी पार्टी बनी तो समाजवादियों की टोपी लाल हो गई .
बहरहाल लाल टोपी फिर विवाद में है .समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा ,मुख्यमंत्री शायद भूल गए है कि वे भी टोपी पहनते थे .दूसरी तरफ विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी ने कहा ,लाल नीली टोपी से इनकी रूह कांपने लगती है .
अब कुछ दिन तक टोपी विवाद भी चलेगा ही .दूसरी तरफ खांटी समाजवादी सत्य देव त्रिपाठी ने कहा ,लाल टोपी का जो इतिहास नहीं जानते उन्हें समझना चाहिए इसकी शुरुआत जेपी ने किस दौर में की थी .
अंबरीश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