माटी में खेलने की चाह
कल्पना में बसता है गाँव
चन्द्र विजय चतुर्वेदी (पूर्व उच्च शिक्षा सलाहकार )
शिकागो से लौटी प्यारी–गुनगुन।
गुनगुन ने बनायी है एक पेंटिंग। इस पेंटिंग पर मुझे एक कविता सूझी
मेरी कल्पना में
मेरा गांव
ही बसता है
खेत की झोपड़ी में
मेरा चित रमता है
उड़ान से
थकी चिड़ियाँ
नीम के पेड़
के घोंसले में
मिटाती हैं थकान
कुछ देर माटी में
खेलने को
मेरा जी चाहता है