हॉटलाइन क्या है? क्यों है चर्चा में?
अरुणांचली युवकों के अपहरण मामले में यह है चर्चा में
दिनेश कुमार गर्ग। हॉटलाइन आजकल चर्चा में है।
अंग्रेजी के हॉट और लाइन के संयोग बने इस युग्म का अर्थ क्या है और भारतीय युवकों के चीनी सैनिकों द्वारा अपहरण में यह क्यों चर्चा में आई, यह सवाल हम सबको मथ रहा है।
यह न तो गर्म और लाल रंग की होती है न पीली, बस एक निर्धारित व्यक्ति ( पदाधिकारी या इमरजेंसी सेवा प्रदाता) से दूसरे पदाधिकारी या इमरजेन्सी सेवा मांगकर्ता को बिना डायल किये और कोई और प्रक्रिया किये जोड़ देती है।
भारत के एकदम सुदूर में हमारा अरुणाचल प्रदेश है जिसे चीन अपने कब्जे वाले तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा बताकर समय-समय पर भारत को परेशान करता रहता है।
कभी पूरे अरुणांचल पर अपना दावा जताता है, कभी उस राज्य के नागरिकों को स्टेपल्ड वीजा जारी कर विवाद को हवा देता है।
कभी वहां विकास कार्यों पर प्रतिकूल टिप्पणियां कर भारत के आंतरिक मामलों में दखल देता है।
और तो और, एक जमाने में चीन ने दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश जाने को प्रतिबन्धित करवा दिया था।
यद्यपि दलाई लामा बौद्ध धर्मावलंबी अरुणांचलियों के आध्यात्मिक गुरु हैं।
उन्हें भारत के किसी भी हिस्से में मुक्त रूप से भ्रमण की सुविधा हासिल है।
शुक्र है कि दबंग मोदी सरकार ने चीन की ऐसी हरकतों, विवादास्पद बयानों को तवज्जो नहीं दी।
दलाई लामा को वहां मुक्त रूप से घूमने दिया, सड़क, टनल, पुल का निर्माण कार्य फुल स्विंग पर करवाया।
और हिन्दी भाषी अरुणांचलियों को पूरा भरोसा दिया कि वे भारत के हैं और हमेशा भारत में ही रहेंगे।
औषधीय पौधों की तलाश में गये युवकों को चीन ने किया अगवा
बहरहाल, इसी अरुणाचल के सुबनसिरी जनपद के तिब्बती सीमा से सटे नाचो गांव के 5 युवकों को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पिछले सप्ताह तब पकड़ कर अपहृत कर लिया।
तब वे अस्पष्ट सीमा क्षेत्र में सेरा 7 में औषधीय पौधों की तलाश में गये थे।
सेरा 7 वह क्षेत्र है जहां सेनाएं गश्त करती हैं।
पीएलए के गश्ती दल ने उन्हे गिरफ्तार कर अपने शिविर में भेज दिया।
चीनियों को नियमतः इस कार्रवाई की सूचना हमारी तरफ देनी चिहिये थी परंतु उन्होंने इसकी सूचना भारतीय फौज, आईटीबीपी को नहीं दिया और न ही युवकों को अपने घरवालों को चीनियों द्वारा पकडे़ जाने की सूचना देने की इजाजत दी।
नाचो गांव जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर पर है।
इसकी जानकारी जब जिला प्रशासन के जरिये राज्य सरकार और भारत सरकार को हुई तो चीन की सेना को इस सम्बन्ध में हॉटलाइन से सन्देश भेजा गया।
यहीं से हॉटलाइन की भूमिका शुरू हो जाती है जिसकी वजह से दुश्मनी, आक्रमण और जमीन कब्जा करने पर आमादा पीएलए को यह बताया जा सका कि हमारे 5 बच्चे सीरो 7 से गायब हैं।
कहीं वे आपके पास तो नहीं हैं, कृपया चेक करें और यदि आपके पास हैं तो लौटायें।
इसके पूर्व गलवान घाटी, पैन्गोन्ग त्सो झील सहित लद्दाख क्षेत्र में चीनियों के दुस्साहस से माहौल विस्फोटक हो चुका था।
ऐसे में चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने उत्तेजक बातें करके माहौल को और बिगाड़ने का प्रयास किया।
संयोग से कतिपय दिवस पूर्व चीन का एक टूरिस्ट दंपत्ति भटक कर भारतीय क्षेत्र में आ गया था।
इसे भारतीय सेना ने मानवीय सहयोग और सत्कार सहायता के बाद चीन की सेना को सौंपने का कार्य किया था।
चीन पर था दबाव
भारतीय सेना के इस सद्भाव से चीन की सेना पर दबाव था सद्भाव पूर्ण प्रत्युत्तर देने का।
कई दिनों की कशमकश के बाद चीनी सेना ने स्वीकार किया कि उसने लड़कों को पकडा़ है।
और अंततः 11 सितंबर को अंजॉ जिले में छोड़ दिया।
अंजॉ ईटानगर से करीब 1,000 किमी की दूरी पर है।
तेजपुर में रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने बताया कि पीएलए ने आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इन युवाओं को भारतीय सेना को सौंप दिया।
प्रवक्ता ने कहा, ”कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल के अनुरूप पांचों युवकों को 14 दिन के लिए पृथकवास में रखा जाएगा।
उसके बाद उन्हें उनके परिजन को सौंप दिया जाएगा।”
तो हॉटलाइन का तात्पर्य एक सीधी टेलीफोन सेवा से है जो हमारे सैनिक कमाण्डर के पास से प्रतिपक्षी सैनिक कमाण्डर के बीच होती है।
इसका प्रयोग आपत्कालीन परिस्थितियों में सन्देशों के सम्प्रेषण के लिए किया जाता है।
इस पॉइन्ट टू पॉइन्ट कनेक्शन में टेलीफोन उठाते ही कॉल सीधे आटोमैटिकली पूर्वनिर्धारित पक्ष तक पहुंचती है।
राष्ट्रध्यक्षों के बीच, बार्डर पर तैनात दो देशोंकी सेनाओं के बीच आपात्कालिक सन्देशों के आदान प्रदान के लिए यह व्यवस्था है।
यह 1953 में ब्रिटेन में आपात्कालीन सेवाओं के लिए अस्तित्व में तब आई थी।
बाद में सन् 1963 में क्यूबा संकट के समय अमरीका, ब्रिटेन व रूस के बीच निर्णायक स्तर पर अबाध सीधे संपर्क की आवश्यकता महसूस की गयी ।
तब अमरीका व रूस के राष्ट्रपतियों के बीच हॉटलाइन बनी।
यह बिना डायल का संपर्क माध्यम है जिसमें हुक से माउथपीस उठाते ही दूसरी तरफ सूचना वाली घंटी बज जाती है।
प्रधानमंत्री मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच भी हॉटलाइन होती थी।
दिल्ली और इस्लामाबाद भी हॉटलाइन से जुडे़ हैं।
दिनेश कुमार गर्ग सेवानिवृत्त सूचना उपनिदेशक सूचना हैं। फिलहाल वह स्वतंत्र लेखक के रूप में सक्रिय हैं।