यह हड़ताल क्यों – कोयला यूनियन नेता राकेश कुमार से बातचीत
प्र0 : सभी श्रमिक संगठनों द्वारा तीन दिवसीय हड़ताल क्यों की जा रही है?
उत्तर : सभी संगठनों ने 5 सूत्रीय मांग पत्र दिया है जिसमें कोयला के व्यवसायिक खनन को रोकना, दूसरी मांग कोयला उद्योग के निजीकरण को रोकना तीसरी मांग कोल इंडिया से सीएमपीडीआईएल को अलग करने के प्रस्ताव को वापस लेना, चौथी मांग कोल इंडिया में कार्यरत ठेकेदारी श्रमिको को हाई पावर कमेटी द्वारा निर्धारित किए गए वेतनमान का भुगतान सुनिश्चित करना पांचवी मांग कोयला वेतन समझौता की धारा 9.3.0, 9.4.0 ,9.5.0 को पूरी तरह से लागू करके श्रमिकों के आश्रितों को नौकरी देने एवं श्रमिकों को 20 लाख gratuity का भुगतान 1.07.2016 से किया जाए। सभी संगठनों ने 10 और 11 जून को सभी कोलियरीयों एवं एरिया में प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री के नाम पत्र देकर कोयले की खदानों की नीलामी को रोकने के लिए अनुरोध किया उसके बाद 18 जून को कंपनी मुख्यालयों में प्रदर्शन करके दो-तीन और 4 जुलाई की हड़ताल की नोटिस दी गई
प्र0 : कोयला मंत्रालय द्वारा नोटिस मिलने के बाद कोई बातचीत की पेशकश की गई या नहीं?
उत्तर : कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा बातचीत के लिए 26 जून को बुलाया गया था परंतु उस बातचीत में समस्त संगठनों ने भाग नहीं लिया और यह सूचना दी कि प्रधानमंत्री या कोयला मंत्री से ही बातचीत की जाएगी तत्पश्चात कोयला सचिव श्री अनिल कुमार जैन ने बातचीत के लिए ऑफर दिया ,वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत हुई परंतु बातचीत का कोई निष्कर्ष नहीं निकला इसके बाद कोयला मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने श्रमिक संगठनों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बात की श्रमिक संगठनों ने नीलामी की प्रक्रिया को रोकने के लिए अनुरोध किया एवं अन्य चार मांगों पर विचार करने के लिए आग्रह किया परंतु कोयला मंत्री ने यह नीतिगत मुद्दा है कहकर सरकार के फैसले को बदलने से इनकार कर दिया जिससे मजबूरन श्रमिक संगठनों को हड़ताल में जाना पड़ा।
प्र0 : हड़ताल का क्या प्रभाव पड़ रहा है ?
उत्तर : हड़ताल पूरी तरह से सफल है। पूरे देश के कोयला कामगार हड़ताल पर हैं इससे कोल इंडिया का उत्पादन और डिस्पेच दोनों ठप हो गया है । ऑफिसर्स एसोसिएशन का भी नैतिक समर्थन इस हड़ताल को मिला हुआ है।
प्र0 : तीन दिन की हड़ताल के बाद श्रमिक संगठनों की आगे की रणनीति क्या होगी?
उत्तर : हड़ताल खत्म हो जाने के बाद सभी संगठनों के प्रतिनिधि आपस में बैठकर रणनीति बनाएंगे एवं इसकी घोषणा करेंगे इस लड़ाई को कमजोर नहीं होने दिया जाएगा और लड़ाई को अंतिम परिणाम तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा देश की सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा अन्यथा बाद में चुनाव के समय इसका ब्यापक असर देखने को मिलेगा।