सरदार पटेल स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक घमासान
स्टेडियम में पिच एंड का नाम अंबानी और अडानी के नाम पर
अहमदाबाद में बने देश के सबसे बड़े मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम का नाम सरदार पटेल से अचानक बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम करने से राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. बताया जाता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम है.
स्टेडियम में पिच एंड का नाम अंबानी और अडानी के नाम पर होने को लेकर भी विवाद हो रहा है.
राष्ट्रपति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को इस स्टेडियम का उद्धाटन किया। गृहमंत्री अमित शाह और खेल मंत्री किरन रिजिजूइस अवसर पर विशेष अतिथि थे. अमित शाह ने कहा, ‘हमने इसका नामकरण देश के प्रधानमंत्री के नाम पर करने का फैसला किया है। यह मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट था।’
स्टेडियम में 1 लाख 32 हजार दर्शक बैठ सकते हैं। स्टेडियम 63 एकड़ में फैला हुआ है और करीब 800 करोड़ रुपये की लागत से बना है।वर्ष 2015 में मरम्मत के लिए यह स्टेडियम बंद कर दिया गया था.
स्टेडियम को एलएंडटी कंपनी ने बनाया है जिसने 5 सालों की बहुत कम अवधि में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण किया था। स्टेडियम में छह लाल और पांच काली मिट्टी की कुल 11 पिचें तैयार की गई हैं। मुख्य और अभ्यास पिचों के लिए दोनों मिट्टी का उपयोग करने वाला यह पहला स्टेडियम है।
राजनीतिक घमासान
भाजपा और सरकार के समर्थक इसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर सही कह रहे हैं तो कांग्रेस और अन्य दलों से जुड़े लोग सरदार पटेल का अपमान बता रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा कि सच कितनी खूबी से सामने आता है। नरेंद्र मोदी स्टेडियम – अडानी एंड – रिलायंस एंड जय शाह की अध्यक्षता में! हैशटैग हम दो हमारे दो।
कांग्रेस पार्टी के लिए सोशल मीडिया पर नेशनल कोऑर्डिनेटर गौरव पांधी ने लिखा, ”सरदार पटेल एयरपोर्ट अब अडानी एयरपोर्ट है। सरदार पटेल स्टेडियम अब नरेंद्र मोदी स्टेडियम। अगला क्या? गुजरात का नाम बदलेगा?
सरकार के समर्थक इसके जवाब में सोशल मीडिया पर पूर्व पीएम नेहरू, राजीव और इंदिरा गांधी के नाम पर देश में मौजूद स्टेडियम, एयरपोर्ट आदि की लिस्ट शेयर कर रहे हैं। हालांकि, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि बीजेपी तो अक्सर इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाती रही है और अब खुद भी उसी राह पर चल रही है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रेस कांफ्रेंस कर सफ़ाई दी कि सरदार पटेल का नाम हटाया नहीं गया है.
स्टेडियम का नाम बदलना इस बात का संकेत हो सकता है कि अब भारतीय जनता पार्टी सामूहिक नेतृत्व के नाम पर चलने वाली पार्टी नहीं रही.