एक बार फिर बोधगया में होगा संघर्ष वाहिनी का जमावड़ा

जेपी को 1974 में ही महसूस हो गया था कि आंदोलन में शामिल सभी राजनीतिक दलों और उनके युवा संगठनों की प्राथमिकता सत्ता हासिल करना और अपने संगठन का आधार बढ़ाना है। जेपी जिस समग्र बदलाव की, संपूर्ण क्रांति का सपना देख रहे थे, उसमें उनकी खास रुचि नहीं थी। इसी कारण जेपी को संपूर्ण क्रांति के लिए प्रतिबद्ध एक युवा संगठन की जरूरत महसूस हुई।