उदासी का सबब
एम जोशी हिमानी की कविता
उदासी का सबब कोई क्यों हमसे पूछेगा
वो खुद पिंजड़े में कैद हुआ बैठा है
कल रात भर अपनी खिड़की से
चाँद को देखा किये
अक्स उसका नजर वहां भी आया ही नहीं
अभी तो धूप में नरमी के दिन हैं
पर गली उसकी
जेठ की दोपहर सी सूनी पड़ी है
वादा था उससे
मिलेंगे बसंत में
नजर न जाने किसकी लगी कि
अबके बसंत आया ही नहीं
पतझड़ के बाद फिर
कोई मौसम बदला ही नहीं.
-30.3.20
परिचय
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एम जोशी हिमानी
जन्म- पिथौरागढ., उत्तराखंड
शिक्षा- लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक
पूर्व सहायक निदेशक- सूचना एवं जन संपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ
सूचना एवं जन संपर्क विभाग की प्रतिष्ठित
साहित्यिक पत्रिका “उत्तर प्रदेश” के संपादक के
रूप में ब्रज विशेषांक, काशी विशेषांक, प्रयाग विशेषांक, कबीर अंक जैसे अविस्मरणीय अंकों का प्रकाशन
प्रकाशित कृतियां-
“पिनड्राप साइलेंस” कहानी संग्रह
“ट्यूलिप के फूल” कहानी संग्रह
“हंसा आएगी जरूर” उपन्यास
“कसक” कविता संग्रह
देश-विदेश की अनेक पत्रिकाओं में समय-समय पर कहानियां/कवितायें प्रकाशित
मो.-8174824292
ई मेल- mjoshihimani02@gmail.com
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