फेसबुक डेटा साइंटिस्ट ने लाखों फेक एकाउण्ट पकड़े
राजनीति और जनमत को प्रभावित करने वाले फेक एकाउण्ट पर फेसबुक की नजर
फेसबुक अपनी ही डेटा साइंटिस्ट सोफी झांग की आलोचना से रूबरू है।
सोफी झांग ने फेसबुक में ऐक्टिव फेक एकाउंट्स का स्वतः संज्ञान लेते हुए पड़ताल करायी थी।
उन्होंने फेक एकाउंट्स पर 6600 शब्दों का एक मेमो तैयार किया।
इसके बाद उन्हें 64000 डॉलर का सिवरेन्स पैकेज का ऑफर इस शब्द के साथ मिला कि वह चुप रहें।
पर उन्होंने बोलना बेहतर समझा।
विश्व भर में 260 करोड़ लोगों की आंखों का तारा फेसबुक एक नये खतरे की ओर बढ़ रहा है। उसे अनैतिक राजनीति के माहिर और उनके समर्थकों के कारण विश्वसनीयता के घोर संकट से घिरना पड़ रहा है।
फेक एकाउंट खोल कर फेक न्यूज, फेक नैरेटिव के जरिये जनमत को प्रभावित करने की कोशिश के आरोप अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन, भारतीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, भारत के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी लगा चुके हैं।
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इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए फेसबुक ने बीते 31 अगस्त को 103 पेजेस,78 ग्रुप्स, 453 एकाउंट्स और 107 इंस्टाग्राम एकाउंट्स को सस्पेण्ड किये जाने की सूचना प्रकाशित की।
फेसबुक की डेटा साइंटिस्ट सोफी झांग ने शिकायतों की जांच-पड़ताल की।
उसे और उसकी टीम को भारत में 1000 से ज्यादा फर्जी खातों के एक बडे उन्नत राजनीतिक नेटवर्क का पता चला।
फर्जी खातों की जांच कर रही टीम को दुनिया भर में संचालित 6.70 लाख खाते फर्जी मिले।
इसके बाद 6 लाख से ज्यादा खाते हटाए गये।
इनमें भारत के भी 100 फर्जी खाते हैं जिन्हे हटाया गया है।
फेसबुक ने यह बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं की।
यह सब सोफी झांग के मेमो से निकल कर आया है।
विश्व में 260 करोड़ लोग करते हैं फेसबुक का उपयोग
अकेले अमेरिका में 19 करोड़ लोग फेसबुक का एकाउंट रखते हैं यानी वहां की आधी से ज्यादा आबादी फेसबुक समेट रहा है।
अमेरिका की कुल आबादी लगभग 51 करोड़ है।
भारत में विश्व में सबसे ज्यादा 29 करोड़ लोग अपने मित्रों से संपर्क के लिए इण्टरऐक्टिव नेटवर्क का उपयोग करते हैं।
पूरे विश्व में 260 करोड़ लोग इस प्लेटफार्म का प्रयोग करते हैं।
इतनी विशाल संख्या में लोगों तक सीधी पहुंच और किसी प्लेटफार्म को हासिल नहीं है।
यह बहुत बडा़ कारण है कि राजनीतिक दल इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाएं।
इसके दो प्रमुख उद्देश्य होते हैं।
प्रथम अपनी विचारधारा से सहमत लोगों को प्रतिपक्षी प्रचार से अप्रभावित रखने के लिए फीड फार्वर्ड करना।
दूसरे प्रतिपक्षी के गुणों को अवगुण साबित करना।
इसके लिए अमरीका में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन तथा भारत में मार्क्सवादियों सहित भाजपा, कांग्रेस, क्षेत्रीय दलों ने बाकायदा आईटी सेल गठित किये हैं।
उनमें 24 घंटे दोनों उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सन्देश व विचार मैन्यूफैक्चर किये जाते हैं।
उनका प्रसारण अपने समर्थकों को फारवर्ड करके उनके पेज से जुडे़ हजारों मित्रों के नेटवर्क में प्रवाहित कराया जाता है।
मोदी के फॉलोवर्स की संख्या सर्वाधिक
इसके अलावा प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के अपने ग्रुप भी बने हैं जिनको फालो करने वालों की तादाद लाखों में हो सकती है।
जैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आदि सभी नेताओं के ग्रुप हैं।
मोदी जी फालोवर्स की संख्या 43 मिलियन यानी 4.3 करोड़ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के 2.8 करोड़ फॉलोवर्स हैं।
फेसबुक पर लोकप्रियता में मोदी जी 4.62 करोड़ पर हैं जबकि राहुल मात्र 37.5 लाख पर टिक रहे हैं।
यही स्थित ट्विटर पर भी है जहां मोदी जी की फालोइंग 6.1 करोड़ है जबकि राहुल जी मात्र 1.5 करोड़ पर टिके हैं।
यानी मोदी का प्रभाव अमेरीिकी राष्ट्रपति से भी ज्यादा है तो उनके सामने राहुल और सोनिया कहीं कैसे ठहर सकते हैं?
राहुल गांधी की चिन्ता का यह मुख्य बिन्दु है और वे लाख कोशिश करके अपनी फालोइंग मोदी के निकट भी नहीं ला पा रहे।
संभवतः राहुल गांधी ने सोशल मीडिया में अपनी लोकप्रयता के अपेक्षानुसार विस्तार न होने की खीझ फेसबुक पर उतारी।
उन्होंने फेसबुक पर भाजपा के लिए ऐक्टिव होने का आरोप लगाया।
फेसबुक के बाद यूट्यूब और व्हाट्सऐप्प आते हैं जिनके प्रयोगकर्ताओं की संख्या 200 मिलियन प्रत्येक की है।
धार्मिक, सामाजिक संगठन भी पीछे नहीं
फेसबुक की व्यापकता का लाभ लेने में अनेक धार्मिक, सामाजिक संगठन भी किसी से पीछे नहीं हैं।
ये संगठन अपने जेन्युइन एकाउण्ट्स के अतिरिक्त अनेक शैडो एकाउण्ट्स भी रखते हैं।
इनके माध्यम से वे अपने विचारों से लोकमत को अपने अनुकूल करने के साथ ही अन्य जेन्युइन एकाउंट पर ट्रोलिंग, फेक नैरेटिव्स, लाइक्स के अलावा अन्य आपत्तिजनक कार्य करते हैं।
इस सन्दर्भ में कश्मीरियों के लिए भारत सरकार विरोधी कार्य करने वाला एक पाकिस्तान प्रेरित/सहाय्यित ग्रुप भी उल्लेखनीय रहा।