निर्मला देशपाण्डे ग्राम स्वराज्य की जीती-जागती प्रतिबिम्ब थीं
समाज में व्याप्त समस्याओं के निराकरण के लिए अपना जीवन समर्पित करना कठिन कार्य होता है दूसरों के लिए जीना यह कहावत भी है।
गांव, जिला, प्रदेश, देश की सीमाओं को लांघकर दुनिया की समस्याओं का हल ढूंढना जय जगत का स्पष्ट प्रतीक है।
दीदी निर्मला देशपांडे का जीवन जय जगत की धरोहर थी। निर्मला देशपाण्डेय ग्राम स्वराज्य की प्रतिबिम्ब थीं।
उन्होंने गांव की हजारों किलोमीटर पैदल यात्रा कर ग्राम स्वराज्य का संदेश दिया था।
उक्त विचार विनोबा सेवा आश्रम के तथागत में पूर्व राज्यसभा सदस्य दीदी निर्मला देशपांडे की आयोजित 92वीं जयंती के अवसर पर विनोबा विचार प्रवाह के संस्थापक रमेश भईया ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि विनोबा विचार वाहिका के रूप में दुनिया उन्हें जानती थी। उनके लिए सारे देश अपने थे उन्हें हर देश में बहुत प्यार मिलता था।
पूज्य विनोबा ने हिंदुस्तान की सीमाओं में रहकर दुनिया के कल्याण का संदेश दिया।
विनोबा विचार वाहिका के रूप में जिन्हें सारी दुनिया जानती तो थी ही परंतु प्यारी दीदी के रूप में मानती भी थी।
दुनिया का कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो हर व्यक्ति उन्हे संबोधन में दीदी ही कहता था।
परम पावन दलाई लामा के मुख से भी उनके लिए दीदी संबोधन सुनकर दीदी के कद की प्रतीति हम जैसे छोटे साथियों को हुआ करती थी।
वह एक ऐसी ताकत थी जो दुनिया के किसी उलझे प्रश्न को हल करने के लिए कमर कस लेती थी।
और समस्या के निदान के लिए अपनी देश दुनिया में गांधी विनोबा का काम करने वाले हनुमानों, सुग्रीवों, जामवंतों, अंगद नल, नील आदि को बुलाकर चर्चा करती थी।
निर्मला दीदी ने बाबा के वेद, उपनिषद, तीसरी शक्ति, ग्राम स्वराज के विचारों को देश दुनिया के बड़े-बड़े मंत्रों से उदघोषित किया।
वे कहती भी थी कि बाबा के रहने के अनुसार हम सब चूहा अर्थात सेवक बनकर बड़े से बड़े धनवान और गरीब की झोपड़ी में प्रवेश कर सकते हैं दीदी तो स्नेह की गंगा थी।
जमनालाल बजाज पुरस्कार से रचनात्मक क्षेत्र में सम्मानित विनोबा सेवा आश्रम की सचिव विमला बहन ने कहा कि दीदी के मार्गदर्शन में हम जैसे छोटे साथियों को तिब्बत मुक्ति साधना के क्रम में चीन सीमा अर्थात कलिंगपोंग जाकर कार्य करने का मौका मिला।
वह देशों के प्रमुखों को बुद्ध भगवान, महावीर स्वामी, गांधी, विनोबा के विचारों से अभिभूत कर देती थीं। वह प्रेम की शैली बोलने की धनी थीं दीदी।
जब हम अमेरिका जा रहे थे तो उन्होने तीन शब्द दिये थे वहां जाकर हमारा मंत्र जय-जगत, हमारा तंत्र-ग्राम स्वराज्य, हमारा लक्ष्य-विश्व शान्ति पर बोलना।
विनोबा सेवा आश्रम पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य श्री विश्शन कुमार ने कहा कि हम 35 वर्ष पहले इसी विद्यालय में काम करते थे।
दीदी ने कहा कि आप और प्रतिमा गडचिरोली आदिवासी क्षेत्र में चलकर पढ़ाने का काम करें।
बहुत ही कठिन क्षेत्र आटापल्ली में रहकर शिक्षा का कठिन काम करने का अवसर मिला। वह कार्यकर्ता का बहुत ध्यान रखती थी।
इस अवसर पर विनोबा विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ ओ पी सिंह, लेखाधिकारी श्री अजय श्रीवास्तव, आदित्य कुमार, जेडी अग्निहोत्री, अमर सिंह, चाइल्ड लाइन के श्री अखलाक खान, अजय शुक्ला, मृदुल लता, स्वास्थ्य प्रभारी कमला सिंह, परिवार परामर्श केन्द्र की अल्पना रायजादा, के पी सिंह, शिव कुमारी, मंजू गुप्ता, रीना, रेखा तथा शिव देवी चाची ने निर्मला दीदी को याद कर विचार व्यक्त किए।
अन्त में सभी का धन्यवाद श्री ओम प्रकाश वर्मा ने दिया।