आयुर्वेद में शोध और प्रयोग निरंतर जारी रहना चाहिए

आयुर्वेद को केवल भारत के संदर्भ में नहीं लिया जाना चाहिए।विश्व की प्रत्येक सभ्यता ने अपने जीवन की सुरक्षा के लिए चिकित्सा के उपाय खोजे है।यह सर्वविदित सत्य है दुनियाँ की प्रत्येक सभ्यता ने मानव जीवन के अस्तित्व का कारण एक दैविय सत्ता को स्वीकार किया है।इसलिए मानव जीवन के दुखों,रोगो,के निवारण और जीवन की रक्षा के लिए भी प्राथमिक रुप से दैविय सत्ता की कृपा को स्वीकार किया ।इसलिए पहली औषधि प्रार्थना या मंत्र के रुप में खोजी गयी।इसीलिए पाश्चात्य चिकित्सा विज्ञान के शुरुआती दौर में प्रार्थना शामिल थी इसी लिए आज भी चर्च के फादर झाड़ फूँक करते दिख जायेगे।इसी तरह भारतीय चिकित्सा में भी मत्रों का प्रयोग दिख जाता है।