अघोषित आपातकाल के ख़िलाफ़ संघर्ष का संकल्प , कांग्रेस इमरजेंसी के लिए माफी मांगे
लोकतंत्र- संविधान बचाओ, देश बनाओ ऑनलाइन सोशलिस्ट कॉंफ्रेंस
(मीडिया स्वराज़ डेस्क)
जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा है कि हर स्तर पर जन संसद गठित किए जाने की जरुरत है. वे वृहस्पतिवार को लोकतंत्र- संविधान बचाओ, देश बनाओ ऑनलाइन सोशलिस्ट कॉंफ्रेंस में समापन भाषण दे रही थीं. लोकतंत्र, संविधान और जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर पार्टियों, संगठनों और व्यक्तियों के समन्वय की आवश्यकता बतलाते हुए कहा कि जन संसद का गठन हर स्तर पर। उन्होंने रचनात्मक कार्य के लिए जन चेतना केंद्र बनाए जाने के भी सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि वे ऑनलाइन शिक्षा के खिलाफ है क्योंकि यह छात्रों के बीच सामाजिकता खत्म करती है।
मेधा जी ने कहा की सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारों को गांव स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिये है, लेकिन सरकारें आदेश मानने को तैयार नहीं है । उन्होंने श्रमिकों के कानूनों में किए गए बदलाव को असंवैधानिक बतलाते हुए कहा कि लॉकडाउन का दुरुपयोग सरकार ने कार्पोरेट का मुनाफा सुनिश्चित करने लिए किया है।जीवन प्रणाली बदलने और पर्यावरण के मुद्दों पर गंभीर फैसले लेने की जरुरत बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार बात तो आत्मनिर्भरता की कर रही है लेकिन उसके द्वारा जो नीतियां बनाई जा रही है वह गांव ,किसान और किसानी को नष्ट करने वाली है।
उन्होंने कहा कि समाजवादियों को जगह- जगह जाकर जन सुनवाइयां आयोजित करनी चाहिए। आज जो श्रमिक हजारों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हुए थे उनके बीच सघन कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाजवादियों का उद्देश्य गैर बराबरी खत्म करने का रहा है, लेकिन चंद पूंजीपतियों के हाथों में 75% पूंजी सिमट गई ह उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का इस्तेमाल सरकार ने छात्र-छात्राओं के आंदोलन ,सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी जन आंदोलन को कुचलने के लिए किया है।
ऑनलाइन सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करते हुए इंदौर के वरिष्ठ समाजवादी एवं मीसाबंदी श्री रामबाबू अग्रवाल ने कहा कि आपातकाल में 19 माह के आतंक के दौर में करीब 1 लाख 11 हजार कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश में नसबंदी के तहत जनता में आतंक फैलाया गया । ग्रामीण इलाकों की जनता जंगलों में पुलिस से बचने के लिए छिपने लगी थी । अदालतों में भी डर का वातावरण बना दिया गया था । सभी साथियों के परिवारों पर जुल्म किए गए। उन्होंने सभी समाजवादियों, वामपंथियों एवं सच्चे देशभक्त तथा देश के हमदर्द साथियों को लोकतंत्र बचाने के लिए एकजुट होने की अपील की ।
समाजवादी समागम के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ सुनीलम ने ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में कार्यक्रम का प्रस्तावना पेश करते हुए कहा कि समाजवादियों ने जिस तरह 1942 में संघर्ष किया था, 1975 में आपातकाल के खिलाफ आंदोलन चलाया था उसी तर्ज पर यदि सरकार द्वारा देश पर थोपे गए अघोषित आपातकाल के खिलाफ संघर्ष छेड़ने की जरूरत है।
