मशहूर वॉयरोलॉजिस्ट प्रो. टीएन ढोल का कोरोना से निधन
ज़िन्दगी भर वायरस और बैक्टीरिया पर रिसर्च करने वाले मशहूर वॉयरोलॉजिस्ट प्रो. टी.एन. ढोल का कोविड-19 से निधन हो गया।
वह लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष थे।
डॉ टीएन ढोल बहुत मेहनती और लगनशील थे।
वह रिटायर होने के बाद भी रिसर्च कर रहे थे।
वह देश के प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट थे, चिकित्सा संस्थानों में माइक्रोबायोलॉजी को स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित करने का श्रेय डॉ टीएन ढोल को जाता है।
डॉ टीएन ढोल ने मंगलवार देर रात पीजीआई के कोविड अस्पताल में अंतिम सांस ली।
डॉ टीएन ढोल 4 सितंबर को वायरस की चपेट में आये थे।
बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होने के बाद उन्हें एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया।
कोविड19 की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें कोविड अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया।
पीजीआई के तमाम डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बाद भी डॉ ढोल के फेफड़े का संक्रमण नहीं रुका।
निमोनिया के साथ लंग में सिकुड़न बढ़ जाने की वजह से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।
इस दौरान एसजीपीजीआई की पूरी टीम उनकी निगरानी में लगी रही लेकिन उनकी जान बचाने में सफलता नहीं मिल सकी और देर रात उनका निधन हो गया।
पूर्वांचल में इंसेफ्लाइटिस पर डॉ. ढोल का था बड़ा काम
डॉ. ढोल और उनकी टीम ने पूर्वांचल में इंसेफ़्लाइटिस महामारी पर भी काफ़ी काम किया था।
उन्होंने प्रदेश में वायरस की जांच के लिए अलग से इंस्टिट्यूट बनाने का भी प्रस्ताव तैयार किया था. हालांकि यह प्रोजेक्ट वास्तविक रूप नहीं ले सका।
वायरस के विभिन्न पहलुओं की खोज के लिए उन्हें भारत ही नहीं दुनिया भर में पहचान मिली।
उनके निधन से पीजीआई स्टाफ में दुःख का माहौल बना हुआ है।
डॉ. पीके गुप्ता ने प्रो. ढोल के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वे एक जिंदादिल और काम के प्रति लगनशील प्रोफेसर थे। उन्होंने कहा कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में जेई इंसेफ्लाइटिस को खत्म करने के लिए किये गये उनके काम को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।