शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इस तरह बढ़ाएँ
प्रसिद्ध वैद्य आत्मा राम दुबे की सलाह
कोरोना नामक ब्याधि जन विध्वंसक रूप लेता जा रहा है,यह एक औपसर्गिक रोग है, जो एक दूसरे के सम्पर्क में आने पर इसका संक्रमण होता है और ब्यक्ति से ब्यक्ति को होता है।
यह बसन्त ऋतु है,बसन्त ऋतु में कफ का प्रयोग होता है, यह कफ़ज ब्याधि है। चूंकि यह उत्सर्ग से होता है अतः इसमें एक दूसरे के सम्पर्क से ब्यक्ति को दूर रहना चाहिए, वैद्य कविराज प0 आत्माराम दुबे जी ने बताया की बचाव पक्ष ये है, पहली क्रिया यह होती है कि किसी भी रोग के कारण को दूर करना,,तो इस ब्याधि का कारण संसर्ग है। हजारों वर्ष पूर्व आयुर्वेद के आचार्य महर्षि सुश्रुत ने लिखा है कि संक्रमित रोगी के सम्पर्क में निरन्तर रहने से,एक साथ सोने से,शरीर के स्पर्श से,साथ साथ भोजन करने से, एक दूसरे के वस्त्र का प्रयोग करने से,एक दूसरे के उपकरण प्रयोग करने से,धारण की हुई माला के धारण करने से रोग का संक्रमण एक दूसरे में होता है,इससे बचना चाहिए।उन्होंने बताया कि शरीर मे यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता है तो रोग का संक्रमण होने का भय कम रहता है,और नही भी होता है।
इसके लिए सुपाच्य भोजन,पवित्र भोजन, स्वक्छ भोजन, पौष्टिक भोजन लेना चाहिए।
उन्होंने बताया कि औषधियों में प्रातः शाम आंवले का चूर्ण 3 ,3 ग्राम की मात्रा में लेना चाहिए यह शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता में बृद्धि करता है,और इस ब्याधि से बचाने में गुरुच,गिलोय, अमृता का कच्चा मिल जाय तो सील बट्टे पर पीस कर तीन तीन चम्मच रस या सूखा चूर्ण तीन ,तीन ग्राम सबेरे शाम लें, स्वक्षता का ध्यान रखे, लोगो से मिलने जुलने से दूर रहे,उक्त बातचीत वैद्य कविराज आत्माराम दुबे जी से मृत्युंजय प्रसाद विशारद की बात चीत पर आधारित है।
वैद्य कविराज प0 आत्माराम दुबे जी की कई पीढ़ी वैद्यक सेवा में रही।आप गोरखपुर जिले के गाँव ब्रम्हपुर के मूल निवासी हैं . अब गोरखपुर के अंधियारी बाग महल्ले में आवास है. वही लोगो की आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा करते है . प0 आत्माराम दुबे जी लगभग 58 वर्षो से आप चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहे हैं,इनके पास पेट आदि से सम्बंधित रोगों के इलाज हेतु काठमांडू के साथ नेपाल के अन्य स्थानों से बड़ी संख्या में मरीज आते रहे हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों से भी मरीज आते हैं,, यह भी है कि अत्यंत कम मूल्य पर दवाएं उपलब्ध कराते हैं,,जिससे सामान्य ब्यक्ति भी निःसंकोच उपचार कराने पहुँचते रहे हैं,, अभी लगभग 85 के आसपास है,फिर भी देखने मे एक दम स्वस्थ रहते हुए आज भी अपनी सेवा दे रहे हैं,,