हरिद्वार कुम्भ: गंगा तट पर तम्बूरा और भजन…

हरिद्वार गंगा तट पर इन दिनों कुम्भ मेले की चहल पहल है . साधू महात्मा जुटने लगे हैं . ग़ाज़ीपुर के मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और य ट्यूबर ब्रजभूषण दुबे मार्कण्डेय को वहीं गंगा तट पर दो बाबा मिल गये जो तम्बूरा या तानपूरा की धुन पर मस्त होकर भजन सुना रहे थे .
तानपूरा एक ऐसा पारम्परिक वाद्य यंत्र है जो गोल खोखली लौकी से आसानी से बना लिया जाता है .

ऑल्ट="कुम्भ मेले की चहल पहलमें तानपुरा वाले बाबा "
कुम्भ मेले की चहल पहलमें तानपुरा वाले बाबा

हरिद्वार कुंभ मेले का श्रीगणेश जी की पूजा 14 जनवरी को पड़ रही मकर संक्त्रसंति के पर्व से शुरू हो गया । कुंभ पर्व पर जीवनदायिनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर आचमन करने का साधु-संत और श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है। पौराणिक मान्यता है कि कुंभ में गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

साधू महात्मा जो जुटे है वो तानपुरा और तम्बूरे की तान पर भजन गाते दिखे …दोनों बाबा गंगा माता की आरती गा रहे थे …” जय जय जग्दबे माता जय जय गंगा माता ….”

अयोध्या राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद विवाद का समग्र इतिहास(Opens in a new browser tab)

तम्बूरा…

=तानपुरा
तम्बूरा

तम्बूरा उत्तर-भारतीय संगीत  में इसने महत्त्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया है। कारण यह है कि इसका स्वर  बहुत ही मधुर तथा अनुकूल वातावरण की सृष्टि में सहायक होता है।

  • तम्बूरा की झन्कार सुनते ही गायक की मन  भी मोह जाता है, अत: इसका उपयोग गायन अथवा वादन के साथ स्वर देने में होता है।
  • अपरोक्ष रूप में तानपुरे से सातो स्वरों की उत्पत्ति होती है, जिन्हें हम सहायक नाद  कहते हैं। तम्बूरा अथवा तानपुरे में 4 तार होते हैं।

कुम्भ मेले की चहल पहल से इनका पूरा भजन सुनने के लिए हमारा विडियो देखें …

Leave a Reply

Your email address will not be published.

four × 4 =

Related Articles

Back to top button