डॉ.सुनीलम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को 45 वर्ष पहले कांग्रेस सरकार द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल के लिए देश से माफी मांगना चाहिए तथा स्पष्ट शब्दों में देश को आश्वस्त करना चाहिए कि भविष्य में कोई भी कांग्रेस सरकार देश पर फिर कभी आपातकाल नहीं तो थोपेगी तथा नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करेगी उन्होंने जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन द्वारा की गई ऐतिहासिक हड़ताल तथा राजनारायण जी द्वारा याचिका के माध्यम से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन सिन्हा द्वारा चुनाव रद्द किए जाने की घटनाओं का विशेष उल्लेख किया ।उन्होंने कहा कि समाज में तथा विभिन्न राजनीतिक दलों ने आज भी तानाशाही पूर्ण मनोवृति हावी है ।जिसका मुकाबला करने के लिए लोकतांत्रिक जीवन दृष्टि विकसित करना तथा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को मजबूत करना अतिआवश्यक है ।
रायसेन से बहुजन संवाद के टी.आर. आठ्या ने कहा कि 25 जून 1975 को जब देश मे आपातकाल थोपा गया उस समय जय प्रकाश नारायण का आंदोलन चरम पर था। उनके आंदोलन में समाज को बदलने का एक फलसफा था। उन्होंने समग्र समाज के ढांचे को बदलने के लिए एक व्यवहारिक दर्शन की स्थापना की जिसे हम सम्पूर्ण क्रांति अथवा आंदोलन कहते हैं।
क्रांति समाज के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन करना चाहती है। इसी के लिए संघर्ष करती है। जे. पी. वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था को समाप्त करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अंतर्जातीय विवाह और अपने नाम के आगे जाति सूचक शब्द हटाने का आह्वान किया।
आठ्या ने कहा कि समाज में आज भी सामाजिक और आर्थिक गैर बराबरी बरकरार है। इस खाई को पाटने के लिए बहुजन समाज को एकजुट होकर व्यापक जन आंदोलन खड़ा करने की आवश्यकता है।
रीवाँ के मीसाबंदी समाजवादी वृहस्पति सिंह ने कहा कि देश में आजादी के बाद से लगातार जो बेरोजगारी महंगाई भ्रष्टाचार बढ़ रहा था ।बेरोजगारी के लिए हमारी शिक्षा जिम्मेदार थी ।लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति के आंदोलन का आह्वान किया और देश के नौजवानों ने उसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया एक बात आवरण संपूर्ण क्रांति के लिए बना इससे तत्कालीन सत्ताधारी दल के लोग घबरा गए उसी समय इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आया जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के ऊपर आरोप सिद्ध हुआ क्योंकि वे आरोपी थे उन्हें इस्तीफा देना चाहिए श्रीमती इंदिरा गांधी को लेकिन इस्तीफा न दें करके उन्होंने देश में आपातकाल की घोषणा अचानक कर दी।
आज देश में बेरोजगारी बढ़ी है महंगाई बढ़ी है भ्रष्टाचार बढ़ा है और अभी यह करो ना कि जो बीमारी आई है यह वाइरस सारी दुनिया को प्रभावित कर रहा है ऐसे समय में हमारे देश के प्रधानमंत्री ने इस आपातकाल को जो अघोषित आपातकाल उन्होंने लागू किया है उसको वह अवसर समझते हैं. अगर इस देश में लोकतंत्र नहीं बचा हमारे संविधान में लिखित हमारी स्वतंत्रता समता बंधुता और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने के जो अधिकार हमें मिले हैं अगर उनका खात्मा होता है लोकतंत्र नहीं रहता लोकतंत्र आजादी का पूरक है ।ऐसे समय में हम सब लोगों को याद करना चाहिए और जनता को याद दिलाना चाहिए।
समाजवादियों को आज एक मंच पर आकर के देश के अघोषित आपातकाल का विरोध करना चाहिए और देश की जनता को राहत दिलाने के लिए नौजवानों को काम दिलाने, भूखों को अनाज दिलाने लिए हम को कमर कस के जैसे हम संग 42 में समाजवादियों ने आजादी की लड़ाई लड़ा और लोकनायक जयप्रकाश के नेतृत्व में आपातकाल के विरूद्ध लड़ाई लड़ी उसी तरह संविधान को बचाने एकजुट होना पड़ेगा तभी यह देश बचेगा।
झाबुआ के मीसाबंदी विमल काठी ने कहा कि कांग्रेस की तानाशाही प्रवृत्ति का विरोध करने के लिए 1959 में डॉक्टर लोहिया के प्रयास से ही उत्तर भारत के कई राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकार गठित हुई थी उसके बाद पाकिस्तान ने हमला कर कच्छ की बड़ी भूमि पर कब्जा कर लिया था तब डॉक्टर लोहिया ने ही कच्छ आंदोलन का आव्हान किया था और मध्य प्रदेश सरकार के आरिफ बेग सहित कई मंत्री जिनमें भागीरथ भंवर, वीरेंद्र कुमार सकलेचा भी शामिल थे वह कच्छ आंदोलन में गए और जब वहां पानी आ गया तो दिल्ली की ओर कूच किया ।
