विचार और राजनीति की खेती किसानी

🔊 सुनें विचार और राजनीति की खेती पर चंद्रविजय चतुर्वेदी की एक कविता मेरे एक बहुत पुराने मित्र कल सहसा ही मेरे पास आ धमके लकधक उजले  कपडे एक बड़ी सी गाडी से उतरे मैं हतप्रभ रह गया तपाक से बोला मित्र तुम तो खेती किसानी करते थे अब क्या कर रहे हो वह बोला … Continue reading विचार और राजनीति की खेती किसानी