बिहार : महागठबंधन में छोटे दलों ने की बड़ी मांग
छोटी पार्टियों ने की कुल 169 सीटों की मांग, औकात बताने के मूड में राजद
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का अंतिम अध्याय लिखा जा रहा है।
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
इसका भान होते ही हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी अलग हो चुके हैं।
दरअसल, राजद व कांग्रेस की ओर से छोटी पार्टियों को खास तवज्जो नहीं मिल रहा है।
महागठबंधन में एक खास रणनीति के तहत छोटी पार्टियों को उनकी औकात बताने की कोई कसर नहीं छोड़ रखी गई है।
बिहार में रालोसपा़, विकासशील इंसान पार्टी, भाकपा, माकपा और भाकपा माले को सीटों को लेकर चिरौरी करनी पड़ रही है।
सीपीआइ व सीपीएम ने आरजेडी को सौंपी अपनी सूची
चुनाव से पहले राजद और कांग्रेस के रुख से रालोसपा, वीआइपी और वामपंथी दलों के नेताओं की धड़कनें तेज हो गईं हैं।
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राजद से भाकपा व माकपा की दो दौर की बातचीत हो चुकी है।
भाकपा माले के नेता अकेले में राजद नेताओं से तीन बार मिल चुके हैं।
भाकपा व माकपा ने जिन 45 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट की है, उसकी सूची राजद को सौंप दी है।
इन्हें कितनी सीटें दी जाएंगी, इस बारे में राजद के शीर्ष नेतृत्व ने भाकपा व माकपा के पोलितब्यूरो को बता दिया है।
माले, वीआइपी व आरएलएसपी ने भी पेश की दावेदारी
इधर माले ने भी 50 से ज्यादा सीटों की सूची राजद को सौंपी है।
माले के राज्य सचिव कुणाल के मुताबिक गेंद महागठबंधन के पाले में डाल दी गई है।
अब उत्तर का इंतजार है। वीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने 25 सीटें मांगी हैं।
रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने भी 49 सीटों पर दावेदारी पेश की है।
राजद को कुशवाहा व सहनी में नजर नहीं आ रही क्षमता
राजनीतिक गलियारे में छोटी पार्टियों की बड़ी मांग पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
राजद को भी लगता है कि कुशवाहा और सहनी को महत्व दिए जाने के बाद भी वे अपनी जाति के वोटों को ट्रांसफर करने में सक्षम नहीं रहे हैं।
तर्क दिया जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था।
उपेन्द्र कुशवाहा खुद दो सीटों से चुनाव लड़े और हारे।
इसी तरह मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी ने तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे।
उससे राजद को कोई खास फायदा नहीं हुआ।
चुनाव में छोटी पार्टियों की डिमांड से आरजेडी नाराज
अब बिहार विधानसभा चुनाव में छोटी पार्टियों की मनचाही सीट डिमांड से राजद का शीर्ष नेतृत्व नाराज है।
यही वजह है कि छोटी पार्टियों को सीट शेयरिंग में ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है।
कयास लगाया जा रहा है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के निर्देश पर ऐसे दलों को उसकी हद में रखने की कोशिश हो रही है।