लोहिया की राजनीति का अंश बचा हो तो जवाब दें नीतीश
![लोहिया](https://mediaswaraj.com/wp-content/uploads/2020/09/Shivanand.jpg)
जयप्रकाश जी के चित्र पर फूल चढ़ाने के बाद नीतीश जी ने कहा कि राजद का कोई वास्ता लोहिया और जेपी की राजनीति से नहीं रह गया है. य़ह आंशिक सत्य है।
पूर्ण सत्य यह है कि आज किसी भी दल का, नीतीश जी का दल सहित, लोहिया और जयप्रकाश की राजनीति से कोई वास्ता नहीं रह गया है।
मैं नीतीश जी को स्मरण कराना चाहूंगा। लोहिया 1963 का उपचुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे।
लोहिया के लोकसभा में पहुंचने के बाद ही आजादी के बाद पहली मर्तबा नेहरू मंत्रिमंडल के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव पेश हुआ था। प्रस्ताव आचार्य कृपलानी ने पेश किया था।
नीतीश जी को शायद याद होगा, लोहिया ने सवाल उठाया था हमारे गरीब देश के प्रधानमंत्री पर खजाने का कितना रुपया रोजाना खर्च होता है?
लोहिया का आरोप था कि प्रधानमंत्री रोजाना खर्च देश का पचीस हजार रुपया खर्च होता है। 1963 में पचीस हजार रुपये का आज क्या मोल होगा?
नितीश जी का गणित तेज है। हिसाब लगाकर वे ही बताएं कि उस पच्चीस हजार का आज क्या मूल्य होगा!
लोहिया के उसी सवाल का हवाला देकर मैं नीतीश कुमार जी से जानना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री के रूप में आपके ऊपर इस गरीब प्रदेश की जनता का रोजाना कितना खर्च हो है!
हमारे मुख्यमंत्री जी की सुरक्षा पर होने वाले खर्च का ही अगर हिसाब लगाया जाए तो शायद 25 लाख रुपया रोजाना से ज्यादा ही खर्च होगा।
इसके अलावा मुख्यमंत्री आवास के रकबा में नीतीश जी के कार्यकाल में कितनी बढ़ोतरी हुई है ? उसमें कितने निर्माण करवाए गए हैं ? सरकार के खजाने से उस मद में कितनी राशि खर्च हुई?
जीतन बाबू को मुख्यमंत्री बनाने के बाद कौटिल्य मार्ग के सात नंबर में भूतपूर्व मुख्यमंत्री के रूप में आपने अपना आवास बनाया था।
उस समय तक भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए आजीवन सरकारी आवास का कानूनी प्रावधान था।
लेकिन बाद में पटना उच्च न्यायालय सहित देश के कई उच्च न्यायालयों ने उस कानून को रद्द कर दिया था।
आपके उस आवास में जाने के बाद और छोड़ने के बीच में उस कोठी में सरकार की कितनी राशि आपने खर्च करवाई?
लोगों के बीच चरचा तो करोड़ से ऊपर की है।
अगर आपकी राजनीति में लोहिया और जयप्रकाश की राजनीति का थोड़ा अंश भी बचा हो, जिसका दावा अप करते हैं, तो मांगी गई इन जानकारियों को सार्वजनिक करने का आप साहस दिखाइए।