कोविड 19 महामारी : मानसिक तनाव के निवारण के लिए आवश्यक प्राणायाम
आशीष शुक्ला , योगगुरु
जब माहौल में भय और आशंका व्याप्त हो, हर तरफ बीमारी की चर्चा हो दिन रात घर में ही रहनेको विवश होना पड़े,तो मैं तनाव पैदा होना स्वाभाविक है। मन को शांत रखने में योग ध्यान व प्राणायाम के महत्व को विज्ञान भी स्वीकार करता है।मानसिक तनाव के निवारण हेतु आवश्यक प्राणायाम :
1)भ्रामरी प्राणायाम-
भ्रामरी का अर्थ है भौरा।इस प्राणायाम को करने हेतु पदमासन व सुखासन की स्थिति में बैठ जाए ,कमर गर्दन सीधी रखें।दोनों हाथों के अंगूठों से कान बंद कर के,तथा बाकी उंगलियों से आंखे ढक लें , उंगलियों को चेहरे पर स्थापित कर ले।फिर लंबी गहरी श्वास फेफेडों में भर ले समर्थ अनुसार रोकने का प्रयास करेंफिर धीरे धीरे कंठ व नाक से साँस छोड़ ते हुए भौरें की भांति गुंजन की आवाज निकलते हुए सांस बाहर निकले,यह इस प्राणायाम का एक चक्र हुआ।कम से कम दस चक्रों का अभ्यास करें।लाभ _मन एकाग्र व शांत होता ,तनाव दूर होता है,अनिद्रा,उच्च रक्तचाप में बहुत कारगर है
सावधानी – हृदय व कान के रोगी इसका अभ्यास न करे
2)चंद्रभेदी प्राणायाम-
चंद्रभेदी का अर्थ है चन्द्र को भेदना हमारी शरीर में स्थित नासिका के दोनों छिद्र में से एक सूर्य व दूसरी चन्द्र नाडी कहलाती है।इस प्राणायाम को करने हेतु पदमासन व सुखासन की इस्थिती में बैठ जाए ,कमर गर्दन सीधी रखें।अब दाहिने हांथ के अंगूठे से नासिका का दायां छिद्र बंद करे , बायां हांथ बाए घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखे,अब बाएं नासिका के छिद्र सामर्थ्य अनुसार लंबी गहरी सांस अपने फेफेडो में भरे कुछ देर रोकने का प्रयास करें ,फिर दाएं हांथ की अनामिका उंगली से बाएं नासिका छिद्र को बन्द करके दाहिने नासिका छिद्र से सांस को धीरे धीरे पूरी तरह से छोड़ने का प्रयास करें।यह चंद्र्भेदी प्राणायाम का एक चक्र है।इस प्रकार कम से कम दस चक्रों का अभ्यास करें।
लाभ – यह प्राणायाम उच्च रक्तचाप व एसिडिटी में रामबाण का कार्य करता है
सावधानी- निम्न रक्तचाप व दमा के मरीज इसका अभ्यास न करें तथा सर्द मौसम में भी इसका अभ्यास न करें