बाबरी मस्जिद विध्वंस आपराधिक मामले का फ़ैसला 30 सितम्बर को
आडवाणी, जोशी मुख्य अभियुक्त
बाबरी मस्जिद विध्वंस आपराधिक मामले में लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी।
सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने बुधवार को इस मामले में फैसला देने के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की है।
अयोध्या स्थित विवादित बाबरी मस्जिद छह दिसम्बर 1992 को गिरायी गयी थी.
कृपया इसे भी देखें
https://www.bbc.com/hindi/india-42209546
क़ानूनी दाँवपेंच और जटिल प्रक्रिया के चलते यह मामला अट्ठाईस सालों से ट्रायल कोर्ट में ही लम्बित है.
इसके बाद आरोपियों को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प उपलब्ध है.
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में इस समय कुल 32 आरोपी बचे हैं।
इनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती सहित अन्य लोगों के नाम शामिल हैं।
बाल ठाकरे और अशोक सिंघाल समेत सत्रह अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है.
कृपया इसे भी देखें https://www.bbc.com/hindi/india-50359276
अयोध्या मामले में फैसला सुनाने की शीर्ष अदालत की समय सीमा 31 अगस्त को समाप्त हो गई थी।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई करने वाली विशेष सीबीआई अदालत की समय सीमा को 30 सितंबर तक बढ़ा दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई 2019 को अयोध्या मामले में आपराधिक मुकदमे को पूरा करने के लिए छह महीने की समय सीमा बढ़ा दी थी।
साथ ही साथ अंतिम आदेश के लिए नौ महीने की समय सीमा भी निर्धारित की थी।
इस वर्ष 19 अप्रैल को समय सीमा समाप्त हो गई।
इसके बाद विशेष न्यायाधीश ने 6 मई को शीर्ष अदालत को पत्र लिखकर समय बढ़ाने की मांग की थी।
राम जन्म भूमि बनाम बाबरी मस्जिद का समग्र इतिहास
https://mediaswaraj.com/ram_mandir_versus_babri_mosque_dispute/
बाबरी मस्जिद विध्वंस से बड़ी त्रासदी आज की ध्वस्त न्यायिक व्यवस्था है । निचली अदालतों से लेकर उच्चतम न्यायालय तक जो स्थिति है वह आने वाले कल की बहुत भीषण तस्वीर दिखा रही है ।
अब सी बी आई कोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट , फ़ैसले केवल उस वाद के निस्तारण की प्रक्रिया और आदेश के गुण दोष तक सीमित द्रष्टि से नहीं देखे जाने चाहिए बल्कि आज की चिंताजनक स्थिति और आने वाले कल की भयावह तस्वीर के मद्देनज़र विमर्श होना चाहिए ।