कॉफ़ी हाउस लखनऊ में फिर पकौड़ी पर चर्चा का इंतज़ार
कोरोना से मुक्ति मिले
काफी हाउस जैसी संस्था समाज में संवाद बनाने और लोगों को जोड़ने के लिए बहुत ज़रूरी है।लखनऊ में पिछले सात दशकों से ज्यादा समय से हजरतगंज काफी हाउस बखूबी से यह जिम्मेदारी निभा रहा है।
मुझे फक्र है कि में भी हजरतगंज काफी हाउस से पांच दशकों से जुड़ा हुआ हूं।पहले बचपन मैं अपने पिता बिशन कपूर, जो ब्लिट्ज लखनऊ ब्यूरो के प्रमुख थे, के साथ कॉफी हाउस जाने का और काफी के साथ डोसा और इडली खाने के खूब मौके मिले।
जहां एक ओर बड़े राजनैतिक हस्तियां चंद्रशेखर जनेश्वर मिश्र आचार्य नरेंद्र देव राम मनोहर लोहिया वीर बहादुर सिंह और मधुकर दिघे को हजरतगंज काफी हाउस में देखा।
वहीं दूसरी ओर हिंदी साहित्य की तीन बड़ी हस्तियां यशपाल भगवती चरण वर्मा और अमृत लाल नागर को भी गंभीर चर्चा करते देखा।
मुझे इस बात की की भी खुशी है की लखनऊ का काफी हाउस किताब लिखना का अवसर मिला।मेरी पुस्तक हमारा लखनऊ पुस्तक माला सीरीज का हिस्सा है।
हिंदी के बहुत बड़े साहित्यकार स्वर्गीय शैलनाथ चतुर्वेदी, जो गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग के प्रमुख थे, हिंदी वांग्मय निधि के जरिए हमारा लखनऊ पुस्तक माला के जरिए लखनऊ के विभिन्न आयामों पर लगभग 50 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित की है।
किसी भी शहर के लिए यह बहुत गर्व की बात है की उसके विभिन्न आयामों पर 50 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।
जब प्रो शैलनाथ जी ने मुझे लखनऊ के बहुचर्चित काफी हाउस पर पुस्तक लिखने को कहा तो बहुत खुशी हुई क्योंकि यह मेरा पसंदीदा सब्जेक्ट था।इस बहाने तमाम उन बुजुर्गों से बात हुई जो 50 साल से ज्यादा समय से काफी हाउस जा रहे थे। और उन्होंने राजनीति की तरह काफी हाउस के उतार चढ़ाव देखे थे।
मुझे खुशी है मेरी पुस्तक को खूब मान सम्मान मिला और आज भी हजरतगंज स्थित यूनिवर्सल बुक सेलर्स में लखनऊ की अन्य किताबों के साथ रखी हुई है।
लगभग दस साल से हम काफी हाउस में नियमित बैठकी आयोजित करते रहे हैं जिनमें विभिन्न विचारधारा के नेता जैसे लालजी टंडन डा रमेश दीक्षित अतुल अनजान चचा अमीर हैदर, सत्यदेव त्रिपाठी डा अम्मार रिज़वी राजेंद्र चौधरी डा दाऊजी गुप्ता, जस्टिस हैदर अब्बास रज़ा प्रमुख हैं।
दूसरी ओर हमने यादगार बैठकी नाट्यकर्मी नादिरा बब्बर, लेखिका अचला नागर और अन्य साहित्यकारों और अभिनेताओं के लिए भी आयोजित की है।
अब इंतजार है की कब कोरोना से मुक्ति मिले. काफी हाउस की बैठकी हो साथ में काफी और पकौड़ी पर चर्चा हो।
- प्रदीप कपूर, लखनऊ