अनुप्रिया पटेल की सक्रियता से उड़े सबके होश
क्या बीजेपी से हो पाएगा गठबंधन
मनोज कुमार तिवारी
प्रयागराज : भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी अपनादल (सोनेलाल अपने संगठन को विस्तारित करने में लगी है और जिस तरह से अपनादल सोनेलाल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने हर जाति समाज को साथ लेकर चलने के लिएअपनी रणनीति बनायीं है और संगठन में उन समाज के लोगों को जगह दे रहे हैं ऐसे में अन्य दलों के होश उड़े हुए हैं .
समाजवादी पार्टी ने पासी समाज के नेता इंद्रजीत सरोज को अपनी पार्टी का महासचिव बनाया तो अनुप्रिया पटेल ने पासी समाज के ही प्रयागराज के अपने विधायक जमुना सरोज को प्रदेश अध्यक्ष बना कर पासी समाज को अपनादलसे जोड़ने का काम किया है जिसका असर बहुजन समाज पार्टी के साथ साथ समाजवादी पार्टी पर पड़ना तय हैए ुर उनको अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी वैसे भी पासी समाज के लोग अपनादल बीजेपी गठबंधन को पसंद करते हैं.
आदिवासी समाज से अपनादल में विधायक और सांसद हैं तथा मिर्जापुर , सोनभद्र , प्रयागराज में आदिवासी समाज का अपना दबदबा है और एक दर्जन सीटों को वे प्रभावित करते हैं , आदिवासी समाज के लोगों को भी संगठन मेंजगह देकर अपनादल अध्यक्ष अगले विधानसभा चुनाव की अपनादल की अकेले की तैयारी की शुरुवात कर दिया है . अपनादल एस ने निषाद समाज का युवा अध्यक्ष बना कर अपने इरादे बता दिए हैं की अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों कोअपनादल कुर्मी मतदाताओं के साथ अपने संन्घर्ष में साथी बनाना चाहती है .
अभी सूत्रों के अनुसार अपनादल पिछड़े वर्ग में ही लोहार , प्रजापति , नाइ समाज से भी नेताओं को संगठन में बड़े पद देने पर विचार कर रही है ताकि एक बड़ा मंच तैयार हो सके अपनादल एस के रूम में.
आज उत्तर प्रदेश की राजनीती में साफ़ दिखाई देता है कि विपक्ष की पार्टियां यह बताने में कामयाब हो चुकी हैं कि बीजेपी सवर्णों की पार्टी ही , विदित हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने केशवब प्रसाद मौर्या को आगे लेकरचुनाव लड़ी थी जो बड़े चेहरे के रूप में थे , बीजेपी अपनादल एस की नेता अनुप्रिया पटेल के झंडे के साथ हर विधानसभा चुनाव में प्रचार करती थी और उसने पिछड़े वर्ग के कुर्मी और कुशवाहा जाती का बड़ा वोट प्राप्त किया जिससेअपार सफलता मिली और इतनी मजबूत सरकार बनी कि बीजेपी ने विपक्ष को कोई महत्व नहीं दिया .
लोकतंत्र में विपक्ष के खिलाफ अगर बदले की कार्यवाही की जाती है तो वह और मजबूत होता है , और आज बीजेपी ने तो अपने सहयोगी पहले सुहेलदेव भारतीय जनता पार्टी को अहमियत नहीं दिए और अब अपनादल एस को न तोकेंद्र में नेतृत्व देकर और न तो प्रदेश में उचित नेतृत्व देकर सन्देश दे दिया है कि अपनादल एस एक मजबूर पार्टी है जो बिना बीजेपी के नहीं चल सकती है .
लेकिन अनुप्रिया पटेल के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद अनुप्रिया पटेल ने अपनादल एस को अपने बलबूते खड़ा करने के निर्णय लेकर जो सक्रियता दिखा रही हैं और कुर्मी वोट के आलावा दलित और अन्य पिछड़े वर्ग को पार्टी से जोड़नेकि मुहीम चला रही हैं अगर किसी तरह से अपनादल एस से बात बीजेपी कि नहीं बनती है तो वह समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ मजबूत हो सके .
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और मध्यंचल में कुर्मी मतदाता लगभग दस फ़ीसदी तक हैं और वे लगभग 153 सीट को प्रभावित करते हैं लेकिन बीजेपी केवल एक दर्जन सीट से काम देकर कमरा वर्ग को संतुष्ट नहीं कर पा रही है , हां इतनाजरूर है कि बीजेपी अपनीम पार्टी से कमरा समाज के सांसद और विधायक तो बना रही है लेकिन उनको भी पता है कि अपनादल का दबाव है जिससे ऐसा हो रहा है .
अपनादल एस की समस्या है कि वह आर्थिक रूप से मजबूत दल नहीं है जिसकी वजह से उसका संगठन बूथ स्तरपर कमजोर है , जबतक बूथ स्तर तक अपनादल एस का संगठन मजबूत नहीं होगा तबतक बीजेपी अपनादल एस को वहअहमियत नहीं देगी और लोकतंत्र में यह जरूरी है कि बहुमत तो हो लेकिन इतना न हो कि सत्ता में रह रही पार्टी निरंकुश हो जाय .
अपनादल एस अध्यक्ष अनुप्रिया का क्या स्टैंड होगा अगले विधानसभा चुनाव को लेकर यह तो देखने वाली बात होगी लेकिन आज कि तारीख में अनुप्रिया की सक्रियता बीजेपी को यह सोचने पर मजबूर जरूर करेगी कि बिना उसके मैदान मारना कठिन काम है