सोशलिस्ट पार्टी इंडिया की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि पिछले 6 वर्षों से नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार और राज्यों की भाजपा सरकारें इसी तरह बोली की आजादी छीनने का प्रयास कर रही है ।आज देश का न केवल संविधान खतरे में है बल्कि संवैधानिक संस्थाओं तथा अदालतों संसद और अन्य संस्थाओं पर भी खतरा मंडरा रहा है । लोकतांत्रिक अधिकारों पर भी खतरा मंडरा रहा है ।
पीथमपुर के ट्रेड यूनियन नेता दिनेश कुशवाहा ने कहा कि आजादी के बाद जितने भी आंदोलन हुए सभी समाजवादी आंदोलन के साथियों द्वारा ही देश हित में किए गए ।
मंदसौर के वरिष्ठ समाजवादी नेता और किसान संघर्ष समिति के साथी राजेंद्र पुरोहित ने कहा कि आज लोकतंत्र और संविधान तो खतरे में है ही साथ ही आम मजदूर किसान के लंबे संघर्ष के बाद हासिल अधिकार भी संकट में पड़ गए हैं
वीडियो कांफ्रेंसिंग में रीवा के मीसाबंदी और समाजवादी नेता रामेश्वर सोनी ने कहा कि आज चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया लेकिन यह सरकार चीन के आगे सरेंडर कर रही है एक बार भी चीन के खिलाफ प्रधानमंत्री ने मुंह नहीं खोला.
छिंदवाड़ा से एड.आराधना भार्गव ने कहा लॉकडाउन का फायदा सरकार के माध्यम से उद्योग पतियों को हो रहा है।सरकार ने लॉकडाउन के समय कई जन विरोधी नीतियों को लागू कर निम्न वर्ग के लोगों की कमर तोड़ दी है।
उन्होंने न्याय पालिका की कार्यशैली पर कहा कि आज न्यायाधीश डरे हुए हैं ।सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ फैसला देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि 1975 के आपातकाल की जानकारी लाना अच्छी बात है जिससे इस तरह के काले अध्याय की पुनरावृत्ति ना हो सके। 1975 का आपातकाल पुलिस और प्रशासन के.दम पर जनता पर लादा गया था। लेकिन वर्तमान में जो अघोषित आपातकाल चल रहा है वह पाखंड, अंधविश्वास और सांप्रदायिकता के बलबूते चलाया जा रहा है। मध्य प्रदेश के सभी जिला कलेक्ट्रेट में स्थाई तौर पर धारा 144 लगा दी गई है जबकि नियम है कि 1 माह से ज्यादा के लिए धारा 144 नही लगाई जा सकती है। सरकारी कार्यालय जनता के लिए बनाये गये थे लेकिन मध्य प्रदेश में हालात यह है कि अगर किसान, मजदूर, नवजवान, आम नागरिक अपनी बात कहने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत आंदोलन या प्रदर्शन के माध्यम से कहना चाहता है तो कलेक्ट्रेट में धारा 144 लगाए जाने के कारण ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस में प्रकरण कायम किए जाते हैं उनकी गिरफ्तारी की जाती है और उन पर डंडे एवं लाठियां बरसाई जाती हैं. लोहिया जी के विचारों की याद दिलाते हुए उन्होने बताया कि लोहिया जी कहा करते थे कि “जब सड़कें खामोश होती हैं तो संसद आवारा हो जाती है” और जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करती”। देश के किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं को आभासी दुनिया से निकालकर उन्हें साथ लेकर सड़कों में संघर्ष को तेज करने का समय है।
टीकमगढ़ से आर पी यादव ने कहा कि चुनाव ईवीएम से नही बैलेट पेपर से कराया जाना चाहिए। सरकारें शराब का व्यापार कर युवाओं को अपराध की ओर ले जा रहे हैं।
ऑन लाईन कांफ्रेंस को महेश दत्त मिश्रा, जबर सिंह वर्मा, अरूप श्री वास्तव, राजेन्द्र तिवारी(पूर्व संपादक, प्रभात खबर), राम दत्त त्रिपाठी, आलोक जोशी, चंचल कुमार , अम्बरीश कुमार(संपादक शुक्रवार पत्रिका एवं जनादेश वेबसाइट) , पुरन सिंह राठौर एड. विरेन्द्र सिंह आदि वक्ताओं ने भी कॉंफ्रेंस में अपने विचार प्रस्तुत किये।
लोकतंत्र -संविधान बचाओ ,देश बनाओ सोशलिस्ट कांफ्रेंस में पारित प्रस्ताव 25 जून 20
