सैली फ्लड : जिनकी कई कविताएं सिल गयीं
पंकज प्रसून
‘जब तक आपके हाथ में कलम है आप अकेले नहीं हैं।’ जीवन का यह आदर्श वाक्य है सैली फ्लड का।
लंदन के ईस्ट एंड में सन् 1925 में जन्म हुआ था। वे मज़दूरी करती थीं। आजीवन कशीदाकारी काम करती रहीं ।
उन्हें खुद पता नहीं था कि वे कितनी अच्छी कविताएं लिखती थीं।
कारखाने के अधिकारियों के डर से कविताओं को जहां-तहां छिपा कर रख देती थीं। इसलिये उनकी कई कविताएं सिल गयीं।
सन् 1975में ‘बेसमेंट राइटर्स ‘ में जाने लगीं तो उनकी कविताओं की धाक जम गयी ।
फिलहाल वे अपने तीन पौत्रों और पांच प्रपौत्रों के साथ अपनी खुशहाल जिन्दगी बिता रही हैं।
मेरी दुनिया में
मेरी दुनिया में कुछ मिलता नहीं आसानी से
‘गर काम न करो,भूख से मरो
आराम जैसी चीज़ है औरों के लिये
मुस्तकबिल में न जाने कितने ख़तरे हैं
बूढ़ा हो जाना तो इज्ज़त को देना है
एक हाथ देश से बाहर
भीख मांगने की कला सीखी नहीं जिसने
मुश्किल हो जाता आज़ादी को खो देना उसके लिये
हालात उसे नहीं करते नर्म
हर किसी को चाहिये बचाना
बुढ़ापे के लिये
पर जो जी रहा हो सिर्फ रोटी पर
कहां से आते
साधन उसके पास।
मुझे धक्के दो
मुझे धक्के दो
झूले पर
वह मेरी बहन है
जो उसे सुन रही है गाती
वह मैं हूं
गोल चक्कर पर
अब मेरी बहन सुनती है चिल्लाते
होता है हमेशा ही ऐसा
जब हर बार तुम मेरा नाम लेकर बुलाती हो
हवा को महसूस करो
फूंक दो मेरी तंदुरुस्ती को अब
मेरी छोटी बहन
किसी की परवाह न करो !!!