बहुजन संवाद, हम समाजवादी संस्थाएँ और समाजवादी समागम द्वारा आयोजित ऑन लाइन सोशलिस्ट कान्फ्रेंस में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया ।
पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक अधिकारों का जिस तरह से हनन किया जा रहा है और देश में अघोषित आपातकाल की स्थिति है ऐसे में सारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं छिन्न भिन्न हो रही है और गरीब मजदूर किसान छोटा व्यापारी नौजवान परेशान हैं अतः हम सब लोकतंत्र प्रेमी और संवैधानिक मूल्यों में भरोसा रखने वाले, गांधी, लोहिया ,जय प्रकाश ,अंबेडकर के अनुयायियों की यह जिम्मेदारी है कि हम सब मिलकर सरकार द्वारा अपनी सत्ता बचाने और कायम रखने के लिए लगाई जा रही सुपर इमरजेंसी – अघोषित इमरजेंसी का डटकर विरोध करें । इतिहास इस बात का गवाह है कि भारत के लोगों को तानाशाही का कोई भी स्वरूप स्वीकार नहीं है
।बहुजन संवाद, हम समाजवादी संस्थाएँ और समाजवादी समागम द्वारा आयोजित सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करती है कि केंद्र की और राज्य की सरकार द्वारा किसानों मजदूरों और मेहनत कशों के खिलाफ जो भी लोकतंत्र विरोधी कानून लाए जा रहे हैं उन्हें तत्काल वापस लिया जाए साथ ही कान्फ्रेंस में शामिल सभी साथी सर्वसम्मति से मांग करते हैं कि
1कोरोना संक्रमण से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा हेतु तत्काल संसद सत्र बुलाया जाए ।
2 मध्य प्रदेश में पिछले 60 महीने से अधिकतर जिलों में धारा 144 लगाकर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है पूरे प्रदेश में शांति का वातावरण है और धारा 144 लगाने का कोई कारण भी नहीं है , पूरे मध्यप्रदेश से धारा 144 तत्काल हटाई जाए
3 मध्य प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव आयोग उपचुनाव स्थगित करे।
4 सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में सभी कोविड-19 के रोगियों का निशुल्क और संपूर्ण उपचार की व्यवस्था की जाए।
5 देश भर की जेलों में बंद सभी राजनीति बंदियों को तत्काल रिहा किया जाए । सीएए ,एनपीआर, एनआरसी कानूनों का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे गिरफ्तार छात्रों और कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए।
6 देश के सभी श्रमिकों, किसानों, खेतिहर मजदूरों शहरी एवं ग्रामीण गरीबों को कम से कम 200 दिन 500 रुपये प्रतिदिन की दर पर मनरेगा के तहत जाए। कृषि कार्यों को मनरेगा में जोड़ा जाए।
7 देश के सभी अतिथि मजदूरों तथा निम्न आय वर्ग के सभी लोगों को रोजगार पुनः होने तक लाकडाउन काल का प्रतिमाह ₹10000 की दर पर केंद्र सरकार की ओर से भुगतान किया जाए ।सर्वोच्च न्यायालय की निर्देशानुसार गांव में रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
8 किसानों की कर्जा मुक्ति और लागत से डेढ़ गुना मूल्य पर सभी कृषि उत्पादों की खरीद हेतु कानून संसद में पारित हो।
9 किसानों के बिजली के बिल माफ किये जायें, डीजल 50 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराया जाए । मक्का की खरीद समर्थन मूल्य पर सुनिश्चित की जाए।सभी किसानों को सोसाइटियों से खाद, बीज बिना ब्याज पर उपलब्ध कराया जाए।
10 सभी 44 श्रमिक कानून बहाल किये जायें। किसानों की खिलाफ लाये गए चारों अध्यादेश सरकार वापस ले।
11 बिजली के निजीकरण पर रोक लगाई जाए
12 मंडी व्यवस्था कायम रखी जाए।समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीद करने वाले व्यापारियों पर अपराध पंजीबद्ध किये जायें ।
13 सभी अस्पतालों में डॉक्टरों ,स्वास्थ्य कर्मियों के सभी रिक्त पद तत्काल भरे जाएं ।इसी तरह सभी स्कूलों एवम कॉलेजों में शिक्षकों के रिक्त पद भरे जाएं।
14 शराब की बिक्री तत्काल बन्द की जाए। होमगार्डों से शराब की बिक्री कराना अवैधानिक है।